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संतोष द्विवेदी मनुज – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com ताज़ा ख़बर Fri, 25 Dec 2020 08:09:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://www.positivekhabar.com/wp-content/uploads/2019/06/khabar5-150x120.jpg संतोष द्विवेदी मनुज – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com 32 32 विशेष – अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन पर https://www.positivekhabar.com/special-on-the-birthday-of-atal-bihari-vajpayee-ji/ Fri, 25 Dec 2020 08:09:07 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=7079  

संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

राजनीति में नीति के संयोजन के साथ देश चलाने वाले युगदृष्टा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर उनको शत शत नमन!

 

देश भर में हर कोई उन्हें किसी न किसी रिश्ते से जुड़ा पाता है! मेरे लिए भी वो मेरे दादा, नाना की उम्र के ही नहीं रहे बल्कि यही भाव भी सदा रहा!

 

उनके विराट व्यक्तित्व के बारे में कितना भी कहा-सुना जाए, उसके बाद भी शेष रह ही जाता है!

 

वो महज भारत के प्रधानमंत्री भर नही थे, वो इससे कहीं आगे थे! हमने गांधी जी को तो नही देखा, हाँ पर मुझ समेत हमारी पूरी पीढ़ी कह पाएगी कि हमने अटल जी को देखा था, लाइव सुना था!

 

भारतीय राजनीति के पुरोधा बनना इतना आसान भी नही, 13 दिन,13 महीने के बाद पूर्ण-कालिक गैर काँग्रेसी-सरकार केंद्र में चला पाना उनके ही बूते की बात थी!

 

 

उससे पहले की गठबंधन सरकारों का हश्र हम सबने देखा ही था!

 

1998 से 2004 के बीच कई बड़े काम हुए, जिसमे पोखरण परमाणु परीक्षण, कारगिल विजय और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना मेरी निगाह में सदैव उल्लेखनीय बने रहेंगे!

 

आज जब राजनीति नित नए रसातल में जाती जा रही है, व्यक्तिगत आक्षेप की बाढ़ सी है, अटल जी से सिर्फ राजनेताओं को नही हम सबको सीखने के लिए काफी कुछ है!

 

सबको साथ लेकर चलने का हुनर सीखना पहले से कहीं अधिक समीचीन और प्रासंगिक है!

 

अटल जी तो खुद ही कह गए है-

“ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ!”

 

ऐसे भविष्यदृष्टा सदैव अपने विचारों के रूप में हमारे बीच मौजूद रहते है, वो व्यक्ति नही बल्कि स्वयं संस्थान है, वो युगपुरुष हैं! उनके विचारों से ऊर्जा लेकर उनके दिए विचार को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी!

 

सच है – अटल थे, है, रहेंगे!

 

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शुक्रिया इरफान खान,जाते-जाते यह समझाने के लिए कि जिंदगी केवल ब्लैक एंड व्हाइट में ही नहीं जी जाती https://www.positivekhabar.com/bollywood-actor-irrfan-khan-passes-away/ Wed, 29 Apr 2020 10:46:39 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6604
संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

अनन्त की सैर पर इरफान!

सिनेमा के बारे में मेरी थोड़ी बहुत समझ उसके कंटेंट भर तक सीमित है! तकनीकी पहलुओं पर नगण्य ही समझिये!

इसमे काम करने वाले अभिनेता/अभिनेत्री मुझे बस पसंद ही आये बाकी दूसरे किस्म की धारणा मैं कभी बनी नही!

इसका कारण शायद हमारी ट्रेनिंग के दौरान डेढ़ मिनट की वो शॉर्ट क्लिप थी,जिसमे लगा परिश्रम और समर्पण से इतना तो भान हो ही गया कि एक फ़िल्म में इससे हजारों गुना परिश्रम और समर्पण लगता है!

