घर-घर तक विद्यालय के पहुंचने की कहानी

प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव, शिक्षाविद्द

21वीं सदी के दूसरे दशक का अंतिम वर्ष इतिहास के पन्नों में अपने वैविध्य के लिए जाना जाएगा। जिस समय सोशल मीडिया के अंतर्गत फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, लिंकडेन, टेलीग्राम, ट्वीटर और अन्य प्लेटफॉर्म का विकास हो रहा था, तो यह महज सूचना के आदान-प्रदान और व्यक्ति के मनोरंजन तथा व्यक्तित्व की विभिन्न क्षमताओं के प्रदर्शन का एक आसान, सहज और सरल माध्यम था। परंतु किसी ने यह नहीं सोचा था कि यह सोशल मीडिया एक दिन शिक्षा जगत से सीधे जुड़ कर के न सिर्फ विभिन्न छात्र समूहों को शिक्षा प्रदान करेगा अपितु शिक्षा और अन्य शैक्षिक गतिविधियों का एकमात्र माध्यम बन जाएगा।

कोविड-19 ने बदल दी दुनिया

चीन के वुहान शहर से निकला कोविड19 नामक राक्षस संपूर्ण विश्व को इस कदर भयावह और आतंकित करेगा कि संपूर्ण विश्व अपनी चारदीवारी में कैद हो जाएगा। परंतु देश और विश्व के विकास के लिए शिक्षण, शैक्षिक गतिविधियां, मनन-चिंतन, शोध आदि चीजों का अनवरत चलना अत्यंत आवश्यक है और इन सब चीजों को माध्यम प्रदान किया सोशल मीडिया ने। विद्यालय जोकि एक ऐसी एक ऐसा शैक्षणिक संस्थान है जहाँ पर विद्या के अर्जन और विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए अध्यापक, विद्यार्थी और शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़ी हुई समस्त क्रियाओं का आयोजन किया जाता है। परंतु आज कोविड19 नामक महामारी के कारण जब प्रत्येक व्यक्ति अपने घरों में कैद है तो बच्चों का विद्यालय जाना संभव नहीं है। बच्चों की पढ़ाई और उनके शैक्षिक गतिविधियों के संचालन तथा उनके चिंतन को आयाम देने के लिए सरकार ने इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की है। बहुत सारे अध्यापक वर्ग और कोचिंग संस्थान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की मदद से पहले ही अपने विभिन्न प्रकार की कक्षाओं का आयोजन यूट्यूब, जूम और अन्य ऐप के माध्यम से कर रहे हैं। आज जब संपूर्ण जगत घरों में कैद है तो कमोबेश यह समस्त तकनीकी हमारे विद्यालय को हमारे घर तक ला रही है। आज तकनीकी के माध्यम से विद्यालय का जो पठन- पाठन का माहौल है वह हमारे घर में ही निर्मित हो रहा है।विद्यालय हमारे पाठ्यक्रम से जुड़ी हुई विषय वस्तु को ऑनलाइन माध्यम से वीडियो, एनिमेशन, शिक्षण आधारित गतिविधियाँ, विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट आदि के द्वारा हम तक पहुँचा रहा है और विद्यालय के भौतिक वातावरण को छोड़ कर के अन्य प्रकार के वातावरण  का सृजन हमारे घरों में किया जा रहा है।

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इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ व्यापक

