कार्यक्रम के दौरान, रक्षा मंत्री ने देश के प्राचीन रणनीतिक कौशल की खोज और समकालीन सैन्य क्षेत्र में एकीकरण के माध्यम से स्वदेशीय संवाद को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सहयोग से ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ भी लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अध्यक्ष, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह की गरिमामयी उपस्थिति अन्य गणमान्य व्यक्तियों में थी।
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश की सुरक्षा में सशस्त्र बलों की बेजोड़ बहादुरी और अमूल्य भूमिका का प्रदर्शन करने वाला यह भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव देश के युवाओं को प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि इससे वे भारतीय सेना और उनके शौर्यपूर्ण कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्साहित होंगे।
सैन्य विरासत महोत्सव
कई सदियों पुराने एक लंबे और गौरवशाली सैन्य इतिहास और रणनीतिक संस्कृति के होते हुए भी, लोग इसके विभिन्न पहलुओं से काफी हद तक अनजान हैं। यह महोत्सव 21वीं सदी में सशस्त्र बलों के विकास के लक्ष्यों को बातचीत के माध्यम से प्राप्त करते हुए सैन्य इतिहास और विरासत के साथ सार्वजनिक जुड़ाव के क्षेत्र में एक मानदंड स्थापित करना चाहता है।
महोत्सव का उद्देश्य भारतीय सैन्य संस्कृति, परंपराओं और इतिहास के अध्ययन को नया बल देना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल में ठोस मूल्य जोड़ना है। यह भारत और दुनिया से संबंधित सुरक्षा, रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से संबंधित विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।
महोत्सव में सैन्य बैंड प्रदर्शन के माध्यम से सैन्य संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें आर्मी सिम्फनी बैंड प्रस्तुति और ब्रास बैंड प्रदर्शन और एक सांस्कृतिक पर्व की शाम शामिल है। देश के लंबे और शानदार सैन्य इतिहास में विशिष्ट मील के पत्थर और उपलब्धियों को उजागर करने और उत्सव मनाने के लिए संस्कृति मंत्रालय के भारतीय विरासत संस्थान के सहयोग से एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट उद्भव
इस परियोजना की आवश्यकता को एक समीक्षात्मक समझ द्वारा बल प्रदान किया गया है: जबकि विश्व स्तर पर प्रचलित वर्तमान सैन्य अवधारणाओं को बड़े पैमाने पर पश्चिमी सेनाओं के अनुसंधान और सिद्धांतों द्वारा आकार दिया गया है, वे अद्वितीय, स्थानीय आवश्यकताओं और समृद्ध सांस्कृतिक के लिए पूरी तरह से उपयुक्त नहीं हैं। भारतीय सेना की रणनीतिक विरासत परियोजना के माध्यम से, भारतीय सेना अंगीकार करती है कि राष्ट्र प्राचीन ग्रंथों और पांडुलिपियों से समृद्ध है जो शासन कला, युद्ध और कूटनीति में परिष्कृत, विविध और प्रासंगिक रूप से समृद्ध रणनीतियों का चित्रण करता है। यह परियोजना नई, स्वदेशी रूप से प्रतिध्वनि वाली सैन्य अवधारणाओं को विकसित करने, मौजूदा रणनीतियों को बनाने और बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उछाल है, जबकि उन्हें ऐतिहासिक दस्तावेजों में निहित समृद्ध, विविध सामरिक और रणनीतिक ज्ञान के साथ जोड़ा गया है।
‘प्रोजेक्ट उद्भव’ स्वदेशी रणनीतिक विकास के केंद्र के रूप में उभरने को तैयार है। यह पहल एक रणनीतिक शब्दावली और वैचारिक ढांचे को बुनने के लिए डिज़ाइन की गई है जो भारत की दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत में गहराई से अंतर्निहित है। यह एक मजबूत, प्रगतिशील और भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना के लिए मंच प्रदान करता है जो न केवल देश की ऐतिहासिक सैन्य दूरदर्शिता से मेल खाती है बल्कि समकालीन युद्ध और कूटनीति की मांगों और गतिशीलता से भी मेल खाती है। यह परियोजना भारत के रणनीतिक विचार और सैन्य इतिहास के समृद्ध, विविध और अक्सर कम खोजे गए विचारों के खजानों की खोज और प्रसार करने के लिए गहन अनुसंधान, चर्चा, अध्ययन और संलग्नताओं की एक श्रृंखला का संकेत देती है।
