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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com ताज़ा ख़बर Sun, 21 Jan 2024 06:24:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.3 https://www.positivekhabar.com/wp-content/uploads/2019/06/khabar5-150x120.jpg राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com 32 32 अयोध्या में श्री राम मन्दिर के निर्माण का अवसर राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है – Column by Mohan Bhagwat https://www.positivekhabar.com/the-occasion-of-construction-of-shri-ram-temple-in-ayodhya-marks-the-reawakening-of-national-pride-column-by-mohan-bhagwat/ Sun, 21 Jan 2024 06:24:27 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=7980 अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास जी महाराज, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देशभर के लगभग 125 परंपराओं के संत-महापुरुष सहित 2500 से ज्यादा प्रतिष्ठित व्यक्तियों की मौजूदगी में सोमवार को रामलला अपने भव्य घर(मंदिर) में विराजमान हो जाएंगे।

22 जनवरी की इस तारीख को, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के इस ऐतिहासिक दिन को राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक और आधुनिक भारतीय समाज द्वारा भारत के आचरण के मर्यादा की जीवन दृष्टि की स्वीकृति बताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक लेख लिखा है।

पढ़िए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का पूरा लेख

हमारे भारत का इतिहास पिछले लगभग डेढ़ हजार वर्षों से आक्रांताओं से निरंतर संघर्ष का इतिहास है। आरंभिक आक्रमणों का उद्देश्य लूटपाट करना और कभी-कभी (सिकंदर जैसे आक्रमण) अपना राज्य स्थापित करने के लिए होता था। परंतु इस्लाम के नाम पर पश्चिम से हुए आक्रमण यह समाज का पूर्ण विनाश और अलगाव ही लेकर आए। देश-समाज को हतोत्साहित करने के लिए उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट करना अनिवार्य था, इसलिए विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में मंदिरों को भी नष्ट कर दिया। ऐसा उन्होंने एक बार नहीं, बल्कि अनेकों बार किया। उनका उद्देश्य भारतीय समाज को हतोत्साहित करना था ताकि भारतीय स्थायी रूप से कमजोर हो जाएँ और वे उन पर अबाधित शासन कर सकें।

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विध्वंस भी इसी मनोभाव से, इसी उद्देश्य से किया गया था। आक्रमणकारियों की यह नीति केवल अयोध्या या किसी एक मंदिर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए थी।

File Photo

भारतीय शासकों ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, परन्तु विश्व के शासकों ने अपने राज्य के विस्तार के लिए आक्रामक होकर ऐसे कुकृत्य किये हैं। परंतु इसका भारत पर उनकी अपेक्षानुसार वैसा परिणाम नहीं हुआ, जिसकी आशा वे लगा बैठे थे। इसके विपरीत भारत में समाज की आस्था निष्ठा और मनोबल कभी कम नहीं हुआ, समाज झुका नहीं, उनका प्रतिरोध का जो संघर्ष था वह चलता रहा। इस कारण जन्मस्थान बार-बार पर अपने आधिपत्य में कर, वहां मंदिर बनाने का निरंतर प्रयास किया गया। उसके लिए अनेक युद्ध, संघर्ष और बलिदान हुए। और राम जन्मभूमि का मुद्दा हिंदुओं के मन में बना रहा।

1857 में विदेशी अर्थात ब्रिटिश शक्ति के विरुद्ध युद्ध योजनाएं बनाई जाने लगी तो उसमें हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर उनके विरुद्ध लड़ने की तैयारी दर्शाई और तब उनमें आपसी विचार-विनिमय हुआ। और उस समय गौ–हत्या बंदी और श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति के मुद्दे पर सुलह हो जाएगी, ऐसी स्थिति निर्माण हुई। बहादुर शाह जफर ने अपने घोषणापत्र में गौहत्या पर प्रतिबंध भी शामिल किया। इसलिए सभी समाज एक साथ मिलकर लड़े। उस युद्ध में भारतीयों ने वीरता दिखाई लेकिन दुर्भाग्य से यह युद्ध विफल रहा, और भारत को स्वतंत्रता नहीं मिली, ब्रिटिश शासन अबाधित रहा, परन्तु राम मंदिर के लिए संघर्ष नहीं रुका।