जो बहुत थोड़ी फ़िल्म मैंने देखी उसमे मुझे सब तरह की फिल्म्स पसन्द आई! मसलन मेरी च्वाइस धीरे धीरे व्यक्ति आधारित होती गई! जिसमें #इरफान उल्लेखनीय है! बाकी लोगो का जिक्र अभी समीचीन नही!

मुझे याद है इरफान का मैंने एक इंटरव्यू पढा था कहीं बहुत पहले! जिसके बाद उनके भीतर के आत्मसम्मान ने मेरे मन मे कहीं एक अलग जगह पुख्ता कर ली थी! उन्होंने किसी रिपोर्टर के जवाब में कहा था कि चौथे खान के बजाए आप मेरी पहचान इरफ़ान ही रखे, यही कहे वो बेहतर है!

आगे उन्होंने इसे ही जारी भी रखा!

बॉलीवुड को दूर से भी न जानने वाला मैं इतना तो समझता हूं कि खान के दरबारों की क्या महत्ता है वहाँ! ऐसे में वो चाहते तो जोर अपने ‘खान’ होने पर दे सकते थे, पर उन्होंने वो किया जो किसी स्वाभिमानी व्यक्ति से उम्मीद की जाती है!

आजकल के इस अल्ट्रा राजनीतिक परिदृश्य में जहां हर कोई किसी न किसी ‘तरफ़’ खड़ा दिखाई पड़ता है! इरफान हमे कला और अपने काम के साथ संजीदगी के साथ खड़े दिखाई देते है!

हाल-फिलहाल में मैंने इरफान की “हिंदी मीडियम” देखी थी! पेरेंट्स के लिए स्कूलों में बच्चे का एडमिशन कैसे एक “हरकूलियन टास्क” है वो बड़े या मझोले किसी भी शहर से छिपा नही है! उसी के साथ मध्य और उच्च मध्य वर्ग के और भी आयामों को सामने लाने का उद्यम साबित हुई थी वो फ़िल्म! उस छोटे पर एक जरुरी सामाजिक पहलू पर बनी फिल्म ने खूब सुर्खियाँ बटोरी थी!

उससे पहले पान सिंह तोमर के किरदार को उन्होंने कैसे हम सबके बीच जीवंत कर दिया था, कौन नावाक़िफ़ है!

पहले पहल वैसे इरफान का वो छोटा रिचार्ज याद आता है! खैर!

इस अनिश्चित संसार मे रिटर्न टिकट कन्फर्म है! आज इरफान चले गए, कल हमे जाना है! उस जाने से पहले इरफान करोड़ो दिलों में सदा के लिए अमर हो गए, अपनी कला से! जिन कष्टों से वो कई साल से जूझ रहे थे आज उस त्रास की पूर्णाहुति हुई!

हम सबसे सीख सकते छही, इरफान हमे स्वाभिमान से जीना और एक निर्विवाद जीने की सीख दे कर गए है! सीखना है तो हम उनसे ये सीखे! क्योकि किसी से कुछ सीख नही सकते तो पसंदगी/नापसंदगी बेईमानी है!

बाकी देशभर में 800 से ज्यादा फिल्म्स बनती है, और वेब सीरीज की तो क्या कहें!

इरफान असल में आप गए नही, आप को जितना भी समय दिया ईश्वर ने आप उसका सदुपयोग करके, स्वाभिमान और खेमेबाजी से दूर रहने का सूत्र दे गए! अपनी अभिनय प्रतिभा के सामर्थ्य को सामने रखकर एक नया आयाम प्रस्तुत कर हमारे दिलों में सदा सदा के लिये समा गए!

ईश्वर आप जैसे और लोगो को इस दुनिया मे भेजे, जिनके बहाने हम एक नजर आते है नही तो अलग करने अगणित है, अलग दिखने के बहाने अनन्त है!

आप उस अनन्त की सैर ओर चले गए, वो आपको अपनी शरण मे ले, और आपके परिवार को इस असीम वेदना को सहने की शक्ति प्रदान करें!