]]>भारतीय सीमाओं की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी निभाने वाला सीमा सुरक्षा बल – BSF आज अपना 56वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित कई दिग्गजों ने बीएसएफ के जवानों को उनकी राष्ट्रसेवा के लिए नमन करते हुए 56 वें स्थापना दिवस की बधाई दी।
आपको बता दें कि बीएसएफ की स्थापना एक दिसंबर, 1965 को की गई थी। बीएसएफ पाकिस्तान के साथ लगती अंतर्राष्टीय सीमा और 1971 में बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के बाद उसके साथ भी लगती सीमा की निगरानी और रक्षा करता है। इसके साथ ही आतंकवाद और नक्सलवाद के दौर में बीएसएफ के जवानों को कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों समेत कई आंतरिक चुनौतियों से निपटने के लिए भी लगातार तैनात किया जाता रहा है।
पीएम मोदी ने किया सैल्यूट- दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के स्थापना दिवस पर उसे बधाई दी और कहा कि भारत को देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करने वाले इस बल पर गर्व है। प्रधानमंत्री मोदी ने जवानों को उनके समर्पण के लिए सैल्यूट करते हुए ट्वीट किया ,
‘‘बीएसएफ के स्थापना दिवस के विशेष अवसर पर उसके कर्मियों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं। बीएसएफ ने एक बहादुर बल के तौर पर अपनी पहचान बनाई है, जो देश की रक्षा करने और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नागरिकों की सहायता करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। बीएसएफ पर भारत को गर्व है।’’
पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी
बीएसएफ पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करता है और यह बल लगातार पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम भी करता आया है। सीमा सुरक्षा बल के 56 वें स्थापना दिवस के मौके पर बीएसएफ के डीजी राकेश अस्थाना ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए देशवासियों को आश्वस्त किया कि सीमा सुरक्षा बल के जवान पाकिस्तान को प्रत्येक हिमाकत का करारा जवाब देंगे। अस्थाना ने आगे अपने संबोधन में कहा कि वो उन सभी बीएसएफ कर्मियों के परिवारों को अपना सम्मान देते हैं, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया।
POSITIVE KHABAR भी BSF के बहादुर जवानों को सलाम करता है, सैल्यूट करता है और 56 वें स्थापना दिवस पर नमन करते हुए बधाई देता है।
]]>भारत सरकार ने यह पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया है कि चीन की सेना भारतीय क्षेत्र में घुस आई है। चीनी सेना की घुसपैठ पर आधिकारिक बयान इस बार स्वयं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से आया है इसलिए यह साफ हो गया है कि इस बार चीन का मंसूबा जितना खतरनाक है , भारत सरकार भी उसी दृढ़ता के साथ जवाब देने की तैयारी कर रही है।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दुनिया भर में आलोचना का शिकार हो रही चीन को यह लग रहा है कि इस तनातनी के सहारे वो दुनिया के बड़े देशों का ध्यान भटका सकती है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े देशों को चीन विरोधी एजेंडे को त्यागने को मजबूर कर सकती है और यही सोचकर चीन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में लगा हुआ है।
चीनी सेना की घुसपैठ पर रक्षा मंत्री का बयान
सबसे पहले बात कर लेते हैं भारत सरकार के कद्दावर मंत्री और सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले मोदी सरकार के अहम मंत्रियों में शामिल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान की। रक्षा मंत्री ने यह माना कि पूर्वी लद्दाख में बड़ी तादाद में चीनी सेना प्रवेश कर गई है। रक्षा मंत्री के मुताबिक, “चीन वहां तक आ गया है जिसे वह अपना मानता है , जबकि भारतीय उसे अपना मानते हैं। दोनो देशों के बीच इस बात को लेकर मतभेद हुए हैं और अच्छी-खासी संख्या में चीन के लोग भी आ गए हैं।“ हालांकि इसे साथ ही इन्होने पुरजोर शब्दों में यह भी कहा कि भारत अपनी मौजूदा स्थिति से किसी भी कीमत पर कदम पीछे नहीं लेगा और सरकार किसी भी रूप में देश का सर झूकने नहीं देगी। उन्होने यह विश्वास दिलाया कि सरकार को जो करना चाहिए , वो सरकार ने अपनी तरफ से किया है।
