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मानव संसाधन विकास मंत्रालय – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com ताज़ा ख़बर Sat, 06 Jun 2020 09:03:25 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.3 https://www.positivekhabar.com/wp-content/uploads/2019/06/khabar5-150x120.jpg मानव संसाधन विकास मंत्रालय – Positive Khabar https://www.positivekhabar.com 32 32 कोरोना संकट- ऑनलाइन शिक्षा के दौर में हमारे बच्चें कैसे रहें ऑनलाइन सुरक्षित ? https://www.positivekhabar.com/corona-crisis-how-can-our-children-stay-safe-online-in-the-era-of-online-education/ Sat, 06 Jun 2020 09:03:25 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6688 कोरोना संकट के इस दौर में पढ़ाई को लेकर नया संकट खड़ा हो गया है। मजबूरी में सरकार को स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान बंद करने पड़े। ऐसे में ज्यादातर स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों ने पढ़ाई का एक नया रास्ता निकाला- ऑनलाइन एजुकेशन अर्थात मोबाइल, लैपटॉप अथवा डेस्कटॉप का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन पढ़ाई।

ऑनलाइन एजुकेशन का सिस्टम लगातार जोर पकड़ता जा रहा है और अब यह तय हो गया है कि आने वाले दिनों में इसका उपयोग और भी ज्यादा बढ़ता जाएगा। ऐसे में अब यह जरूरी हो गया है कि सभी अभिवावक बच्चों को ऑनलाइन मंडरा रहे खतरें के बारे में भी बताए, आगाह करें।

बच्चों को बताएं – ऑनलाइन सुरक्षित कैसे रहना है? 

ऑनलाइन की दुनिया, वास्तव में यूजर आईडी और पासवर्ड की दुनिया है। पासवर्ड जितना मजबूत होगा, आप भी उतने ही मजबूत होंगे। पासवर्ड जब तक सेफ रहेगा , आप भी तब तक ही सुरक्षित रहेंगे।

रहना है ऑनलाइन सेफ – पढ़िए, क्या करें और क्या न करें 

साइबर बुलिंग को भी जानना है जरूरी

ऑनलाइन किस तरह का खतरा मंडरा रहा है। यह बच्चों के साथ-साथ , हम सबके लिए जानना जरूरी है। हम सबके लिए यह जानना जरूरी है कि यह साइबर बुलिंग होता क्या है ? इसलिए आप भी पढ़िए, समझिए और बच्चों को भी जरूर समझाइए।

साइबर बुलिंग -कैसे रोकें और मुकाबला करें

आपको यह बखूबी समझ आ गया होगा कि यह ऑनलाइन खतरा है क्या ? आखिर यह साइबर बुलिंग है क्या ?  खतरें को जान और समझ लेने के बाद यह सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उससे मुकाबला कैसे किया जाए। तो पढ़िए यह गाइडलाइन्स

सबकों यह मालूम होना चाहिए कि साइबर अपराध का शिकार होने पर क्या करें। इसके लिए जरूरी है तमाम हेल्पलाइन नंबर्स, मेल आईडी को याद रखना। यह सभी जरूरी जानकारी आपको ऊपर की तस्वीर में नजर आ रही होगी।

आपको बता दें कि NCERT और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के नई दिल्ली स्थित कार्यालय ने मिलकर ऑनलाइन सुरक्षित रहने पर छात्रों और शिक्षकों के बीच में जागरूकता बढ़ाने के लिए उपरोक्त गाइडलाइन्स वाली किताब को तैयार किया है । जिसका शुभारंभ केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने किया।

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कोरोना वायरस का भारतीय शिक्षा पर प्रभाव,अब क्या करें ये 32 करोड़ भारतीय विद्यार्थी ? https://www.positivekhabar.com/corona-virus-32-crore-indian-students-affected-due-to-corona/ Fri, 24 Apr 2020 04:31:06 +0000 https://www.positivekhabar.com/?p=6580

अखिल सिंघल, पत्रकारिता छात्र

21वीं शताब्दी में अभी तक की सबसे बड़ी समस्या या काल के रूप में सामने आए कोरोना वायरस ने आज सम्पूर्ण विश्व को हिला कर रख दिया है। दुनिया के विकासशील देशों के साथ साथ विकसित देश भी इस वायरस की चपेट में आ चुके है। इस वायरस ने ना केवल किसी देश के लोगों के स्वास्थ्य पर प्रहार किया है। बल्कि इसने किसी देश की रीढ़ समझे जाने वाली अर्थव्यवस्था , शिक्षा,  रक्षा और स्वास्थ्य विभागों तक को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है।

