Deprecated: Optional parameter $output declared before required parameter $atts is implicitly treated as a required parameter in /home3/positkgj/public_html/wp-content/plugins/td-composer/legacy/common/wp_booster/td_wp_booster_functions.php on line 1594

Deprecated: Optional parameter $depth declared before required parameter $output is implicitly treated as a required parameter in /home3/positkgj/public_html/wp-content/plugins/td-cloud-library/includes/tdb_menu.php on line 251

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/positkgj/public_html/wp-content/plugins/td-composer/legacy/common/wp_booster/td_wp_booster_functions.php:1594) in /home3/positkgj/public_html/wp-includes/feed-rss2.php on line 8
Delhi Noida Border – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com ताज़ा ख़बर Sat, 06 Jun 2020 06:30:18 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://www.positivekhabar.com/wp-content/uploads/2019/06/khabar5-150x120.jpg Delhi Noida Border – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com 32 32 देश की राजधानी दिल्ली की सीमा सील- एनसीआर के लोगों के साथ धोखा क्यों ? https://www.positivekhabar.com/why-delhi-up-haryana-rajasthan-govt-back-out-of-the-promises-made-during-the-formation-of-ncr/ Sat, 06 Jun 2020 06:25:18 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6686
By संतोष पाठक, वरिष्ठ पत्रकार

दिल्ली , देश की राजधानी है। दिल्ली की अपनी एक सरकार है , जिसके मुखिया यानि मुख्यमंत्री अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली में ही रहते हैं। देश की राजधानी होने के नाते इसी दिल्ली में भारत सरकार के मुखिया यानि प्रधानमंत्री भी अपनी पूरी कैबिनेट के साथ रहते हैं। देश की सर्वोच्च अदालत और इसके सभी न्यायाधीश का निवास और कार्यस्थान भी इसी दिल्ली में है। दिल्ली को लेकर सबसे बड़ा तथ्य यह है कि दिल्ली की सरकार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के नाम से जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में दिल्ली कुछ और वजहों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में है। पहले उत्तर प्रदेश के दो जिलों- गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने दिल्ली से लगती अपनी सीमा को सील कर दिया। हरियाणा ने भी यही किया और अब दिल्ली सरकार ने अपनी सीमा को सील कर रखा है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट को भी आदेश देना पड़ा। हालांकि इस पूरे विवाद का समग्र विश्लेषण करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है क्या ? इसका गठन कब, क्यों और किस उद्देश्य के साथ किया गया  था ?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCR ) का गठन क्यों हुआ ?

दिल्ली को महाभारतकाल में पांडवों की राजधानी होने का गौरव हासिल है। प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास के दौर में भी कई राजवंशों ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया लेकिन दिल्ली के आधुनिक इतिहास की शुरूआत 1911 में उस समय हुई जब ब्रिटिश सरकार ने राजधानी को कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट कर दिया। 1947 में मिली आजादी के बाद गठित होने वाली स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने भी दिल्ली को ही राजधानी बनाए रखने का फैसला किया। उसके बाद के कुछ सालों में दिल्ली की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी। 1951 से 1961 के दशक में दिल्ली की जनसंख्या 52.44 प्रतिशत बढ़ गई। यह उछाल आगे भी जारी रहा। 1961-71,1971-81 और 1981-91 के दशकों में क्रमश: 52.91 प्रतिशत , 52.98 और 51.45 प्रतिशत की दर से जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई। दिल्ली की जनसंख्या लगातार बढ़ रही थी और क्षेत्रफल सीमित था। इसके लिए बहुत हद तक उस समय की सरकारी नीति भी जिम्मेदार थी, जिसमें शहरीकरण पर ज्यादा जोर दिया, गांवों की उपेक्षा की गई और इसी का नतीजा था कि कभी रोजगार को लेकर तो कभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने को लेकर तो कभी इलाज को लेकर गांवों से लोग पलायन करते रहे और दिल्ली जैसे महानगरों की जनसंख्या बढ़ती ही चली गई।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र – लोगों से किए गए वायदे का प्रतीक