5 मई से शुरू हुआ विवाद, 6 जून की तारीख है महत्वपूर्ण
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा ( जिसे एलएसी के नाम से जाना जाता है ) परकई स्थानों को लेकर दोनों देशों में विवाद है। चीन अपनी दादागिरी के बल पर भारतीय क्षेत्र में यदा-कदा घुसपैठ करता रहा है लेकिन अब भारतीय सेना भी मुंहतोड़ जवाब दे रही है। ताजा विवाद की शुरूआत पिछले महीने 5 मई को हुई थी ,जब सैकड़ों चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए थे। उसी दिन भारतीय सीमा में गश्त कर रहे हमारे सैनिकों के साथ उन्होने हाथापाई भी की। इसके बाद हालात तेजी से बदलने लगे। सीमा पर भारतीय सेना और कूटनीतिक स्तर पर भारत सरकार के रवैये ने चीन को यह बखूबी समझा दिया कि इस बार उसे करारा जवाब मिलने वाला है। भारत के आत्मबल को देखिए कि उसने मध्यस्थता करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऑफर को भी ठुकराते हुए यह साफ-साफ कहा कि चीन के साथ मतभेद सुलझाने के लिए वह अकेले ही काफी है। भारत के इस स्टैंड ने चीन को यह बता दिया कि सीमा पर चीनी हरकत से निपटने में भारत सक्षम है और वह किसी भी स्तर पर इसे अंतर्राष्ट्रीय विवाद का मुद्दा नहीं बनने देगा, जैसा कि चीन की मंशा है। ऐसे में तुंरत ही चीन ने शांति का राग अलापना शुरू कर दिया और अब बताया जा रहा है कि भारतीय और चीनी सेना के अधिकारियों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने को लेकर 6 जून को अहम बैठक होने जा रही है।
यह भारत 1962 का भारत नहीं है
एक तरफ जहां बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश की जा रही है तो वहीं साथ ही दूसरी तरफ भारत ने भी चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को तेज कर दिया है। चीन के नापाक मंसूबों को देखते हुए भारत ने चीन सीमा से सटे अपने सैन्य अड्डों पर तोपों , टैंकों, हथियारों और अन्य युद्धक उपकरणों को तैनात कर दिया है। भारतीय सेना वहां पर लगातार अपनी ताकत और संख्या को बढ़ा रही है। चीन की चालबाजी देखिए कि एक तरफ जहां वो शांति का राग अलाप रहा है, रोजाना सैन्य अधिकारी के स्तर पर बातचीत कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सीमा पर सैन्य ताकत बढ़ा रहा है और तोप,टैंक सहित अन्य युद्धक साजो-सामान भी एकत्र कर रहा है। साफ-साफ लग रहा है कि चीन भारत को बातचीत में उलझा कर 1962 की तरह ही धोखा देने का षडयंत्र रच रहा है। ऐसा मंसूबा बनाते समय शायद चीन यह भूल रहा है कि यह 2020 का भारत है । यह 1962 का भारत नहीं है जब चीन ने भारत को हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे में उलझा कर धोखे से आक्रमण कर दिया था। उस समय भी कुर्बानी के जोश और जज्बे से भरी हुई भारतीय सेना चीनी सेना पर भारी पड़ी थी लेकिन अचानक हुए हमले और सैन्य तैयारियां नहीं होने की वजह से हमें हार का सामना करना पड़ा था। उस समय एक तरफ चीन था , जिसके तानाशाह ने धोखे से भारत को सबक सिखाने की योजना कई साल में बनाई थी तो दूसरी तरफ भारत था, जिसकी सरकार को यह आभास भी नहीं था कि चीन हम पर हमला कर सकता है। कूटनीतिक तैयारियों का आलम देखिए कि हमारे सबसे करीबी माने जाने वाले सोवियत संघ रूस ने भी हमें ठेंगा दिखा दिया था। लेकिन अब माहौल बदल गया है। भारत की सेना हो या सरकार, सभी चीन के नापाक मंसूबों को समझ चुके हैं। सीमा पर इस बार भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है। राजधानी दिल्ली में बैठी सरकार कूटनीतिक स्तर पर भी चीन की घेरेबंदी करने की तैयारी कर रही है।
इस बार क्यों बौखलाया है चीन ?