ॐ शांति !!
भावभीनी श्रद्धांजलि!

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माना अर्णब की भाषा संयत नही थी, उसके लिए कोर्ट कचहरी है न! कीजिये केस, हमला क्यो? https://www.positivekhabar.com/attack-on-arnab-goswami-journalist-world/ Thu, 23 Apr 2020 09:57:33 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6570
संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

माना अर्णब की भाषा संयत नही थी, उसके लिए कोर्ट कचहरी है न! कीजिये केस, हमला क्यो?

दूसरा, जो लोग आज अर्णब गोस्वामी को आदर्श पत्रकारिता सीखा रहे है, किसी बच्चे को भी समझ आता है! अब बस पत्रकारिता में पत्रकारों के गुट बचे है!

विडम्बना ये है कि जो लोग आज पत्रकारिता में आदर्शवाद, नैतिकता ढूंढ रहे है, जिसमे पत्रकार भी शामिल है! अर्णब को तो छोड़ दीजिए, इन्ही लोगों ने ही वर्तमान प्रधानमंत्री को जबसे वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे क्या क्या कहा है, लिखना मुनासिब नही है मेरे लिए!

इसके अलावा जो ज्ञानी पुरुष अर्णब पर प्रश्न खड़े कर रहे है, अब अर्णब की अभिव्यक्ति का क्या?

अरुंधति, सागरिका, सरदेसाई, बरखा दत्त और रवीश जो दिन रात अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी बोलते है, उनपर चुप्पी क्यो?

कठघरे में खड़ा करिये न सबको एक तरफ से! वो होना नही है क्योंकि आप का नेक्सस इतना बड़ा है कि सब लपेटे में आ जाएंगे!

माफ कीजियेगा, ये सेलेक्टिविज्म आपकी देन है, आप कैसे चाहते है सब आपके हिसाब से चलेगा!

जो लोग आज नैतिकता की दुहाई दे रहे है वही सबसे बड़े अराजकतावादी है! आपकी अराजकता आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और दूसरे की?

एक का नाम जाति के साथ छापेंगे, वही दूसरे को “सिंगल सोर्स” मैं कहता हूं किसी का भी नाम क्यो, और अगर एक का तो दूसरे का क्यो नही!

आप दूसरे देश मे जाकर भी अपनी हरकतों से बाज नही आये थे, इसीलिए थप्पड़ खाकर आये थे, सुधर जाइये नही तो ये सिटीजन जर्नलिस्ट अगर जवाब मांगने लगे तो स्टूडियो जाना भूल जाओगे मेरे बुद्धिजीवी दोस्तों!

सुनिए अपने ऊपर हमले के बाद अर्नब गोस्वामी ने क्या कहा

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भारत की नई पीढ़ी, रामायण-महाभारत और हमारी सनातन संस्कृति https://www.positivekhabar.com/ramayan-mahabharat-young-generation-and-our-indian-culture/ Mon, 20 Apr 2020 12:55:34 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6510  

संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

हम सब जानते है कि दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत का पुनः प्रसारण हो रहा है! हम सब देख भी रहे है! ये एक ऐसा समय है जब हमारा देश ही नही, न जाने कितने देशों में lockdown चल रहा है! विश्व युद्ध के बाद शायद कोरोना महामारी मानवता के लिए सबसे बड़ा संकट बनकर उभरा है!

इस बीच जो एक अच्छी चीज मेरे संज्ञान में आई है कि, आजकल दुनिया भर के Social Media Challenges के बीच एक किस्म का शास्त्रार्थ भी चल रहा है!

लोग रामायण के महत्वपूर्ण चरित्रों राम, रावण, सीता,हनुमान, भरत,लक्ष्मण, मंदोदरी, कुंभकर्ण, मेघनाद, विभीषण आदि के बहाने रामायण की विभिन्न घटनाओं तो वहीं पांडवों-कौरवों,कृष्ण, भीष्म, द्रौपदी आदि चरित्रों के माध्यम से इनकी विभिन्न बड़ी से बड़ी छोटी से छोटी घटनाओं के आज के परिदृश्य में चर्चा कर रहे है!

