सच सामने आना जरूरी है-दिल्ली हिंसा एक सोची समझी प्रायोजित साजिश है?

संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

जिस तरह से दिल्ली में “मोबाइल-गुलेल” मिली है और दूसरे आगजनी के सामान, ये त्वरित प्रतिक्रिया का मामला नही था, ये सोची समझी साजिश थी!

इन दंगों में जितनी जान-माल की हानि हुई है, ये किसी भयावह आतंकी हमले से भी बढ़कर है!!

देखने वाली बात ये है कि मीडिया का एक बड़ा धड़ा कुछ एक लोगों पर पहले ही जजमेंट दे चुका है, सारा ठीकरा वो पहले ही फोड़कर investigation की इतिश्री कर चुका है! समझने वाली बात ये है कि क्या इतना आसान है जितना हम समझ रहे है?

हमारे ही देश में ऐसे लोगों की संख्या कम नही है जोकि हर मौके पर देश की छवि धूमिल करने का भरसक प्रयास करते है!

पहले तो हमे इस पर कोई दोराय नही होनी चाहिए कि दिल्ली में जो हिंसा भड़की वो अनायास नही था बल्कि इसकी बाकायदा साजिश की गई थी, प्रायोजित था और टाइमिंग ऐसी चुनी गई, अमरीकी राष्ट्रपति की भारत-यात्रा! जिसमें भारत की भद्द सबसे ज्यादा पिट सकती थी!

चूंकि, अमरीकी राष्ट्रपति के दौरे के चलते विश्व भर की मीडिया दिल्ली में मौजूद थी!

अब प्रश्न ये उठता है कि ऐसा किया क्यो गया ?
…..तो इसका जवाब ये है संसद से पारित जिस कानून का विरोध किया जा रहा है उसका कोई आधार ही नही है, चूंकि इस कानून के किसी भी प्रावधान से भारत के नागरिकों के हितों का हनन नही होता! बल्कि ये पड़ोसी देशों में वहां धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों को मानवीय आधार पर भारत मे नागरिकता देने से सम्बंधित है!!

हम माने या न माने पर भारत मे भारत के खिलाफ ही विदेशी चंदे से तथाकथित बुद्धिजीवियों का एक ऐसा धड़ा तैयार कर दिया गया है!

इसे भी पढ़ें :  तेलंगाना में बनी भाजपा की सरकार तो बनाएंगे ओबीसी मुख्यमंत्री - अमित शाह ने किया Promise

जो आजादी की आड़ में अराजकता, मानवाधिकार की आड़ में अलगाववादियों को आवाज और अभिव्यक्ति की आड़ में समाज मे विकृति फैलाता है! ऐसी प्रायोजित हिंसा में अनिवार्य रुप से वो शामिल है!

एक ऐसे दौर में जब मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समक्ष तथ्य, सत्य और वस्तुपरकता का पूर्ण अभाव है, हमे और सतर्क रहने की आवश्यकता है!!

हमे अपने आँख,कान,नाक सभी ज्ञानेंद्रियों को खुला रखने की आवश्यकता है, सचेत रहने की आवश्यकता है!!

हिंसा का बहादुरी से डटकर सामना करने वाली अनेक तस्वीरें हमने देखी, जिसमे एक पुलिसकर्मी डटकर भीड़ के सामने खड़ा रहा! तो एक बहादुर पुलिसकर्मी रतनलाल ने जान तक गवाँ दी! उनकी बहादुरी को नमन!

जिनके घर का व्यक्ति इसका शिकार हुआ, ईश्वर उन्हें शक्ति दें, वो इस अपार कष्ट को सह सकें!