दरअसल , चीन की फितरत बहुत अजीब सी है। आत्मसम्मान से रहित यह देश अपने स्टैंड को बदलने में तनिक भी वक्त नहीं लगाता है। कुछ महीने पहले , यही चीन भारत से लगातार गुहार लगा रहा था कि अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों की सरकारों द्वारा कोरोना वायरस को चीनी वायरस कह कर संबोधित करने के मुद्दें पर भारत उसका साथ दे और उसके कुछ दिनों बाद ही चीन ने अपना असली चेहरा दिखा दिया।
हालांकि इस बार चीन के बौखलाने की कई और वजहें भी हैं। दुनियाभर में कोरोना फैलाने की चीन की साजिश बेनकाब हो गई है और उसकी अर्थव्यवस्था भी दांव पर लग गई है। चीन में स्थापित दुनिया के कई देशों की कंपनियां भारत आने की तैयारी कर रही है तो वहीं सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले देश भारत में चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम भी जोर पकड़ती जा रही है। आर्थिक नुकसान की इसी आशंका से ग्रस्त चीन इस तरह की हरकतें कर रहा है।
लड़ाईयों में पराजित होने का लंबा रिकॉर्ड रहा है चीन का
यह बात उन लोगों को बहुत अजीब लग सकती है जो चीन को एक महाशक्ति मानते हैं लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि चीन उतना ही प्राचीन देश है जितना कि भारत और युद्ध में हारने का चीन का एक लंबा इतिहास रहा है। यह भी एक सच्चाई है कि इतिहास में गिने-चुने मौकों पर ही चीन को विजय हासिल हुई है, ज्यादातर लड़ाईयों में चीन को हार का सामना ही करना पड़ा है।
आधुनिक चीन के इतिहास की बात करें तो 1894-95 में उसके आकार की तुलना में काफी छोटे देश जापान ने चीन को बुरी तरह से हरा दिया था। इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया जब ब्रिटेन, रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने खरबूजे की तरह चीन को आपस में बांट लिया था। उस समय एक देश के तौर पर चीन का अस्तिव स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में ही था लेकिन लगातार हो रही पराजय की वजह से इन देशों के साथ चीन को कई तरह की अपमानजनक संधि करनी पड़ी थी और इसकी दयनीय हालत को इतिहास में चीनी खरबूजे के काटे जाने के नाम से आज भी जाना जाता है। 1949 की चीनी क्रांति के बाद वहां पर कम्यूनिस्ट सरकार की स्थापना हुई जो आज तक चल रही है लेकिन इनके दौर में भी चीन को कई बार हार का सामना करना पड़ा। 1962 की लड़ाई भले ही चीन धोखे से जीत गया लेकिन इसके कुछ सालों के बाद ही चीन को सिक्किम के मोर्चे पर भारत से करारी हार का सामना करना पड़ा था। पिछले कई दशकों से चीन कभी पाकिस्तान , कभी श्रीलंका, कभी नेपाल या कभी अन्य किसी देश के सहारे भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है लेकिन इस नापाक कोशिश में भी चीन थोड़े समय के लिए ही भारी पड़ता नजर आता है । पाकिस्तान को छोड़कर अन्य सभी मोर्चों पर चीन को बार-बार भारत से हार का सामना ही करना पड़ा है और डोकलाम का घाव तो अभी ताजा ही है।
(लेखक – संतोष पाठक, वरिष्ठ पत्रकार हैं और इन्होंने डेढ़ दशक तक सक्रिय टीवी पत्रकार के तौर पर राजनीतिक पत्रकारिता की है)
]]>केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय सेना के नए मुख्यालय भवन का शिलान्यास किया। इस मौके पर भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद रहें। सेना के इस नए मुख्यालय के भवन की आधारशिला रखे जाने के दौरान भूमि पूजन किया गया और पूजा-अर्चना, बहुविश्वास प्रार्थना भी की गई।
39 एकड़ यानि 7.5 लाख वर्गमीटर क्षेत्र में फैले इस नए मुख्यालय में कार्यालय ,आवास परिसर और पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था होगी।
नए थल सेना भवन की आधारशिला रखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा ,
“आज जिस पत्थर को हमने रखा है वह उन जवानों का भी प्रतिनिधित्व करेगा जो कि इतिहास की गुमनामियों में खो गये। नए सेना भवन का यह पहला पत्थर एक प्रेरणा के श्रोत के रूप में हम सबके लिए काम करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण को सुनने के लिए इस वीडियो पर क्लिक कीजिए
आपको बता दें कि यह नया भवन दिल्ली कैंट एरिया में मानेकशॉ सेन्टर के ठीक सामने बनाया जा रहा है और इसके बनने के बाद वर्तमान में दिल्ली में 8 अलग-अलग जगहों पर कार्यरत सेना मुख्यालय के तमाम कार्यालय इसी नए भवन में शिफ्ट हो जाएंगे। जाहिर है कि ऐसे में सेना के कामकाज में भी और ज्यादा तेजी देखने को मिलेगी।
]]>देश आज अपने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति कृतज्ञ है। देश भर में लोग बापू को उनकी पुण्यतिथि पर याद कर रहे है। आपको बता दें कि 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा के लिए जाते हुए महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी।
बापू की याद में उन्हे नमन करते हुए दिल्ली में राजघाट पर गणमान्यों ने बापू को श्रद्धांजलि दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने बापू को श्रद्धासुमन अर्पित किये. आपको बता दें कि गुरुवार को बापू की 72वीं पुण्यतिथि है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर राजघाट जाकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया था।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इनके अलावा गुरुवार को राजघाट पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी बापू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत देश के आम और खास लोगों ने बापू को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये.