चीन के वुहान शहर से फैला यह वायरस भविष्य में इतना प्रचंड रूप से आतंक मचाएगा, किसी देश ने नही सोचा था। वर्तमान समय में, कोरोना विश्व के 150 से भी अधिक देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 15 अप्रैल 2020 तक दुनियाभर में इस बीमारी से लगभग 1.34 से ज्यादा लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है। साथ ही लगभग 21 लाख लोग अभी इससे संक्रमित हो चुके है। जिसमें अमेरिका, इटली, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के लोगों की संख्या 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है।

कोरोना वायरस- 32 करोड़ भारतीय छात्र हुए प्रभावित

कोरोना महामारी से भारत पर आए खतरे को भांपते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन लगा दिया है। 24 मार्च से 3 मई 2020 तक लगाये गए इन 40 दिन की अवधि के लॉकडाउन में सारे विद्यालय, कॉलेज व अन्य उच्च शिक्षा संस्थान बंद पड़े हैं। ऐसे में इसका सीधा असर अध्यापकों और विद्यार्थियों के जीवन पर पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसके अनुसार कोरोना महामारी से भारत में लगभग 32 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है। जिसमें 15.81 करोड़  लड़कियाां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल है। वैश्विक स्तर की बात करे तो, इस महामारी से दुनिया के 193 देशों के 157 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है। जो विभिन्न स्तरों पर दाखिला लेने वाले छात्रों का 91.3 प्रतिशत है।

इस साल 10वीं , 12वीं और उच्च शिक्षा की परीक्षाएं दे रहे छात्रों के कुछ पेपर होने रह गए है। जिससे इन सभी विद्यार्थियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। दसवीं और बाहरवीं कक्षाओं के छात्र रिजल्ट को लेकर ओर अधिक चिंतित है क्योंकि यह कक्षाएं ऐसी होती है। जिनमें एक विद्यार्थी के भविष्य का पथ निर्धारित होता है। यह विद्यार्थी के जीवन की महत्वपूर्ण पहली और दूसरी सीढ़ी है। लेकिन यह वर्ष कोरोना की वजह से दोनों क्लासों के छात्रों के लिए संकट की घड़ी है। लॉकडाउन से बंद पड़े शिक्षा संस्थानों से नए एडमिशन होने की तारीख भी टाल दी गयी है। स्वाभाविक बात हैं कि अगर पेपर लेट होंगे तो रिजल्ट भी लेट आएगा। केवल छात्र ही नही उनके अविभावक भी अपने बच्चों के करियर को लेकर चिंतित है। कई महत्वपूर्ण उच्च परीक्षाएं भी टाल दी गयी है जिसमें दिल्ली उच्च न्याययिक सेवा मेन जैसी परीक्षाएं भी शामिल है। शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए नर्सरी से लेकर आठवीं तक , नौंवी और ग्यारहवीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों को बिना पेपर दिए ही पास कर दिया है।

कोरोना में पढ़ाई कैसे की जाए…..

“एक द्वार बंद होने से सारे द्वार बंद नही होते” इस पुरानी कहावत को लगनशील अध्यापकों ने सही साबित करके दिखाया है। अध्यापकों ने छात्रों को पढ़ाने के लिये ऑनलाइन क्लासों का एक बेहतरीन विकल्प निकाला हैं। जिससे प्रतिदिन लाखों छात्र अपने अध्यापकों से ऑनलाइन माध्यम के जरिये जुड़ पा रहे है और अपनी समस्याओं का समाधान पाकर पढ़ाई कर रहे है। इस ऑनलाइन क्लास में भी दो तरफा संचार की सुलभता होंने से अध्यापकों व छात्रों के बीच विद्यालय और कॉलेज जैसा ही संपर्क हो पा रहा है। ऑनलाइन क्लास आज के डिजिटलीकरण दौर की मांग व जरूरत है। इस बात का महत्व समझते हुए मानव विकास संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार ने “भारत पढ़े ऑनलाइन” अभियान की शुरुआत की है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि इससे जो छात्र कक्षा में शर्म के कारण प्रश्न नही पूछ पाते है, वे ऑनलाइन माध्यमों के जरिये अपनी समस्या खुलकर पूछ लेते है। कुछ विशेष कोर्स की ऑनलाइन फीस सस्ते होने से ज्यादा छात्र इसका अधिक लाभ उठा पा रहे है। लॉकडॉउन होने से ऑनलाइन क्लास की महत्ता को छात्र अधिक समझ पाने में सक्षम हुए है। लॉकडाउन की स्थिति में शिक्षा स्तर पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को ऑनलाइन क्लासों ने बहुत कम कर दिया है।