अंग्रेज़ों की हिंदू मुसलमानों में “फूट डालो और राज करो” की नीति के अनुसार, जो पहले से चली आ रही थी और इस देश की प्रकृति के अनुसार अधिक से अधिक सख्त होती गई। एकता को तोड़ने के लिए अंग्रेजों ने संघर्ष के नायकों को अयोध्या में फाँसी दे दी और राम जन्मभूमि की मुक्ति का प्रश्न वहीं का वहीं रह गया। राम मंदिर के लिए संघर्ष जारी रहा।

1947 में देश को स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जब सर्वसम्मति से सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, तभी ऐसे मंदिरों की चर्चा शुरू हुई। राम जन्मभूमि की मुक्ति के संबंध में ऐसी सभी सर्वसम्मति पर विचार किया जा सकता था, परंतु राजनीति की दिशा बदल गयी। भेदभाव और तुष्टीकरण जैसे स्वार्थी राजनीति के रूप प्रचलित होने लगे और इसलिए प्रश्न ऐसे ही बना रहा। सरकारों ने इस मुद्दे पर हिंदू समाज की इच्छा और मन की बात पर विचार ही नहीं किया। इसके विपरीत, उन्होंने समाज द्वारा की गई पहल को उध्वस्त करने का प्रयास किया। स्वतन्त्रता पूर्व से ही इससे संबंधित चली आ रही कानूनी लड़ाई निरंतर चलती रही। राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए जन आंदोलन 1980 के दशक में शुरू हुआ और तीस वर्षों तक जारी रहा।

वर्ष 1949 में राम जन्मभूमि पर भगवान श्री रामचन्द्र की मूर्ति का प्राकट्य हुआ। 1986 में अदालत के आदेश से मंदिर का ताला खोल दिया गया। आगामी काल में अनेक अभियानों एवं कारसेवा के माध्यम से हिन्दू समाज का सतत संघर्ष जारी रहा। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला स्पष्ट रूप से समाज के सामने आया। जल्द से जल्द अंतिम निर्णय के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के लिए आगे भी आग्रह जारी रखना पड़ा। 9 नवंबर 2019 में 134 वर्षों के कानूनी संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सत्य और तथ्यों को परखने के बाद संतुलित निर्णय दिया। दोनों पक्षों की भावनाओं और तथ्यों पर भी विचार इस निर्णय में किया गया था। कोर्ट में सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद यह निर्णय सुनाया गया है। इस निर्णय के अनुसार मंदिर के निर्माण के लिए एक न्यासी मंडल की स्थापना की गई। मंदिर का भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को हुआ और अब पौष शुक्ल द्वादशी युगाब्द 5125, तदनुसार 22 जनवरी 2024 को श्री रामलला की मूर्ति स्थापना और प्राणप्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया है।

धार्मिक दृष्टि से श्री राम बहुसंख्यक समाज के आराध्य देव हैं और श्री रामचन्द्र का जीवन आज भी संपूर्ण समाज द्वारा स्वीकृत आचरण का आदर्श है। इसलिए अब अकारण विवाद को लेकर जो पक्ष-विपक्ष खड़ा हुआ है, उसे ख़त्म कर देना चाहिए। इस बीच में उत्पन्न हुई कड़वाहट भी समाप्त होनी चाहिए। समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह अवश्य देखना चाहिए कि विवाद पूर्णतः समाप्त हो जाये। अयोध्या का अर्थ है ‘जहाँ युद्ध न हो’, ‘संघर्ष से मुक्त स्थान’ वह नगर ऐसा है। संपूर्ण देश में इस निमित्त मन में अयोध्या का पुनर्निर्माण आज की आवश्यकता है और हम सभी का कर्तव्य भी है।

अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण का अवसर अर्थात राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह आधुनिक भारतीय समाज द्वारा भारत के आचरण के मर्यादा की जीवनदृष्टि की स्वीकृति है। मंदिर में श्रीराम की पूजा ‘पत्रं पुष्पं फलं तोयं’ की पद्धति से और साथ ही राम के दर्शन को मन मंदिर में स्थापित कर उसके प्रकाश में आदर्श आचरण अपनाकर भगवान श्री राम की पूजा करनी है क्योंकि “शिवो भूत्वा शिवं भजेत् रामो भूत्वा रामं भजेत्” को ही सच्ची पूजा कहा गया है।

