20 साल बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही पदों पर हिंदू

उपराष्ट्रपति पद के लिए  एनडीए उम्मीदवार के तौर पर वैंकेया नायडू द्वारा पर्चा भरने के साथ ही देश में दोनों पदों में से एक पर अल्पसंख्यक समाज के व्यक्ति को बिठाने की परंपरा भी टूट गई है। पिछले 20 साल से दोनों में से कोई एक पद अल्पसंख्यक समाज के पास रहता था । देश में आखिरी बार 1997 में दोनों पदों पर हिंदू चेहरे नजर आय थे ।  1997 में राष्ट्रपति पद पर के आर नारायणन और उपराष्ट्रपति पद पर कृष्णकांत विराजमान थे। इसके बाद 2002 में राष्ट्रपति पद एपीजे अब्दुल कलाम के पास रहा तो वहीं हिंदू भैरो सिंह शेखावत उपराष्ट्रपति बने ।

2007 में प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति बनी तो अल्पसंख्यक समाज से हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति बनाया गया। 2012 में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने तो अल्पसंख्यक समाज से एक बार फिर हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति बनाया गया। 1997 से पहले कई बार ऐसा मौका आया जब दोनों पदों पर बहुसंख्यक हिंदू विराजमान थे । लेकिन बीजेपी की जीत के बाद से अल्पसंख्यक राजनीति का दौर ऐसा बदला कि इस बार दोनो में किसी एक पद पर अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति के चुनाव जीतने की बात तो छोड़िये , विपक्षी दलों ने इस समुदाय के नेता को टिकट तक देना उचित नहीं समझा।

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