सबसे बढ़कर राम, कृष्ण, भीष्म, युधिष्ठिर आदि चरित्रों पर प्रश्न खड़े कर रहे है!

वैज्ञानिकता की कसौटी पर परखे तो, हमारी प्रश्न करने की यह प्रवृत्ति नई नही है, ये सनातन संस्कृति के शाश्वत मूल्यों का अनिवार्य पहलू सदैव से रहा है! हमने कहानियों में पढा है कुछ फिल्मों में भी देखा है कि सिर्फ बाहुबल के साथ साथ, शास्त्रार्थ की भी परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर ही किसी राजकुमार को राजा का सिंहासन दिया जाता था!

शास्त्रार्थ करनेकी यह सहजात वृत्ति ही सनातन संस्कृति में विद्यमान वैज्ञानिकता का आधार रहा है! हाल ही में हमने देखा बाजीराव के रोल में रणवीर सिंह और बाहुबली में अमरेंद्र बाहुबली शास्त्रार्थ की परीक्षा भी देते है!

सामाजिक परिप्रेक्ष्य में देखे तो –

सोशल मीडिया में मर्यादा पुरीषोत्तम राम, कर्म योगी श्रीकृष्ण के जीवन चरित के बहाने आदर्शवाद और यथार्थवाद को फिर से कसौटी पर कसा जा रहा है!

माता सीता और द्रौपदी ने स्त्री विमर्श को नए आयाम दिए है! तो वहीं सबरी, वानर,केवट आदि के माध्यम से समाज के सामान्य वर्ग की भी प्रासंगिकता को रेखाँकित करता है!

प्रश्न करने की इस आदत तो सामान्य आदत नही माना जाना चाहिये, हम आज भी अपने मूल्यों को कसौटी पर परखते है इसीलिए समय के साथ वो प्रासंगिक बने हुए है! उनमें वैज्ञानिकता का पुट है!

मुझसे अगर कोई पूछे तो मैं तो यही कहूंगा कि सनातन संस्कृति की सबसे बड़ी देन मानवता को प्रश्न करने की परम्परा देना है, शंका-समाधान करने की ओर उन्मुख करना है! हम आभारी है अपने पूर्वजों के जिन्होंने उसे हमे आत्मसात करवाया, अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे अनवरत बढाते जाए!

संस्कृति और सभ्यता एक दिन में न बनते है न बिगड़ते है, समूची मानवता एक कुटुंब मानने वाली सनातन संस्कृति के इन शाश्वत मूल्यों को समझना चाहिए, सीखना चाहिए!

अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम्
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् !!

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नरेंद्र मोदी-सवैंधानिक तौर पर भारत के प्रधानमंत्री, पर इससे कहीं आगे है इनका परिचय https://www.positivekhabar.com/narendra-modis-charisma-has-become-the-leader-of-the-entire-country/ Sun, 05 Apr 2020 18:05:44 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6385
संतोष द्विवेदी मनुज , ब्रॉडकास्टर

किसी के लिए आलोचना का विषय, किसी के लिए अभिभावक, किसी के लिए बेटे किसी के लिए प्रेरणा के स्रोत! इतना भर ही नही विरोधी भी जिनकी अद्भुत संवाद कौशल के प्रशंसा करते हो! ऐसे है नरेंद्र मोदी!

जिस कठिन समय से भारत और दुनिया गुजर रही है,जबकि पूरी दुनिया हताशा और नैराष्य-भाव से गुजर रही है, पूरी दुनिया मे कोरोना ने हाहाकार मचाया हुआ है!

