लालबत्ती पर मोदी सरकार के फैसले का दिखने लगा असर, मंत्रियों ने समय से पहले ही उतारी बत्ती

दिल्ली

मोदी सरकार द्वारा वीवीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए लाल और नीली बत्ती पर 1 मई से लगाई गई रोक का असर अभी से दिखने लगा है। बुधवार को कैबिनेट के फैसले के ठीक बाद एक के बाद एक केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी गाड़ियों से लाल बत्ती हटानी शुरू कर दी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी,  महेन्द्रनाथ पान्डेय, गिरिराज सिंह, महेश शर्मा, विजय गोयल के साथ ही बीजेपी शासित महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी अपनी कार से लाल बत्ती हटवा दी।

बिहार के नवादा से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को जैसे ही इस फैसले के बारे में जानकारी मिली, उन्होंने अपनी गाड़ी से खुद ही लाल बत्ती हटा दी। बिहार के शेखपुरा के बरबीघा दौरे पर गए सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्री सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का यह फैसला स्वागतयोग्य है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जनता और नेताओं में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। लाल और पीली बत्ती को खत्म किया जाना चाहिए।’ कैबिनेट के इस निर्णय के बाद केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री मंत्री महेश शर्मा और केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने भी अपनी गाड़ियों से लाल बत्ती हटा ली है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेन्द्र नाथ पांडेय ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व की तारीफ करते हुए हुए खुद ही अपनी गाड़ी से लाल बत्ती हटा दिया ।

आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह फैसला लिया है कि 1 मई को मजदूर दिवस के दिन से यह फैसला लागू होगा। यह रोक केंद्रीय मंत्रियों और अफसरों पर लागू होगी। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि लालबत्ती की इजाजत पीएम को भी नहीं होगी। इसके अलावा, ये फैसला राज्य सरकार पर भी लागू होगा। हालांकि, इमर्जेंसी सर्विसेज को नीली बत्ती के इस्तेमाल की इजाजत रहेगी।

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इससे पहले, पीएमओ ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी। यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में लगभग डेढ़ साल से लंबित था। इस दौरान पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी।  सड़क परिवहन मंत्रालय ने लाल बत्ती वाली गाड़ियों के इस्तेमाल के मुद्दे पर कई वरिष्ठ मंत्रियों से चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने पीएमओ को कई विकल्प दिए थे। इन विकल्पों में एक यह था कि लाल बत्तियों वाली गाड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद किया जाए। दूसरा विकल्प यह कि संवैधानिक पदों पर बैठे 5 लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। इन 5 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हों। लेकिन , पीएम ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला किया।