शिक्षा , छात्र, केंद्र और राज्य सरकार

शिक्षा के क्षेत्र में भारत का 2020 का वार्षिक बजट सबसे बेहतर व रिकॉर्ड बजट रहा। इस साल केंद्र सरकार ने शिक्षा पर व्यय होने वाले बजट को पिछले साल की तुलना में  4500 करोड़ रुपये तक बढ़ाकर 99,312 करोड़ रुपये कर दिया है। ऐसी स्थिति में कोरोना से छात्रों की पढ़ाई पर कोई नकारात्मक प्रभाव ना पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारें काम कर रही है। सीबीएसई ने एक हेल्पलाइन टोल फ्री नम्बर जारी कर दिया है, जिसके जरिये विद्यार्थी घर बैठकर अधिकारियों से बात करके सहायता ले सकता है। सरकार ने 12वीं तक की सभी पुस्तकों को ऑनलाइन कर दिया है । ताकि इन सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाई करने के लिए सामग्री मिलने में कठिनाईयों का सामना ना करना पड़े।

ऑनलाइन शिक्षा और साइबर क्राइम 

लॉकडाउन के समय ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग अब बड़े स्तर पर  हो रहा है, भारत जैसे विकासशील देशों में ये जहाँ अच्छा भी है तो वहीं ऑनलाइन शिक्षा व परीक्षा के दुष्परिणाम भी है।  पिछले कुछ सालों में जिस तरह से डाटा चोरी और परीक्षाएं लीक होने में वृद्धि हुई है। उसमें ऑनलाइन शिक्षा का क्षेत्र सबसे आगे है। सोशल मीडिया में दिन प्रतिदन बढ़ रही फेक न्यूज और साइबर क्राइम ने ऑनलाइन शिक्षा व परीक्षाओं की अहमियत को कम किया है। ऐसा नही कि साइबर क्राइम की समस्या सिर्फ हमारे देश मे ही मौजूद है।  विश्व के विकसित देशों में भी यह बड़ी समस्या है। यूपी बोर्ड 10वीं परीक्षा का सामाजिक विज्ञान , एसएसई , रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) के जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र और इंडियन एयफोर्स के तकनीकी पदों के लिए हुए महत्वपूर्ण परीक्षाओं का लीक होना इसकी सबसे बड़ी खामी व लापरवाही को दर्शाता है। कोरोना को लेकर आम आदमी द्वारा सहयोग के लिए बनाए गए एप “पीएम केयर्स फंड ” का भी देश के कुछ गलत ने लोगों ने फेक अकाउंट तक बना डाला। ऐसी गतिविधियों में देशवासियों और परीक्षार्थियों का हौसला व विश्वास टूट जाता है।

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कोरोना का गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा पर फर्क

जहां ऑनलाइन क्लास और सरकार द्वारा दी जा रही शिक्षा सुविधा से छात्र फायदा उठा रहे है। तो वहीं बड़ी संख्या में वे छात्र भी देश मे मौजूद है जिनके पास फ़ोन जैसे माध्यम भी उपलब्ध नही है। भारत का एक बड़ा तबका गरीब रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है।  ऐसे में उसके लिए ऑनलाइन कक्षा और पुस्तकों के ऑनलाइन होने से कोई संबन्ध या लाभ नही है। ऑनलाइन साधन बहुत महंगे आते है जिन्हें  कम ही परिवार खरीदने में असमर्थ होते है। ऐसे में उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा लेने की बात महज एक सपना ही है। देश में ऐसे कई गरीब परिवार है जो पहले काम करके जीवन यापन कर रहा थे। ऐसे में काम धंधे बंद हो जाने से आय के सारे साधन बन हो गए है।  जिससे कई गरीब परिवार के बच्चें परिवार की गरीबी से शिक्षा से वंचित रह सकते है। ऑनलाइन शिक्षा में कुछ सामग्री ऐसी भी मौजूद है जो बच्चों के लिए अनुकूल या हित में नही है। ऐसे में यह ऑनलाइन सिस्टम को एक सीमा में बांधने का काम करती है।

 