ऐसे ही दौर में यह फैसला किया गया कि दिल्ली से लगते आसपास के इलाकों को विकसित किया जाएगा। 1956 की अंतरिम सामान्य योजना में यह सुझाव दिया गया कि दिल्ली के बाहर के क्षेत्रों के सुनियोजित विकेन्द्रीयकरण के लिए गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए। लेकिन ये आसपास के इलाके उत्तर प्रदेश , हरियाणा और राजस्थान की सरकारों के नियंत्रण में आते थे और कोई भी राज्य सरकार अपना इलाका छोड़ने को तैयार नहीं थी और ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नए सिद्धांत को अपनाते हुए एक नया क्षेत्र बनाने का रास्ता निकाला गया। संसद से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रीय योजना बोर्ड अधिनियम को पारित करवा कर 1985 में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों को दिल्ली के साथ मिलाकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित कर दिया गया। आगे चलकर इसमें कई जिले जुड़ते चले गए और इसका विस्तार होता चला गया। आपको यह भी बता दें कि एनसीआर में शामिल जिलों को नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड की तरफ से विकास के लिए कई तरह की सुविधाएं और फंड मुहैया कराया जाता है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र – लोगों के साथ अब धोखा क्यों ?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का गठन करते समय लोगों से यह वायदा किया गया कि उन्हे दिल्ली की सीमा के अंदर उद्योग-धंधे लगाने की जरूरत नहीं है, दिल्ली में रहने की भी जरूरत नहीं है। लोगों से यह वायदा किया गया कि वो दिल्ली में काम करें लेकिन दिल्ली में रहने की बजाय पड़ोसी राज्यों के जिलों में आशियाना बनाए। लोगों से यह भी कहा गया कि अगर वो दिल्ली में रहते भी है तो अपनी कंपनियां और फैक्ट्रियां आसपास के राज्यों में लगाए। उस समय दिल्ली की तरफ आने वाले और दिल्ली एवं आसपास के इलाकों में रहने वाले तमाम लोगों को यह भरोसा दिलाया गया कि इस पूरे इलाके में आवागमण पूरी तरह से मुक्त और सुरक्षित रहेगा। एनसीआर के पूरे क्षेत्र में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था को मजबूत बनाने की योजना पर लगातार काम भी किया गया और दिल्ली मेट्रो , इसी का एक उदाहरण है ( हालांकि अभी बहुत कुछ करना बाकी है)। नतीजा यह हुआ कि दिल्ली से लगते पड़ोसी राज्यों के जिलों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती गई। साथ ही इन इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट, कानून-व्यवस्था और उद्योग-धंधों को लेकर भी तेजी से कदम उठाए गए और इसका नतीजा भी दिखाई देने लगा।

छोटे से लेकर बड़े-बड़े बिल्डर और प्लॉट काट कर बेचने वाले नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद जैसे इलाकों को दिल्ली एनसीआर का क्षेत्र बताकर मुंहमांगे दामों पर प्लॉट, फ्लैट और मकान बेचने लगे। मंदी का वर्तमान दौर आने से पहले इन सबकी कीमतें आसमान छू रही थी।

कुछ महीनें पहले तक कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा भी दौर आएगा जब दिल्ली के लोग नोएडा, गाजियाबाद , गुरुग्राम या फरीदाबाद नहीं जा पाएंगे या दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के इन जिलों में रहने वाले लोगों को दिल्ली में आने से रोक दिया जाएगा। साफ और स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो यह दिल्ली और एनसीआर में शामिल सभी जिलों के लोगों के साथ किए गए वायदों को तोड़ने जैसा है, उन्हे धोखा देने जैसा है। अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इसका खामियाजा न केवल दिल्ली को बल्कि इन पड़ोसी राज्यों को भी भुगतना पड़ सकता है। इसलिए बेहतर तो यही होगा कि एनसीआर बोर्ड इन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर कोई अंतिम फैसला करें और भविष्य में इस तर्ज पर सीमा सील न करने का स्पष्ट भरोसा यहां के लोगों को दें।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का विस्तार

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पड़ोसी राज्यों के कौन-कौन से जिलें शामिल है, यह लिस्ट आपको हैरान कर सकती है। आम जनमानस गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे जिलों तक ही सिमट कर रह जाता है लेकिन वास्तव में इस समय एनसीआर में दिल्ली के अलावा कुल मिलाकर 23 जिलें शामिल हैं। इसमें हरियाणा के 13, उत्तर प्रदेश के 8 और राजस्थान के 2 जिले शामिल हैं। हरियाणा से फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, रोहतक , सोनीपत, रिवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल,भिवानी(चरखी दादरी सहित), महेन्द्रगढ़, जींद और करनाल जिले एनसीआर में शामिल हैं। उत्तर प्रदेश से मेरठ,गाजियाबाद,गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत,शामली और मुजफ्फरनगर जिलों को एनसीआर में शामिल किया गया है। इस क्षेत्र में राजस्थान के 2 जिले-अलवर और भरतपुर भी शामिल हैं। इनके साथ ही संपूर्ण दिल्ली भी एनसीआर का हिस्सा है।

इस पूरी लिस्ट को पढ़िए और सोचिए कि अब तक की सरकारों ने क्या-क्या किया है और हमारे देश में सरकारी योजनाएं तेजी से सिर्फ फाइलों पर ही घुमती रहती है। इन सबको जमीन पर उतरने में काफी समय लगता है। कहां तो वायदा यह किया गया था कि एनसीआर में शामिल सभी जिलों को न केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जोड़ा जाएगा ताकि पश्चिमी देशों की तर्ज पर यहां के लोग भी रोजाना आवागमण कर सकें बल्कि साथ ही इनका विकास भी राजधानी दिल्ली की तर्ज पर ही किया जाएगा और कहां आलम अब ये है कि सीमाओं को भी सील किया जा रहा है।

( लेखक – संतोष पाठक, वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं और इन्होंने डेढ़ दशक तक राजनीतिक पत्रकारिता की है)

]]>