सिंधू ने इसके साथ ही दो साल पहले इस टूर्नामेंट के फाइनल में ओकुहारा से मिली हार का बदला भी ले लिया . ओकुहारा ने 2017 में उन्हें 110 मिनट तक चले फाइनल में हराया था. इस मैच को बैडमिंटन इतिहास के सबसे रोमांचक मुकाबलों में से एक जाना जाता है.
सिंधू ने मैच के बाद कहा,
‘‘ पिछली बार मैं फाइनल में हार गयी थी, उससे पहले वाले फाइनल में भी हार गयी थी ऐसे में इस बार जीत दर्ज करना मेरे लिए काफी जरूरी था . मैं हौसलाफजाई के लिए यहां के दर्शकों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी . मैंने अपने देश के लिए खिताब जीता है और मुझे भारतीय होने पर गर्व है . मेरे कोच गोपी सर और किम के साथ सहयोगी सदस्यों का आभार . मैं इस जीत को अपनी मां के नाम करूंगी, आज उनका जन्मदिन है .’’
सिंधू इससे पहले 2017 और 2018 के फाइनल में क्रमश: ओकुहारा और स्पेन की कैरोलीन मारीन से हार गयी थी जिससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था. उन्होंने इससे पहले 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीता था . विश्व चैम्पियनशिप में सिंधू का यह पांचवां पदक है . पदकों की संख्या के मामले में सिंधू ने चीन की पूर्व ओलंपिक चैम्पियन झांग निंग की रिकार्ड की बराबरी की.
सिंधू के स्वर्ण और प्रणीत के कांस्य पदक के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पिछले छह साल से कम से कम एक पदक जीतने का सिलसिला जारी रखा.
राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली सिंधू इस मुकाबले में अलग रंग में दिखी. खेल के हर विभाग में जापानी खिलाड़ी के खिलाफ उनका दबदबा देखने लायक था .उन्होंने पहले गेम की शुरूआत में ही 8-1 की बढ़त कायम कर ली.
सिधू के बड़े स्मैश का ओकुहारा के पास कोई जवाब नहीं था. उन्होने नेट का शानदार इस्तेमाल कर अपनी बढ़त को 11-2 किया. ओकुहारा ने वापसी की कोशिश की लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले और सिंधू ने आसानी से गेम अपने नाम कर लिया.
दूसरे गेम में भी सिंधू के रिटर्न पर ओकुहारा असहज नजर आयीं. सिंधू ने कोर्ट के हर कोने में शाट लगाकर जापानी खिलाड़ी को खूब दौड़ाया. इंटरवल के समय सिंधू 11-4 से आगे थी. ब्रेक के बाद भी ओकुहारा सिंधू के कही से टक्कर देने में नाकाम रहीं.
]]>हिमा ने 52.09 सेकेंड का समय निकाला . हिमा का यह इस महीने में पिछले 20 दिनों में कुल पांचवां स्वर्ण पदक है . इससे पहले वह दो जुलाई को यूरोप में, सात जुलाई को कुंटो एथलेटिक्स मीट में, 13 जुलाई को चेक गणराज्य में ही और 17 जुलाई को टाबोर ग्रां प्री में अलग-अलग स्पधार्ओं में स्वर्ण जीत चुकी हैं .
भारत की ही वीके विस्मया, हिमा से 53 सेकेंड पीछे रहते हुए दूसरे स्थान पर जगह बनाने में सफल रहीं .विस्मया ने 52.48 सेकंड का समय निकाला .तीसरे स्थान पर सरिता बेन गायकवाड़ रहीं जिन्होंने 53.28 सेकेंड का समय निकाला .
वहीं पुरुषों की 200 मीटर स्पर्धा में मोहम्मद अनस ने 20.95 सेकेंड का समय निकाल दूसरा स्थान हासिल किया . पुरुषों की ही 400 मीटर में भारत के ही नोह निर्मल टोम ने भी 46.05 सेकेंड के साथ रजत पदक जीता . पुरुषों की ही 400 मीटर बाधा दौड़ में भारत के एम.पी. जाबिर ने 49.66 सेकेंड के साथ स्वर्ण जीता . जितिन पॉल 51.45 सेकेंड के साथ दूसरे स्थान पर रहे .
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