
बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी के बेटे तेज प्रताप यादव ने राज्य की चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। कागजों में लालू यादव के छोटे और हकीकत में बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपनी माता राबड़ी देवी के लाडले बेटे माने जाते हैं। बिहार की राजनीति को और खासकर लालू यादव के परिवार को करीब से देखने वाले जानकारों की माने तो, वर्ष 2015 में जब नीतीश कुमार की सरकार में तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था,तभी से रिश्तों में यह खटास शुरू हो गई थी।
तेज प्रताप यादव , बड़े बेटे होने के नाते अपने आपको लालू यादव का उत्तराधिकारी मान कर चल रहे थे लेकिन लालू यादव ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया। कई जानकर लोग तो यहां तक कहते हैं कि राबड़ी देवी ने अड़ कर तेज प्रताप यादव को जेडीयू-आरजेडी गठबंधन सरकार में मंत्री बनवाया था। ऐसे में अपने ही बेटे के खिलाफ लालू यादव द्वारा लिए गए एक्शन को काफी आश्चर्य से देखा जा रहा है। सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या लालू यादव ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव के दबाव में यह फैसला किया है ? एक तरफ जहां इस फैसले के लिए यादव परिवार के एकजुट होने का दावा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ किसी को भी इसका भरोसा नहीं हो पा रहा है कि राबड़ी देवी अपने बड़े बेटे को पार्टी और परिवार से निकालने पर तैयार हो गई होंगी ?
तेज प्रताप यादव के सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट से लालू यादव इतना बड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर हो सकते हैं,यह कोई सोच भी नहीं सकता था। तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर ऐलान कर दिया था कि वो एक लड़की के साथ 12 साल से रिलेशन में हैं और वो दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं। हालांकि इसके बाद उन्होंने एक और पोस्ट कर यह दावा किया कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया था और उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उसके बाद तेज प्रताप यादव के उस लड़की के साथ कई तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे,जिसने यादव परिवार को असहज कर दिया।
बिहार में तय समय के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। एक दौर में बिहार की राजनीति को अपनी उंगलियों पर नचाने वाले लालू यादव तुरंत समझ गए कि बड़े बेटे की हरकतों का खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। पोस्ट और वायरल होते फोटो एवं वीडियो ने तेजस्वी यादव को भी इस बात का अहसास करा दिया कि अगर अब बड़े भाई पर कोई एक्शन नहीं लिया गया तो बिहार में एक बार फिर से उन्हें जनता विपक्ष में बैठने का ही जनादेश देगी। लालू यादव भी बेटे तेजस्वी यादव के तर्कों से सहमत हो गए और आखिरकार उन्होंने परिवार और पार्टी के मुखिया होने के नाते यह बड़ा फैसला कर लिया।
लालू यादव के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट और उसके बाद तेजस्वी यादव के आए बयान से आप समझ सकते हैं कि इस समय दोनों नेताओं के मन में बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव ही चल रहा है। क्योंकि दोनों ही नेता बिहार में एक और चुनावी हार को झेलने की स्थिति में नहीं है।
लालू यादव ने तेज प्रताप यादव को निकालने की घोषणा करते हुए लिखा,
” निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूँ। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है। उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें। लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूँ। परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सावर्जनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है। धन्यवाद।”
इसके बाद तेजस्वी यादव ने भी मीडिया के सामने आकर बयान दिया,
” हमें यह सब चीज ना तो अच्छी लगती है और ना ही हम इसको बर्दाशत करते हैं। जहां तक मेरे बड़े भाई की बात है, वह एडल्ट हैं उनको अधिकार है वह क्या निर्णय लेते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ( लालू यादव) ने उनके बारे में क्या कहा है, वह सार्वजानिक कर दिया गया है। वह अपने निजी जीवन में क्या कर रहे हैं वह किसी से पूछ कर नहीं करते हैं। आपके माध्यम से ही हमें यह पता चला है। “
लालू यादव और तेजस्वी यादव भले ही तेज प्रताप यादव की प्रेम कहानी से पल्ला झाड़ने की कोशिश करें लेकिन यह विवाद अभी थमने वाला नहीं है। कई नाम हवा में तैर रहे हैं और एनडीए गठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा- हम के संस्थापक संरक्षक जीतन राम मांझी ने बड़ा खुलासा कर इस विवाद को और ज्यादा गरमा दिया है। केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री जीतन राम मांझी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ” दरोग़ा बाबू की पोती ऐश्वर्या के साथ जो लालू परिवार ने किया है उसका बदला आने वाले चुनाव में बिहार की हर महिला लेकर रहेगी। तेज प्रताप जब किसी के साथ रिलेशनशिप में थें तो फिर किसी लड़की की ज़िन्दगी बर्बाद करने का अधिकार लालू परिवार को किसने दिया ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि किसी “सिन्हा” के चक्कर में लालू परिवार अनुष्का यादव की ज़िंदगी भी बर्बाद करवा दे ? इसका जवाब लालू परिवार को देश के सामने देना होगा।”
जीतन राम मांझी की यह पोस्ट साफ-साफ बता रही है कि लालू यादव द्वारा अपने बेटे को बाहर निकालने के बावजूद यह विवाद अभी थमने वाला नहीं है। क्योंकि बिहार और केंद्र, दोनों जगहों पर सरकार चला रहे एनडीए गठबंधन के नेताओं के पास कुछ और भी नाम हैं।
( लेखक – संतोष कुमार पाठक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं। ये पिछले 20 वर्षों से दिल्ली में राजनीतिक पत्रकारिता कर रहे हैं। )