]]>नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में बीजेपी के इस मेगा अभियान की शुरूआत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजधानी दिल्ली से करेंगे. पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा 5 जनवरी को ही गाजियाबाद में लोगों के घर-घर जाकर इस अभियान को गति देंगे .
इन दोनों के साथ-साथ पार्टी के कई दिग्गज नेता और सरकार के मंत्री देश के अलग-अलग शहरों में लोगों के घरों तक जाएंगे.
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ , केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर में घर-घर संपर्क अभियान चलाएंगे. अन्य मंत्रियों की बात करें तो फरीदाबाद में रविशंकर प्रसाद, रायपुर में थावर चंद गहलोत, मुंबई में पीयूष गोयल , बेंगलुरु में डीवी सदानंद गौड़ा, जयपुर में निर्मला सीतारमण और जमशेदपुर में अर्जुन मुंडा लोगों के घर-घर जाकर नागरिकता संशोधन कानून के बारे में बताएंगे.
]]>अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि हम हमेशा अल्पसंख्यकों के हितों के लिए चिंता करते हैं. हर जगह उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े रहेंगे. उन्होने आगे कहा कि हम भारत के लोकतंत्र का सम्मान करते हैं. उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से, पर्याप्त और सशक्त बहस की. इस मुद्दे पर ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र का एक ही रुख रहता है. जाहिर तौर पर अमेरिका का यह बदला सुर भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत है.
बढ़ रहा है भारत का अंतर्राष्ट्रीय कद- फिर से माना अमेरिका ने
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारत के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव को स्वीकार करते हुए कहा कि 2+2 वार्ता में क्षेत्रीय चुनौतियों को लेकर महत्वपूर्ण और सकारात्मक चर्चा हुआ. उन्होने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के प्रति और पूरी दुनिया के प्रति भारत के नजरिए का हम सम्मान करते हैं.
बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका की परिस्थितियों पर अपनी राय साझा की. उन्होंने बताया कि हमने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तानी नेताओं की ओर से भारत विरोधी हिंसा को बढ़ावा देना शांति के लिए ठीक नहीं है. इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच क्षेत्रीय, रक्षा संबंध, आतंकवाद और व्यापारिक संबंधों पर विस्तार से बातचीत की गई.
अफगानिस्तान में शांति और विकास में भारत का योगदान
दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि बैठक में आतंक विरोधी हमारी कोशिशों के बारे में भी चर्चा हुई. सीमा पार से आने वाले आतंकियों और क्षेत्रीय खतरों के प्रति हमारी आपसी सहमति के चलते हमारे आतंक विरोधी कोशिशों में काफी सुधार हुआ है. जयशंकर ने चाबहार प्रॉजेक्ट के लिए अमेरिकी सरकार के समर्थन की बात के लिए माइक पोम्पियो का आभार जताया. उन्होंने कहा कि इस प्रॉजेक्ट से अफगानिस्तान को बड़ा फायदा होगा.
वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अफगानिस्तान में भारत के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य भारत और अमेरिका दोनों के लिए अहम है. आंतकवाद को लेकर भारत सरकार के साथ अपनी साझेदारी के बारे में बोलते हुए पोम्पियो ने कहा कि आतंकवाद चाहे यह पाकिस्तान में पैदा हो रहा हो या कहीं और. हम अमेरिकी लोगों को आतंकवाद से बचाने के लिए तैयार खड़े हैं.