विश्व भर में समूची मानवता के लिए अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है! ऐसे में नरेंद्र मोदी जी जिस तरह से समय-समय पर भारतीयों और बाकी विश्व के लोगों में प्राण फूंकने का काम कर पा रहे है, वो अद्वितीय है!

आज 5 अप्रैल को रात 9 बजे के उनके आह्वान पर जिस तरह से देश ही नही बल्कि दुनिया के कई देश इस मुहिम में शामिल हुए, वो उनके व्यक्तित्व और भारत के बढ़ते कद का प्रमाण है!

कहते भी है कि संकट के समय व्यक्ति के असली चरित्र निकलकर सामने आता है, कठिनाई के समय ही साहस कसौटी पर कसा जाता है!

आज लड़ाई आमने सामने की नही बल्कि एक ऐसे दुश्मन के साथ है, जो न नजर आता है न ही पकड़ा जा सकता है! ऐसे दुश्मन के साथ जिस लड़ाई को हम और सारी दुनिया लड़ रही है उसमें बचाव ही एकमात्र उपाय है!

ऐसे समय मे नरेंद्र मोदी जी के आत्म-विश्वास बढ़ाने वाले इस आह्वान पर समूचा राष्ट्र जिस एकजुटता के साथ आगे आया वो ऐतिहासिक है! हम और हमारी पीढ़ी इतिहास बनते देख रही है!

भविष्य के गर्भ में क्या है किसे पता?

….पर हाँ इतना यकीन है भारत सुरक्षित हाथों में है, हम।सबको सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करना है, कोरोना के इस राक्षस से हम जल्दी ही निजात पा सकेंगे!

21 वीं सदी का भारत अपने भविष्य की इबारत लिख रहा है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में!

जय हो भारत भूमि, जय हो!

जय हो!!

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदः।

शत्रु-बुद्धि-विनाशाय दीपज्योतिर्नमोस्तुते।।

अर्थ : शुभ एवं कल्याणकारी, स्वास्थ्य एवं धनसंपदा प्रदान करने वाली तथा शत्रुबुद्धि का नाश करने वाली, हे दीपज्योति, मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ।

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सच सामने आना जरूरी है-दिल्ली हिंसा एक सोची समझी प्रायोजित साजिश है? https://www.positivekhabar.com/the-truth-of-delhi-violence-must-be-revealed/ Sun, 01 Mar 2020 13:35:31 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6044
संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

जिस तरह से दिल्ली में “मोबाइल-गुलेल” मिली है और दूसरे आगजनी के सामान, ये त्वरित प्रतिक्रिया का मामला नही था, ये सोची समझी साजिश थी!

इन दंगों में जितनी जान-माल की हानि हुई है, ये किसी भयावह आतंकी हमले से भी बढ़कर है!!

देखने वाली बात ये है कि मीडिया का एक बड़ा धड़ा कुछ एक लोगों पर पहले ही जजमेंट दे चुका है, सारा ठीकरा वो पहले ही फोड़कर investigation की इतिश्री कर चुका है! समझने वाली बात ये है कि क्या इतना आसान है जितना हम समझ रहे है?

हमारे ही देश में ऐसे लोगों की संख्या कम नही है जोकि हर मौके पर देश की छवि धूमिल करने का भरसक प्रयास करते है!

पहले तो हमे इस पर कोई दोराय नही होनी चाहिए कि दिल्ली में जो हिंसा भड़की वो अनायास नही था बल्कि इसकी बाकायदा साजिश की गई थी, प्रायोजित था और टाइमिंग ऐसी चुनी गई, अमरीकी राष्ट्रपति की भारत-यात्रा! जिसमें भारत की भद्द सबसे ज्यादा पिट सकती थी!

चूंकि, अमरीकी राष्ट्रपति के दौरे के चलते विश्व भर की मीडिया दिल्ली में मौजूद थी!