कोरोना के समय, विद्यार्थियों के लिए क्या है विकल्प

इस संकट के समय में छात्रों को इससे डटकर सामना करना है तो उन्हें अपने इस कीमती समय को खराब करने की बजाय पढ़ाई में लगाना चाहिए। छात्रों को इस समय कम्प्यूटर, अंग्रेजी व हिंदी को गहनतापूर्वक पढ़ने और सामान्य ज्ञान सीखने पर बल देना चाहिये। ये इस समय सबसे बेहतर विकल्प हो सकते है जिसमें कई ऑनलाइन किताबे, शिक्षित सामग्री की वीडियोज उनके लिए लाभदायक हो सकती है। फ़ोन में केवल गेम या सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करने से बेहतर है कि कोई उपन्यास या अच्छे अच्छे लेखकों की कहानी कविताएं पढ़े। इसे खाली समय ना मानकर लॉकडाउन के दिनों को भी आम दिनों की भांति टाइम टेबल बनाकर पढ़ा जा सकता है।

सरकार द्वारा 2021 में 100 उच्च शिक्षा संस्थानों को खोलने की बात पर उन्हें ध्यान देना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे निरन्तर तकनीकी सुधारों को ना केवल प्राइवेट स्कूलों तक अपितु सरकारी स्कूलों को भी ऐसे सुधारों से युक्त करना चाहिए। प्राइवेट शिक्षा संस्थान में हो रही फीस बढ़ोतरी को लेकर की जा रही मनमानी पर कड़े एक्शन लेने होंगे। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। जो भी साइबर क्राइम को अंजाम दे। उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

नोट- यह लेखक के निजी विचार हैं। लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता एवं संपूर्णता के लिए सिर्फ लेखक ही उत्तरदायी है। आप भी हमें अपने विचार या लेख- onlypositivekhabar@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।

( लेखक – अखिल सिंघल, दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के छात्र हैं। )

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भविष्य में पेपर लीक की संभावना को खत्म करने के लिए सक्रिय हुए जावड़ेकर https://www.positivekhabar.com/%e0%a4%ad%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%af-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%b2%e0%a5%80%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%ad/ Wed, 04 Apr 2018 15:38:34 +0000 https://www.onlypositivekhabar.com/?p=1900

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पेपर लीक के मामलों की रोकथाम करने के लिए सीबीएसई द्वारा दसवीं और बारहवीं कक्षाओं की परीक्षा कराने की समूची प्रणाली पर गौर करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अवकाश प्राप्‍त सचिव (उच्‍च शिक्षा) विनय शील ओबेरॉय इस सात सदस्‍यीय उच्‍चाधिकार प्राप्‍त समिति के अध्‍यक्ष होंगे।

समिति इन मुद्दों पर करेगी विचार

  • इस प्रणाली में अंतर्निहित सुरक्षा जांच से संबंधित समस्‍त पहलुओं पर नये सिरे से गौर करना, ताकि बिना किसी गड़बड़ी के प्रश्‍न पत्रों को परीक्षार्थियों तक पहुंचाना सुनिश्चित हो सके।
  • प्रिंटिंग प्रेस से परीक्षार्थियों तक प्रश्‍न पत्रों को पहुंचाने की वर्तमान प्रणाली में अंतर्निहित संभावित खामियों के समस्‍त पहलुओं पर नये सिरे से गौर तथा आकलन करना।
  • ऐसे उपाय सुझाना जिससे कि प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल कर तथा किसी भी व्‍यक्ति को प्रश्‍न पत्र सौंपने की आवश्‍यकता को न्‍यूनतम कर इस प्रणाली को और ज्‍यादा सुरक्षित बनाया जा सके।

जानिए समिति के अन्य सदस्यों के बारे में –

  1. पवनेश कुमार, अवकाश प्राप्‍त परीक्षा नियंत्रक, सीबीएसई और पूर्व सचिव, उत्‍तर प्रदेश परीक्षा बोर्ड।
  2.  प्रो. जे.एस राजपूत, यूनेस्‍को के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि, एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक एवं एनसीटीई के पूर्व अध्‍यक्ष।
  3. प्रो. वसुधा कामत, स्‍वतंत्र निदेशक, इरकॉन एवं पूर्व कुलपति, एसएनडीटी महिला विश्‍वविद्यालय।
  4. प्रो. कृष्‍ण मोहन त्रिपाठी, पूर्व शिक्षा निदेशक, उत्‍तर प्रदेश और हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड, उत्‍तर प्रदेश के अध्‍यक्ष।
  5. एनआईसी के डीजी के वरिष्‍ठ प्रतिनिधि।
  6. संयुक्‍त सचिव (माध्‍यमिक शिक्षा–II)
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करना चाहते हैं स्वच्छ भारत में योगदान तो शामिल होइए स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम में https://www.positivekhabar.com/%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a5%88%e0%a4%82-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9b-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0/ Fri, 30 Mar 2018 15:19:43 +0000 https://www.onlypositivekhabar.com/?p=1889

