नागरिकता कानून के खिलाफ चर्च मिशनरी और मुस्लिम घुसपैठिए चला रहे हैं आंदोलन – अखिल भारतीय संत समिति

संत समिति का यह मानना है कि देश के गृहमंत्री को सख्ती से पूर्वोत्तर में चल रहे आंदोलन से निपटना चाहिए। क्योंकि यह आंदोलन कांग्रेस के इशारों पर चर्च मिशनरियों द्वारा प्रायोजित है, उसी प्रकार जिस प्रकार असम का आंदोलन बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा प्रायोजित है।

अखिल भारतीय संत समिति की तरफ से राष्ट्रीय महामंत्री जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बयान जारी कर नागरिकता संशोधन विधेयक का संतों की तरफ से पुरजोर समर्थन किया है . उन्होंने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए इसके खिलाफ चल रहे आंदोलन को सख्ती से कुचलने का भी अनुरोध भारत सरकार से किया है.

अखिल भारतीय संत समिति की तरफ से जारी बयान

अखिल भारतीय संत समिति भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और यशस्वी गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा लाए गए सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल का हार्दिक स्वागत करती है। यह पहली बार हो रहा है कि देश का दुर्भाग्य था कि देश का बंटवारा हुआ और वह भी धर्म के आधार पे मुसलमानों को तत्कालीन परिस्थितियों में एक और बाद में दो पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश मिले और हिन्दुओं का दुर्भाग्य ये था कि उन देशों में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए मौत मिली… अपमान मिला… इस सबसे उबारते हुए भारत सरकार ने दिखा दिया कि भारत मां पुरे दुनिया के हिन्दुओं की मां है, दुनिया के प्राचीनतम संस्कृति और सभ्यता की यह जननी भारत मां की गोद अपने उन सभी बेटों के लिए जिनका जन्म, जिनकी संस्कृति, जिनका संप्रदाय इस भारत भूमि में उपजा है वो सभी भारत मां की संताने हैं, और इन सभी संतानों के लिए मां की गोद, मां का आंचल, मां का दूध सबके लिए सुलभ है, उपलब्ध है। इस भावना के साथ प्रधानमंत्री जी ने इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया है और आज यह देश का कानून बन चुका है।

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संत समिति का यह मानना है कि देश के गृहमंत्री को सख्ती से पूर्वोत्तर में चल रहे आंदोलन से निपटना चाहिए। क्योंकि यह आंदोलन कांग्रेस के इशारों पर चर्च मिशनरियों द्वारा प्रायोजित है, उसी प्रकार जिस प्रकार असम का आंदोलन बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा प्रायोजित है। और यह सारा आंदोलन चाहे उत्तर प्रदेश के देवबंद में आंदोलन कर रहे हों, कश्मीर की घाटी में आंदोलन कर रहे हों, या असम के अंदर आंदोलन कर रहे हों, इस तरह का आंदोलन गजवा-ए-हिन्द है।* और जहां तक रही समानता की बात तो ये भारत के नागरिकों के लिए भारत का संविधान लागू होता है, दुनिया से आने वाले धुसपैठियों, अवैध बांग्लादेशी, पाकिस्तानी, रोहिंग्या, घुसपैठी मुसलमानों के लिए यह कानून लागू नहीं होता है।

इस नाते यह मानवता का पाठ, समानता के संवैधानिक अधिकार का पाठ, विपक्षी दल के लोग बंद करें, अन्यथा हिन्दू समाज और संत समाज अभी चूप है, वो प्रेरित न करें की हम उनके विरोध में मोर्चा खोलने को विवश हो जाएं।

भारत सरकार ने पूरी दुनिया के हिन्दुओं के लिए ठीक उसी प्रकार जैसे इजरायल का यहुदी पूरी दुनिया में कहीं रहता हो, लेकिन इजरायल वो कभी भी आ सकता है, उसी प्रकार दुनिया का सनातनी हिन्दू दुनिया में कहीं भी रहता हो, अगर वह अपमानित होगा तो अपने घर में आ सकता है, अपनी मां के पास बैठ सकता, रह सकता है।

इन भावनाओं के लिए वर्तमान भारत सरकार को अखिल भारतीय संत समिति के द्वारा ढेर सारा साधूवाद।