जनरल वी.के.सिंह की जुबानी – 1971 के पराक्रम की कहानी

भारत से अलग होकर गठित हुआ पाकिस्तान अपने जन्म के समय से ही भारत के प्रति शत्रुता के रोग से ग्रसित है। भारत ने कई बार पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई है। 1971 में पाकिस्तान को बुरी तरह हराने और बांग्लादेश के गठन के साथ ही दुनिया ने यह मान लिया कि धर्म के आधार पर पाकिस्तान का गठन अनुचित था। इस लड़ाई में एक सैनिक के तौर पर शामिल होने वाले वी.के.सिंह जो आगे चलकर आर्मी चीफ भी बने और वर्तमान में गाज़ियाबाद से सांसद और मोदी सरकार में मंत्री हैं, अपनी कलम से भारतीय सेना के तीनों अंगों के शौर्य की कहानी लिख रहे हैं। इसे पढ़कर एक बार फिर से आपका मन भारतीय सेना को सैल्यूट करने का हो जाएगा। जय हिंद।

भारतीय सेना की बहादुरी की कहानी- जनरल वी.के.सिंह की कलम से

धर्म के आधार पर देश का 1947 में बँटवारा अंग्रेजी शासकों की षड्यंत्र था। इस्लामिक आबादी के हिसाब से पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान की स्थापना हुई। परन्तु पाकिस्तान के साथ जाने के बावजूद पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के साथ हमेशा भेद भाव एवं अत्याचार ही हुआ। इस कारण उनमे असन्तोष की भावना पनपी।

 

जब जनाक्रोश क्रांति का रूप लेने लगा तो जनान्दोलन को दबाने के लिए पाकिस्तान की हुकूमत ने जनरल टिक्का खान को वहाँ तैनात किया, जिसने कथित रूप से पूर्वी पाकिस्तान में अपने ही लोगों पर ऐसी बर्बरता दिखाई कि उसे “बंगाल के कसाई” का उपनाम दिया गया। उसकी कुख्यात प्राथमिकता थी ज़मीन पाना, न कि उस पर जिंदा लोग। अनुमानित है कि इस संघर्ष में 30 लाख साधारण नागरिक मरे।

1971 की लड़ाई में सैनिक के तौर पर शामिल हुए वी.के.सिंह की तस्वीर

भारत ने अपनी सीमाएँ शरणार्थियों के लिए खोलीं, और अंतर्राष्ट्रीय संप्रदाय से इस अत्याचार को रोकने के लिए अपील की। सभी फ़रियाद अनसुनी रह गयी। जब पाकिस्तान को लगने लगा कि भारत इस मानवीय विपदा की तरफ पीठ कर के नहीं बैठा रहेगा तो 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत की 11 हवाई पट्टियों पर हमला कर दिया। इसी के साथ भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐसा युद्ध शुरू हो गया जिसने भारत उपमहाद्वीप की राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूपरेखा बदल कर रख दी।
मेरे लिए गर्व का विषय है कि इस ऐतिहासिक युद्ध में मैं एक सैनिक था। इस युद्ध में अपने अनुभव मैं आने वाले कुछ दिनों में आपसे साझा करूँगा।

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परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की वीरता की कहानी

वीरवार को परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की 49वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए जनरल वी.के.सिंह ने उनकी बहादुरी पर एक निजी चैनल द्वारा बनाये गए वीडियो को भी शेयर किया।

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4 दिसंबर को नौसेना दिवस क्यों मनाया जाता है ?

1971 की लड़ाई में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को घुटने पर लाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इस लड़ाई में इंडियन नेवी ने ऑपेरशन ट्राइडेंट चला कर पाकिस्तान के कराची स्थित नौसेना मुख्यालय को ध्वस्त कर दिया था। इस अभियान की शुरुआत 4 दिसंबर को हुई थी और इसी वीरता की याद में हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस के रुप में मनाया जाता है।

इंडियन नेवी को सैल्यूट करते हुए जनरल वी.के.सिंह ने लिखा

1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना ने एक ऐसे अभियान को अंजाम दिया, जिसकी सफलता और युद्धकौशल के लिए आज भी उसका उदाहरण दिया जाता है।

4 दिसम्बर, 1971 को Operation Trident में पाकिस्तानी नौसेना और कराची पर इतना अनापेक्षित एवं घातक हमला हुआ, कि दुश्मन सेना के हाथों के तोते उड़ गए। दक्षिण एशिया में पहली बार युद्धपोत से मिसाइल दागी गयीं, और पाकिस्तानी कमान को तो यही लगा कि उनका इतना भारी नुकसान भारतीय वायुसेना ने किया होगा।

दुश्मन आकाश देखते रह गए, और यहाँ हमारी नौसेना शत्रु का काल बन कर वापस सुरक्षित देश लौट आयीं। अभियान के बाद दुश्मन इतना घबरा गया था कि उद्विग्नता में अपनी ही युद्धपोत को निशाना बना बैठा।

आइये, नौसेना दिवस पर भारतीय नौसेना की शानदार उपलब्धियों और देश की सुरक्षा में उसके महत्त्व की सराहना करें। जय हिन्द !

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