अब प्रश्न ये उठता है कि ऐसा किया क्यो गया ?
…..तो इसका जवाब ये है संसद से पारित जिस कानून का विरोध किया जा रहा है उसका कोई आधार ही नही है, चूंकि इस कानून के किसी भी प्रावधान से भारत के नागरिकों के हितों का हनन नही होता! बल्कि ये पड़ोसी देशों में वहां धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों को मानवीय आधार पर भारत मे नागरिकता देने से सम्बंधित है!!

हम माने या न माने पर भारत मे भारत के खिलाफ ही विदेशी चंदे से तथाकथित बुद्धिजीवियों का एक ऐसा धड़ा तैयार कर दिया गया है!

जो आजादी की आड़ में अराजकता, मानवाधिकार की आड़ में अलगाववादियों को आवाज और अभिव्यक्ति की आड़ में समाज मे विकृति फैलाता है! ऐसी प्रायोजित हिंसा में अनिवार्य रुप से वो शामिल है!

एक ऐसे दौर में जब मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समक्ष तथ्य, सत्य और वस्तुपरकता का पूर्ण अभाव है, हमे और सतर्क रहने की आवश्यकता है!!

हमे अपने आँख,कान,नाक सभी ज्ञानेंद्रियों को खुला रखने की आवश्यकता है, सचेत रहने की आवश्यकता है!!

हिंसा का बहादुरी से डटकर सामना करने वाली अनेक तस्वीरें हमने देखी, जिसमे एक पुलिसकर्मी डटकर भीड़ के सामने खड़ा रहा! तो एक बहादुर पुलिसकर्मी रतनलाल ने जान तक गवाँ दी! उनकी बहादुरी को नमन!

जिनके घर का व्यक्ति इसका शिकार हुआ, ईश्वर उन्हें शक्ति दें, वो इस अपार कष्ट को सह सकें!

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नमस्ते ट्रम्प-अंकल सैम आ रहे हैं लेकिन आप,ये क्या सोच रहे हैं?  https://www.positivekhabar.com/namaste-trump-us-president-donald-trump-to-visit-india/ Sun, 23 Feb 2020 20:01:53 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=5871
संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

अमरीकी_राष्ट्रपति का दो दिवसीय भारत दौरा शुरू होने से पहले, मुझे लगता है मूल बात हम सबको जाननी समझनी  चाहिए!!

ट्रम्प साहब अपनी पत्नी के साथ भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे है, आने से पहले अपने देश में उन्होंने जोर देकर कहा कि वो  “अमेरिका फर्स्ट” के विचार के साथ भारत जा रहे है और उसके हितों की अनदेखी वो नहीं होने देंगे!

हमें इस बात को अंडरलाइन करके नोट कर लेने की आवश्यकता है, आवभगत में लग जाये दिमाग से स्लिप हो जाये कहीं! वो ये कि ट्रम्प हमारे देश आ जरूर रहे है, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गहरी दोस्ती की बाते भी खूब कर रहे हैं पर अमरीका फर्स्ट की उनकी बात पर सतर्क निगाह रखने की जरूरत है! क्योकि अंग्रेजी में एक कहावत है –

File Photo

“A little flattery helps is making friends” और फिर US का व्यापारी राष्ट्रपति! इसको उनके दोस्ती वाली बात और हमारे प्रधानमन्त्री जी को बहुत पसंद करते है वाले बयानों से जोड़कर जरूर देखना चाहिए!!

ये गौर करने वाली बात है कि ट्रम्प साहब अमरीकी राष्ट्रपति से पहले अमरीकी व्यापारी है और इसके बाद भी वो व्यापारी ही रहने वाले है!

सनद रहे व्यापारी किसी का हो न हो पर ये निर्विवादित है कि वो लाभ का सगा जरूर से जरूर है! वो कुछ थोड़ी चैरिटी करता भी है तो उसके एवज में होने वाले लाभ और प्रसिद्धि का आंकलन करके करता है! हानि का तो प्रश्न ही नही है यहां!