विद्यालय की संकल्पना पर यह ध्यान दें तो यह पाएंगे कि विद्यालयों नामक संस्थान प्रत्येक देश की वर्तमान पीढ़ी को आने वाली समस्याओं और वर्तमान के साथ तालमेल बैठाने, उन पर नियंत्रण पाने और समस्याओं का वास्तविक हल निकालने के लिए संचालन किया जाता है। छात्र विद्यालय पहुंच पाने में असमर्थ हैं और विद्यालय भौतिक रूप से घरों में पहुंच पाने में असमर्थ है। तो इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा का प्रचलन एक वरदान है। ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल अपना मनोरंजन करने के लिए करते थे। शैक्षणिक संस्थान और शोध संस्थान को छोड़ दिया जाए तो आम जनता के लिए इंटरनेट मनोरंजन का साधन था। परंतु महामारी ने शिक्षण के समस्त आयामों को एक नया रूप ही दे दिया। आज किसी भी स्तर का विद्यालय, निजी, सार्वजनिक  विद्यालय हो इंटरनेट के माध्यम से अपने छात्रों तक पहुंच रहे हैं। अध्यापक इंटरनेट का उपयोग करके हम लोगों से हमारी विषय वस्तु से संबंधित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों पर बातचीत करते हैं और विभिन्न संकल्पना को समझाते हैं। साथ ही साथ हमको विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर कार्य करने के लिए भी देते हैं। इंटरनेट का इतना सुंदर उपयोग पहले कभी हुआ होता तो एक बड़ा वर्ग जो शिक्षा से वंचित है अध्यापकों के अभाव में, उस तक शिक्षा की पहुंच संभव होती। आज विद्यालय घर-घर पहुंच रहे हैं और शिक्षा का माहौल बनाने में बखूबी लगे हुए हैं। किसी भी चीज के चलन में शुरुआती दौर में कुछ समस्याएं आती हैं। परंतु यदि उन्हें छोड़ दिया जाए तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से शिक्षा का यह अभूतपूर्व अनुभव हम छात्रों को उत्साहित करता है। यह झिझक को समाप्त करने में मदद करता है। साथ ही साथ यह हमको हमारी विषय-वस्तु से जुड़े हुए एक विस्तृत संसार का रास्ता दिखाता है।

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इंटरनेट के माध्यम से विद्यालय का हमारे घर आना, शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन लाता है। विद्यालय प्रांगण में चल रही पढ़ाई विभिन्न प्रकार की सीमाओं से बंधी होती है। साथ ही साथ कई बार छात्रों का एक विशाल समूह जो स्वयं में डूबा रहता है वह भी इंटरनेट के माध्यम से पढ़ने के लिए उत्साहित हो जाता है। विद्यालय का इस तरह से घर आना हमें अपने किसी रिश्तेदार जो कि हमारे लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयां लेकर के आया है, उतनी ही सुखद अनुभूति कराता है। विद्यालय प्रांगण में चल रही पढ़ाई और घर में पहुंच चुके विद्यालय की पढ़ाई में बहुत अंतर है। यहाँ पर भी हम अपने एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार प्रतिदिन अपनी गतिविधियों को पूर्ण करते हैं। शिक्षक हमें गतिविधियों को संचालित करने में मदद करते हैं। उत्साहित करते हैं और मोबाइल और टीवी के माध्यम से की गई पढ़ाई रोचकता के साथ-साथ स्थायित्व भी प्रदान करती है।विद्यालय का इस तरह से हमारे घर आना हम विद्यार्थियों को पंख लगा देता है। साथ ही साथ हमारी रचनात्मक शक्तियों को  उद्भूत करते हुए पठन-पाठन के आकाश में उड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

निःसंदेह एक वर्ग ऐसा भी है जहाँ विद्यालय घर तक नहीं पहुँच पाएँ है क्योंकि उनके घर तक जाने का रास्ता(इंटरनेट और उनको संचालित करने के उपकरण) ही नहीं उपलब्ध है।

पर इससे इतर यदि छात्र अपनी रचनाधर्मिता और अपनी शक्तियों का सकारात्मक उपयोग करें तो हमारे घर तक पहुँचे विद्यालय हमें बहुत कुछ सीखा और पढ़ा रहे हैं। कोविड19 कि इस भयानक महामारी के बीच विद्यालयों का यूँ घर पहुँचना स्पष्ट संदेश देता है-

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हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन।

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन।

( लेखक-प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव, स्नातकोत्तर शिक्षक संगणक विज्ञान-के वी न्यू बंगाईगाँव )