स्वच्छ भारत अभियान के आयोजक और समन्वयक मंत्रालय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर ‘स्वच्छ भारत समर इंटर्नशिप (एसबीएसआई), 2018’ की पहल की है, जिसका उद्देश्य गर्मियों की छुट्टियों के दौरान कॉलेज के युवाओं को गांवों में स्वच्छता से जुड़े कार्यों से जोड़ना है। यह प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को किए गए आह्वान के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने हर व्यक्ति से साल में 100 घंटे स्वच्छता के लिए देने की बात कही थी।

एसबीएसआई का उद्देश्य देश भर के लाखों शिक्षित युवाओं में स्वच्छता क्षेत्र के लिए कौशल विकसित करना, जन जागरूकता का प्रसर और स्वस्छ भारत अभियान के लिए जनांदोलन को मजबूती प्रदान करना है। इंटर्नशिप की शर्तों के अंतर्गत हर अभ्यर्थी को गांवों और उनके आसपास के इलाकों में श्रमदान, स्वच्छता बुनियादी ढांचा तैयार करने, व्यवस्था बनाने, व्यवहारगत बदलाव के लिए अभियान और अन्य आईईसी पहलों सहित विभिन्न गतिविधियों पर 100 घंटों तक काम करने की जरूरत होगी।

इंटर्नशिप के दिशानिर्देशों को उच्च शिक्षा विभाग के साथ परामर्श से तैयार किया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ इंटर्नशिप को कॉलेज, महाविद्यालय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जाएगी। एसबीएसआई को पूरा करने वाले हर इंटर्न को स्वच्छ भारत अभियान द्वारा एक इंटर्नशिप प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाएगा।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उन उच्च शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों को च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत 2 क्रेडिट प्वाइंट्स उपलब्ध कराने पर सहमत हो गया है, जो एसबीएसआई को कराएंगे और पूरा करेंगे।

इंटर्नशिप के विवरण को जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित किए https://www.positivekhabar.com/%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%b5-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a7%e0%a4%a8-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b8-%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be/ Mon, 05 Mar 2018 15:50:13 +0000 https://www.onlypositivekhabar.com/?p=1464

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रमों में शीघ्र सुधार की आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य, प्रणाली से एक अच्छे व्यक्ति को तैयार करना है। शैक्षिक योग्यता के साथ जीवन कौशल, प्रायोगिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और रचनात्मक कौशल की भी आवश्यकता होती है। हमें ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसमें छात्रों को इनमें से प्रत्येक विषय के लिए समय मिले और वह उस क्षेत्र में प्रगति करे जो उसे पसंद हो।

जावड़ेकर ने स्पष्ट करते हुए कहा कि पाठ्यक्रमों में सुधार की मांग लम्बे समय से रही है और अधिकांश लोग मानते हैं कि यह पाठ्यक्रम आवश्यकता से अधिक विस्तृत है और आधुनिक समय के अनुसार उपयुक्त नहीं है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने शिक्षकों, प्राचार्यों, स्कूल प्रबंधनों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, छात्रों, स्वयं सेवी संस्थाओं, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों समेत सभी हितधारकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे इस मसले पर अपने सुझाव भेंजे।

सुझाव 5 मार्च, 2018 से 6 अप्रैल, 2018 तक लिंक http://164.100.78.75/DIGI पर भेजे जा सकते हैं। सुझाव संक्षिप्त होने चाहिए तथा दिए गए प्रारूप में ऑनलाइन भेजे जाने चाहिए। सुझाव भेजने वालों की व्यक्तिगत जानकारियां गोपनीय रखी जाएंगी।

सीबीएससी और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम निम्न लिंकों पर उपलब्ध हैं –

http://cbseacademic.nic.in/curriculum.html

http://www.ncert.nic.in/rightside/links/syllabus.html

 

सुझाव मंगाने का उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक के विभिन्न विषयों की पाठ्य सामग्री (सीबीएससी और एनसीईआरटी) को अधिक संतुलित बनाना है।

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