आर्थिक युग तो न जाने कबसे चल रहा है, आजकल के माहौल में और भी लाजिमी है कि अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए!चूंकि अमरीकी राष्ट्रपति का ये दौरा ऐसे समय मे हो रहा है कि जब समूचे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं मुसीबतों से घिरी हुई है!

इंगित करने की आवश्यकता यों लगी, क्योकि हम भावुक भारतीय ये बेसिक बात समझने के लिए शायद समय ही न निकाल सके! बाकी कल से परसों तक निजी मीडिया चैनल आपको सोचने का मौका देने भी नहीं वाले है!

बाकी वो इंडिया में इवांका ट्रम्प का रिश्ता करने नही आ रहे है जो इतना लहालोट हुआ जाये, वो शादीशुदा है!!

ट्रम्प साहब सुबह पँहुचते ही होंगे, बात बता दी, बाकी सुबह उनके स्वागत सत्कार में कोई कमी न रहे! अपने संस्कार हमे नही भूलने है, आखिर हमें भी तो #नेशन_फर्स्ट के विचार को अमलीजामा पहनाना है!

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व्हाट्सएप्प एक साधन है, साध्य नही ! https://www.positivekhabar.com/what-is-whatsapp-knowledge-for-goodmorning-sender/ Sat, 01 Feb 2020 06:29:18 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=5379
संतोष द्विवेदी मनुज , ब्रॉडकास्टर

आजकल का एक नया शिगूफा है – व्हाट्सप्प का ज्ञान न बघारिये! सनद रहे – व्हाट्सएप्प का खुद का ज्ञान जबकि सम्भव ही नही!

भइया/बहना, जरा दुरुस्त करिये अपनी ज्ञानेन्द्रियाँ – व्हाट्सएप्प एक साधन है, साध्य नही!

ये उसको इस्तेमाल करने वाले पर है कि वो इसके माध्यम से सुबह-सुबह राम-राम करता है, दुआ-सलाम करता है, फूल-पत्तियां भेजता है या फिर कहीं से आये किसी भी किस्म के कचरे को दूसरे के डिब्बे में उलट देता है या जो भी करता है!

कुछ नहीं तो बस एक कप चाय के साथ दो टोस्ट सुबह सुबह भेज देता है!

वो जो भी करता है,इसमे उसका उद्यम , उसकी मंशा या फिर उसकी प्रवृत्ति दीख सकती है! तो भी Driving Force तो बुद्धि ही रहेगी!

ऐसे में साधन मसलन व्हाट्सएप्प या किसी भी किस्म के अन्य साधन पर तोहमत लगाना, इंसाफ नही कहा जा सकता!

ऐसा विश्वास के साथ इसलिए कह रहा हूँ चूंकि बहुत से लोग इसी माध्यम से न जाने कितने विचारोत्तेजक, उदात्त लेख और रचनाएं पढ़ने को प्रेषित कर चुके है! जो शायद किसी भी और माध्यम से इतनी आसानी से पठनीय न हो सके! ईमेल वगैरह का भी विकल्प है पर इस सबमें व्हाट्सएप्प ज्यादा सरल और सुगम लगता है!

मेरी तरह ही और असंख्य लोगो को इस साधन से काफी सहूलियत मिली होगी! मिल रही है, कहना चाहिए!

तो आगे से कुछ भी पढ़े तो जरा ठहरे (ठोक, बजाकर जांच ले) फिर आगे साझा करें! क्योंकि व्हाट्सएप्प अपने आप मे निरपेक्ष है, इससे अच्छे-बुरे दोनो तरह के संदेश हम-आप प्रेषित कर सकते है!

हमारी चेतना जागृत रहे तो सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि #फेक_न्यूज़ (झूठी या मनगढ़ंत बातों/खबरों) पर भी बहुत हद तक शिकंजा कसा जा सकेगा, रोकथाम सम्भव होगी!

#साधन_और_साध्य

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