]]>राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन ने इस मसले को सदन में उठाते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यह समय है जब लोग चाहते हैं कि सरकार उचित और निश्चित जवाब दे. इस प्रकार के लोगों (बलात्कारियों) को सार्वजनिक करने की आवश्यकता है.
सरकार की ओर से जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस कृत्य ने पूरे देश को शर्मसार किया है. इसने सभी को आहत किया है. अभियुक्तों को उनके अपराध के लिए सबसे कठोर सजा दी जानी चाहिए. राजनाथ ने आगे कहा कि हम संसद में किसी भी चर्चा के लिए तैयार हैं और हम इसे लेकर कठोर कानून बनाने के पक्ष में हैं.
लोकसभा में रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सदन में कठोर कानून बनाने पर सहमति बनेगी तो सरकार इसके लिए भी तैयार है. सिंह ने कहा कि इससे अधिक अमानवीय कृत्य नहीं हो सकता है. सभी शर्मसार और आहत हैं. उन्होंने आगे कहा कि निर्भया कांड के बाद इसी सदन में कठोर कानून बना था लेकिन उसके बाद भी इस तरह के जघन्य अपराध हो रहे हैं.
]]>ऑनलाइन आवेदन फॉर्म www.sainikschooladmission.in पर उपलब्ध है। इन विद्यालयों में प्रवेश के लिए वेबसाइट पर मॉर्डन प्रश्न पत्र भी उपलब्ध हैं। पंजीकरण की अंतिम तारीख 6 दिसम्बर 2019 है। प्रवेश परीक्षा 5 जनवरी 2020 को होगी।
नामांकन प्रक्रिया का विवरण इस प्रकार है-
योग्यता (उम्र) | परीक्षा का विषय और प्रश्नों की संख्या | चयन प्रक्रिया |
01, अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2010 के बीच जन्म लेने वाली छात्राएं | लिखित परीक्षा (ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न) जिसमें शामिल है
गणित (50) सामान्य ज्ञान (25) भाषा (25) बुद्धिमता (25) |
लिखित परीक्षा में प्रदर्शन और मेडिकल फिटनेस के आधार पर चयन |
और अधिक जानकारी के लिए आवेदक हेल्पलाइन नम्बर 7827969316 और 7827969318 पर सोमवार से शनिवार तक कार्य अवधि के दौरान कॉल कर सकते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अक्तूबर, 2019 में सैनिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में चरणबद्ध तरीके से छात्राओं के नामांकन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह फैसला शैक्षणिक सत्र 2020-21 से ही ऊपर वर्णित पांच सैनिक स्कूलों में लागू किया जा रहा है।
]]>पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अटल जी की परमाणु नीति को लेकर बड़ा बयान दिया है . राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘नो फर्स्ट यूज’ भारत की परमाणु नीति है, लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है . राजनाथ सिंह के इस बयान को पाकिस्तान के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है .
बड़ी बात यह है कि राजनाथ सिंह ने यह बयान पोखरण की उसी धरती पर जाकर दिया है जहां परमाणु परीक्षण करके अटल जी ने अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की थी. पोखरण में वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि देने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत एक जिम्मेदार परमाणु राष्ट्र का दर्जा रखता है और हर नागरिक के लिए यह राष्ट्रीय गौरव है . यह गौरव हमें अटलजी की बदौलत मिला है और देशवासी सदैव इसके लिए उनका ऋणी है .
इसके साथ ही परमाणु बम का अक्सर राग अलापने वाले पाक पीएम इमरान खान को चेताते हुए राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा कि ‘नो फर्स्ट यूज’ भारत की परमाणु नीति है लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है .
नो फर्स्ट यूज नीति को जानिए
परमाणु हथियारों को लेकर भारत की नीति ‘नो फर्स्ट यूज’ की रही है . इस नीति के मुताबिक भारत किसी भी देश पर परमाणु हमला तब तक नहीं करेगा जब तक वह देश भारत के ऊपर हमला नहीं कर देता है . भारत ने 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद इस सिद्धांत को अपनाया था.
अगस्त 1999 में भारत सरकार ने सिद्धांत का एक मसौदा जारी किया, जिसमें कहा गया कि परमाणु हथियार केवल निरोध के लिए हैं और भारत केवल प्रतिशोध की नीति अपनाएगा . दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि भारत कभी खुद पहल नहीं करेगा लेकिन अगर कोई ऐसा करेगा तो फिर जवाब भी दिया जाएगा .
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