कपिल के आरोपों पर चुप्पी तोड़ी केजरीवाल ने , जेटली ने किया 10 करोड़ की एक और मानहानि का मुकदमा

 

दिल्ली

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कैबिनेट से हटाए गए मंत्री कपिल मिश्रा के आरोपों पर पहली बार चुप्पी तोड़ी। केजरीवाल ने कहा, “मिश्रा के आरोप जवाब के लायक नहीं है और उनके विरोधी भी ऐसे आरोपों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। अगर मेरे खिलाफ लगाया एक भी आरोप सही होता तो मैं जेल में होता।” उधर, केजरीवाल के जवाब पर कपिल ने कहा कि केजरीवाल सबूतों और आरोपों पर कुछ नहीं बोले।

कपिल का नाम लिए बगैर केजरीवाल ने कहा, “दुनिया की बड़ी से बड़ी भ्रष्टाचारी ताकतों से लड़ने की हिम्मत रखता हूं मैं, लेकिन जब अपने धोखा देते हैं तो दर्द होता है, बहुत दर्द होता है।हमारे आंदोलन को पिछले कुछ दिनों में बड़े हमलों का सामना करना पड़ा। यह अच्छी खबर है, क्योंकि इससे यह बात साफ होती है कि हम उनके लिए बड़ा खतरा हैं।”

केजरीवाल ने कहा कि “लोग पूछ रहे हैं कि मैं आरोपों का जवाब क्यों नहीं दे रहा हूं। ऐसे बेकार आरोपों पर मुझे जवाब क्यों देना चाहिए? लोगों और यहां तक कि मेरे विरोधियों को भी इन आरोपों पर यकीन नहीं हो रहा है। अगर मेरे खिलाफ लगाया गया एक भी आरोप सही होता तो अब तक मैं जेल में होता।”

आपको बता दे कि कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी के चंदे पर भी सवाल उठाए हैं। इस पर केजरीवाल ने कहा, “इस पार्टी का चंदा बेहद पवित्र है, जब तक मैं इस पार्टी की कमान संभाले हुए हूं, भरोसा रखना इसे कभी अपवित्र नहीं होने दूंगा।”

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केजरीवाल के जवाब पर कपिल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल न सबूतों पर बोले और न ही हवाला कारोबार के आरोपों पर। कालेधन के दस्तावेजों पर भी ने कुछ कहा। मिश्रा ने कहा, “यह नए केजरीवाल हैं जो कह रहे हैं कि अगर अपराधी होता तो जेल में होता, जेल में नहीं हूं, इसका मतलब अपराधी नहीं। जेल में तो शीला दीक्षित भी नहीं है, कलमाडी भी नहीं है, रेड्डी भी नहीं और यहां तक कि दाऊद भी नहीं है।”

वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट में मानहानि केस में सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बाद केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली ने केजरीवाल के खिलाफ एक और मानहानि का केस कर दिया है। इस मानहानि के मामले में जेटली ने 10 करोड़ रुपये की मांग की है।

बुधवार को जिरह के दौरान केजरीवाल के पक्ष की तरफ से जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थी। इस दौरान एक आपत्तिजनक शब्द को लेकर दोनों पक्षों में गरमागरम बहस भी हो गई थी।

हाईकोर्ट ने कोर्ट में हुई इस तरह की हरकत पर कहा था कि जिरह कानून के दायरे में होनी चाहिए। इस प्रकार की टिप्पणियों से मानहानि करने वाले व्यक्ति को और अधिक अपमान का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसी टिप्पणियां दुष्कर्म के मामले में होने लगीं तो पीड़िता का तो बार-बार अदालत में ही बलात्कार होगा।