आधार कार्ड ने बनाया भारत को नंबर वन

आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर भले ही सुप्रीम कोर्ट कई बार सरकार को कड़ी फटकार लगा चुकी हो लेकिन सरकार लगातार इसकी उपयोगिता को कई सेवाओं में अनिवार्य बनाती जा रही है । ऐसे में सरकार के लिए यह किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं है कि इसी आधार कार्ड ने भारत को दुनिया में नंबर वन के स्थान पर ला दिया है ।

हाल ही में आई ‘ट्रस्ट इन टेक्नोलॉजी’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि , ‘‘औसत आधार पर अपनी पहचान के लिए ‘आंखों की पुतली’ का इस्तेमाल किसी अन्य देश की तुलना में भारतीय तिगुना करते हैं। भारत में यह आंकड़ा नौ प्रतिशत है जबकि अन्य देशों में तीन प्रतिशत।’’ रिपोर्ट के अनुसार जब नई तकनीक को अपनाने की बारी आती है तो पश्चिम की तुलना में एशिया और पश्चिमी एशिया के देश काफी आगे हैं क्योंकि इसे लेकर उनकी समझ बेहतर है और वह इस पर विश्वास को लेकर ज्यादा सकारात्मक हैं। यह रिपोर्ट 11 देशों के 12,019 लोगों की प्रतिक्रिया के आकलन पर तैयार की गई है। इसमें कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, भारत, मेक्सिको, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। उसमें कहा गया है कि इसका उपयोग ना सिर्फ ग्राहकों के रूझान से बड़ा है बल्कि सरकारें भी इसका बड़े पैमाने पर प्रसार कर रही हैं।

आपको बता दे कि भारत सरकार ने 2009 में आधार परियोजना शुरू की थी। यह दुनिया का सबसे बड़ा बायोमीट्रिक संग्रहण कार्यक्रम है। उंगलियों के निशान की तकनीक अपनाने के मामले में चीन (40 प्रतिशत) अव्वल है। इसके बाद भारत (31 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (25 प्रतिशत) का स्थान है। बायोमीट्रिक तकनीक में पहचान के लिए व्यक्ति के शरीर के अंगों के डाटा का उपयोग किया जाता है। इसमें उंगलियों के निशान, आंखों की पुतली का स्कैन और रक्त का डीएनए इत्यादि शामिल है।

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