इस दृष्टि से विचार करें तो भारतीय संस्कृति के सामाजिक स्वरूप के अनुसार
मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्।
आत्मवत् सर्वभूतेषु, यः पश्यति सः पंडितः।
इस तरह हमें भी श्री राम के मार्ग पर चलने होगा।
जीवन में सत्यनिष्ठा, बल और पराक्रम के साथ क्षमा, विनयशीलता और नम्रता, सबके साथ व्यवहार में नम्रता, हृदय की सौम्यता और कर्तव्य पालन में स्वयं के प्रति कठोरता इत्यादि, श्री राम के गुणों का अनुकरण हर किसी को अपने जीवन में और अपने परिवार में सभी के जीवन में लाने का प्रयत्न ईमानदारी, लगन और मेहनत से करना होगा।

साथ ही, अपने राष्ट्रीय जीवन को देखते हुए सामाजिक जीवन में भी अनुशासन बनाना होगा। हम जानते हैं कि श्री राम-लक्ष्मण ने उसी अनुशासन के बल पर अपना 14 वर्ष का वनवास और शक्तिशाली रावण के साथ सफल संघर्ष पूरा किया था। श्री राम के चरित्र में प्रतिबिंबित न्याय और करुणा, सद्भाव, निष्पक्षता, सामाजिक गुण, एक बार फिर समाज में व्याप्त करना, शोषण रहित समान न्याय पर आधारित, शक्ति के साथ-साथ करुणा से संपन्न एक पुरुषार्थी समाज का निर्माण करना, यही श्रीराम की पूजा होगी।

अहंकार, स्वार्थ और भेदभाव के कारण यह विश्व विनाश के उन्माद में है और अपने ऊपर अनंत विपत्तियाँ ला रहा है। सद्भाव, एकता, प्रगति और शांति का मार्ग दिखाने वाले जगदाभिराम भारतवर्ष के पुनर्निर्माण का सर्व-कल्याणकारी और ‘सर्वेषाम् अविरोधी’ अभियान का प्रारंभ, श्री रामलला के राम जन्मभूमि में प्रवेश और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा से होने वाला है। हम उस अभियान के सक्रिय कार्यान्वयनकर्ता हैं। हम सभी ने 22 जनवरी के भक्तिमय उत्सव में मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ-साथ भारत और इससे पूरे विश्व के पुनर्निर्माण को पूर्तता में लाने का संकल्प लिया है। इस भावना को अंतर्मन में स्थापित करते हुए अग्रसर हो …

जय सिया राम।

( लेखक – डॉ. मोहन भागवत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक हैं।)

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राम मंदिर उद्घाटन को लेकर देशभर में विशेष कार्यक्रम करेगा आरएसएस- गुजरात की बैठक में बनेगी योजना https://www.positivekhabar.com/rss-akhil-bhartiya-karyakari-mandal-baithak-bhuj-gujrat-ram-mandir-ayodhya-22-january-2024/ Thu, 26 Oct 2023 09:13:20 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=7711 अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को होने जा रहे श्री राम मंदिर प्रतिष्ठापना समारोह को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश भर में विशेष कार्यक्रम करने जा रहा है।

गुजरात के भुज में होने जा रही आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और देश भर से आए संघ नेता एवं स्वयंसेवक अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को हो रहे श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठापना समारोह व उससे जुड़े देश भर में प्रस्तावित कार्यक्रम पर चर्चा कर योजना बनाएंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया , ” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक इस वर्ष गुजरात के कच्छ क्षेत्र भुज में हो रही है। इस बैठक का आयोजन 5, 6 एवं 7 नवंबर 2023 को होगा । इस बैठक में संघ की रचना के अनुसार गठित कुल 45 प्रांतों से प्रांत संघचालक , कार्यवाह एवं प्रांत प्रचारक तथा उनके सहसंघचालक, सहकार्यवाह तथा सह प्रांत प्रचारक सहभागी होंगे।”

 

उन्होंने कहा,” बैठक में विशेष रूप से सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले एवं सभी अखिल भारतीय पदाधिकारियों सहित कार्यकारिणी के सभी सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही कुछ विविध संगठन के चयनित संगठन मंत्री भी बैठक में भाग लेने वाले हैं।”

बैठक के एजेंडे को लेकर उन्होंने कहा,”बैठक में संघ के संगठन कार्य की समीक्षा के साथ ही गत माह सितंबर में पुणे में सम्पन्न हुई अखिल भारतीय समन्वय बैठक में आये विषय तथा अभी-अभी विजयादशमी उत्सव के निमित्त हुए सरसंघचालक के उद्बोधन के उल्लेखनीय मुद्दों पर अनुवर्तन के रूप में करणीय विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी। अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को हो रहे श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठापना समारोह व उससे जुड़े देश भर में प्रस्तावित कार्यक्रम आदि विषयों पर बैठक में चर्चा होगी।”

 

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22 जनवरी को होगा अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन, पीएम मोदी 4000 संतों और 2500 प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति में करेंगे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा https://www.positivekhabar.com/pm-modi-will-inaugurate-ayodhya-ram-mandir-on-january-22-2024/ https://www.positivekhabar.com/pm-modi-will-inaugurate-ayodhya-ram-mandir-on-january-22-2024/#comments Wed, 25 Oct 2023 16:11:03 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=7695 अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को होगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4000 संतों एवं महात्माओं और 2500 प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति में 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में आयोजित भव्य कार्यक्रम में शामिल होकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।

भगवान श्री रामलला सरकार के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा करने का निमंत्रण दिया। ट्रस्ट के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे अपना सौभाग्य बताया।

प्रधानमंत्री ने इसे अपना सौभाग्य बताते हुए ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया।

प्रधानमंत्री ने ‘X’ पर लिखा, “जय सियाराम! आज का दिन बहुत भावनाओं से भरा हुआ है। अभी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे। उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है। मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि अपने जीवनकाल में, मैं इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनूंगा।”

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बारे में बताते हुए ‘X’ पर लिखा, “श्री राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा दिनांक 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों द्वारा की जाएगी। भगवान श्री रामलला सरकार के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक अवसर पर देश के 4000 संत- महात्मा एवं समाज के 2500 प्रतिष्ठित महानुभाव उपस्थित रहेंगे।”

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नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में फहराया गया तिरंगा- मोहन भागवत ने दी सलामी https://www.positivekhabar.com/tricolor-was-hoisted-at-the-rss-headquarters-in-nagpur-mohan-bhagwat-saluted/ Sat, 13 Aug 2022 11:23:25 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=7406 देश की आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर देश भर में मनाए जा रहे ‘ हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत शनिवार को नागपुर के महाल स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय पर भी तिरंगा फहराया गया। इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ के अन्य नेताओं ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सलामी भी दी।

 

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव निमित्त हर घर तिरंगा उपक्रम के तहत शनिवार सुबह नागपुर महाल स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय पर विधिवत ध्वजारोहण किया गया।  इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ,मोहित शाखा के स्वयंसेवक तथा सुरक्षा कर्मी उपस्थित रहे।

इससे पहले स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव निमित ‘हर घर तिरंगा’ उपक्रम को लेकर नागपुर की जिलाधिकारी श्रीमती आर विमला ने सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भेंट किया । इसके साथ ही जिलाधिकारी ने उन्हे स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव निमित्त स्मृति चिन्ह भी दिए । इस अवसर पर राम हरकरे ( प्रांत संघचालक),  राजेश लोया (महानगर संघचालक),  जयप्रकाश गुप्ता , रविंद्र बोकारे सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

‘ हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और अभियान को अपना पुरजोर समर्थन देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संघ के प्रमुख मोहन भागवत एवं संघ के अन्य पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया की अपनी-अपनी डीपी पर भी तिरंगे की तस्वीर लगा ली है।

Positive Khabar भी देशवासियों से अपने-अपने घरों पर तिरंगा लगाने की अपील करता है।

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RSS की बढ़ती लोकप्रियता , इस साल 66835 लोगों ने जताई संघ से जुड़ने की इच्छा https://www.positivekhabar.com/rising-popularity-of-rss/ Sat, 13 Jul 2019 12:30:12 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=3651 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने विजयवाड़ा में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रांत प्रचारक बैठक के अंतिम दिन पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संघ समाज को साथ लेकर व समाज के सहयोग से काम करता है। आगामी काल में संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक सामाजिक परिवर्तन (Social Transformation) के कार्य में सक्रिय हो, इसके लिए प्रयासों की गति बढ़ाएंगे। भारतीय मूल्यों व सांस्कृतिक जीवन पद्धति के आधार पर समाज में परिवर्तन हो, इसके लिए प्रत्येक स्वयंसेवक को जागरूक कर व प्रशिक्षण देकर सक्रिय किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक ग्राम विकास के लिये कार्य कर रहे हैं, वर्तमान में देशभर में ग्राम विकास गतिविधि के प्रयासों से 300 गांवों में पूर्ण परिवर्तन हुआ है, और 1000 गांवों में कार्य चल रहा है। आर्गेनिक फार्मिंग व गौ संवर्धन, समाज में सद्भाव जागृत करने के लिए समरसता का कार्य, कुटुंब प्रबोधन का कार्य स्वयंसेवक कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनावों के दौरान संघ के सरसंघचालक ने 100 प्रतिशत मतदान का आह्वान किया था। मतदान प्रतिशत बढ़ाने और राष्ट्रीय विषयों के आधार पर मतदान के प्रति मतदाताओं को जागरूक करने के लिए संघ के स्वयंसेवक भी जनजागरण अभियान में लगे थे। स्वयंसेवकों ने घर-घर संपर्क किया, छोटी बैठकें कीं। देशभर में 5.5 लाख गांवों में से 4.5 लाख गांवों में स्वयंसेवकों ने संपर्क किया। संघ की रचना के अनुसार 56 हजार मंडल में से 50 हजार मंडलों तक संघ के स्वयंसेवक पहुंचे। जनजागरण अभियान में 11 लाख स्वयंसेवक एवं समाज के बंधु- भगिनी जुटे। इनमें एक लाख महिलाएं भी शामिल थीं।

उन्होंने कहा कि समाज में संघ का स्वागत व समर्थन बढ़ रहा है। संघ से जुड़ने, संघ के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ी है। 7 दिन के प्राथमिक शिक्षण में प्रति वर्ष एक लाख से अधिक लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसी प्रकार वेबसाइट पर ज्वाइन आरएसएस के तहत मिलने वाली रिक्वेस्ट में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014 में पहले छः माह (जनवरी से जून तक) में 39760 रिक्वेस्ट प्राप्त हुई, 2016 में इसी कालावधि में 47200, वर्ष 2018 में 56892 तथा 2019 में 66835 लोगों ने संघ से जुड़ने की इच्छा जताई है। इनमें अधिकांश 40 वर्ष तक की आयु के लोग हैं।

संघ ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नई गतिविधि शुरू की है। और इसके लिए संघ शिक्षा वर्गों में अलग-अलग प्रयोग कर स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जल के न्यूनतम उपयोग से स्नानादि आवश्यक कार्य कर जल की बचत व विभिन्न माध्यमों से जल संरक्षण का प्रशिक्षण स्वयंसेवकों को दिया गया।

सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने बताया कि जागरण पत्रिकाओं के माध्यम से 175000 गांवों में राष्ट्रीय विचार को पहुंचाने का कार्य चल रहा है। इस वर्ष प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग में 12432 प्रतिभागी शामिल रहे, लगभग 80 स्थानों पर आयोजित संघ शिक्षा वर्गों में 17500 शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उन्होंने बताया कि बैठक में प्रांत प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, अखिल भारतीय अधिकारी तथा विविध संगठनों के संगठन मंत्री उपस्थित हैं। प्रांत प्रचारक बैठक निर्णय लेने वाली बैठक नहीं है। निर्णय लेने वाली बैठक कार्यकारी मंडल और प्रतिनिधि सभा की होती है। पत्रकार वार्ता में उनके साथ आंध्र प्रदेश के प्रांत संघचालक श्रीनिवास राजू और अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार भी उपस्थित थे।

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