सफेद शर्ट, बटन खुले हुए और स्ट्रेपलेस ब्रालेट को शर्ट के अंदर इस स्टाइल से छुपाया हुआ था कि वो दिख ही नहीं रहा था। और जैसे ही बिपाशा बसु ने इन तस्वीरों को शेयर किया, सोशल मीडिया पर तहलका मच गया।
बेबी बंप की इन तस्वीरों के साथ ही बिपाशा बसु ने यह कन्फर्म कर दिया है कि वो प्रेग्नेंट हैं और बहुत जल्द मां बनने वाली हैं।
बेबी बंप के साथ बिपाशा बसु की बोल्ड फोटो और साथ में बहुत ही रोमांटिक अंदाज में किस करते हुए उनकी पति करण सिंह ग्रोवर की तस्वीरों ने लोगों का दिल जीत लिया है। सेलेब्स से लेकर उनके फैंस तक सब उन्हें जमकर बधाई दे रहे हैं।
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10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर इरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर यह खुलासा किया था कि वो पिछले चार साल से डिप्रेशन में है और उनका इलाज भी चल रहा है। हालांकि उन्होंने उस वीडियो में यह खुलासा भी किया था कि वो अब काफी बेहतर है।
https://www.facebook.com/320594198845973/posts/662088404696549/
पिता आमिर खान के तलाक पर भी बोली इरा
इरा खान ने इस बार सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो जारी करके जो खुलासा किया है वो जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इस वीडियो में इरा ने अपने साथ होने वाली तमाम अच्छी-बुरी घटनाओं का विस्तार से जिक्र किया है। बचपन से लेकर आज तक किन वजहों से वो रोई हैं या किन घटनाओं की वजह से वो मजबूत बनी हैं, इस वीडियो में इरा ने वो सब कुछ बताया है। वीडियो में इरा ने अपने माता पिता के तलाक पर भी बात की है।
इरा खान का बचपन में हुआ था शारीरिक शोषण
इसी वीडियो में इरा ने खुद को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा भी किया है। इरा ने बताया कि 14 साल की उम्र में उनका शारीरिक शोषण हुआ था। उस समय उन्हें नहीं पता था कि वो आदमी क्या कर रहा है। इसे समझने में इरा को एक साल लग गए कि वो आदमी क्या कर रहा था और उसका इरादा क्या था। इरा आगे कहती हैं कि उन्होंने इस बारे में अपने माता-पिता को बताया और फिर चीजें धीरे-धीरे ठीक होने लगी।
इरा खान का पूरा वीडियो सुनने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें –
https://m.youtube.com/watch?feature=youtu.be&v=bJFGTy38pO8
इरा के मुताबिक – हालांकि , उन्हें बाद में यह सोचकर खुद पर गुस्सा आता था कि उन्होंने ऐसा कैसे होने दिया लेकिन तब जो होना था वो हो गया।
]]>अनन्त की सैर पर इरफान!
सिनेमा के बारे में मेरी थोड़ी बहुत समझ उसके कंटेंट भर तक सीमित है! तकनीकी पहलुओं पर नगण्य ही समझिये!
इसमे काम करने वाले अभिनेता/अभिनेत्री मुझे बस पसंद ही आये बाकी दूसरे किस्म की धारणा मैं कभी बनी नही!
इसका कारण शायद हमारी ट्रेनिंग के दौरान डेढ़ मिनट की वो शॉर्ट क्लिप थी,जिसमे लगा परिश्रम और समर्पण से इतना तो भान हो ही गया कि एक फ़िल्म में इससे हजारों गुना परिश्रम और समर्पण लगता है!
जो बहुत थोड़ी फ़िल्म मैंने देखी उसमे मुझे सब तरह की फिल्म्स पसन्द आई! मसलन मेरी च्वाइस धीरे धीरे व्यक्ति आधारित होती गई! जिसमें #इरफान उल्लेखनीय है! बाकी लोगो का जिक्र अभी समीचीन नही!
मुझे याद है इरफान का मैंने एक इंटरव्यू पढा था कहीं बहुत पहले! जिसके बाद उनके भीतर के आत्मसम्मान ने मेरे मन मे कहीं एक अलग जगह पुख्ता कर ली थी! उन्होंने किसी रिपोर्टर के जवाब में कहा था कि चौथे खान के बजाए आप मेरी पहचान इरफ़ान ही रखे, यही कहे वो बेहतर है!
आगे उन्होंने इसे ही जारी भी रखा!
बॉलीवुड को दूर से भी न जानने वाला मैं इतना तो समझता हूं कि खान के दरबारों की क्या महत्ता है वहाँ! ऐसे में वो चाहते तो जोर अपने ‘खान’ होने पर दे सकते थे, पर उन्होंने वो किया जो किसी स्वाभिमानी व्यक्ति से उम्मीद की जाती है!
आजकल के इस अल्ट्रा राजनीतिक परिदृश्य में जहां हर कोई किसी न किसी ‘तरफ़’ खड़ा दिखाई पड़ता है! इरफान हमे कला और अपने काम के साथ संजीदगी के साथ खड़े दिखाई देते है!
हाल-फिलहाल में मैंने इरफान की “हिंदी मीडियम” देखी थी! पेरेंट्स के लिए स्कूलों में बच्चे का एडमिशन कैसे एक “हरकूलियन टास्क” है वो बड़े या मझोले किसी भी शहर से छिपा नही है! उसी के साथ मध्य और उच्च मध्य वर्ग के और भी आयामों को सामने लाने का उद्यम साबित हुई थी वो फ़िल्म! उस छोटे पर एक जरुरी सामाजिक पहलू पर बनी फिल्म ने खूब सुर्खियाँ बटोरी थी!
उससे पहले पान सिंह तोमर के किरदार को उन्होंने कैसे हम सबके बीच जीवंत कर दिया था, कौन नावाक़िफ़ है!
पहले पहल वैसे इरफान का वो छोटा रिचार्ज याद आता है! खैर!
इस अनिश्चित संसार मे रिटर्न टिकट कन्फर्म है! आज इरफान चले गए, कल हमे जाना है! उस जाने से पहले इरफान करोड़ो दिलों में सदा के लिए अमर हो गए, अपनी कला से! जिन कष्टों से वो कई साल से जूझ रहे थे आज उस त्रास की पूर्णाहुति हुई!
हम सबसे सीख सकते छही, इरफान हमे स्वाभिमान से जीना और एक निर्विवाद जीने की सीख दे कर गए है! सीखना है तो हम उनसे ये सीखे! क्योकि किसी से कुछ सीख नही सकते तो पसंदगी/नापसंदगी बेईमानी है!
बाकी देशभर में 800 से ज्यादा फिल्म्स बनती है, और वेब सीरीज की तो क्या कहें!
इरफान असल में आप गए नही, आप को जितना भी समय दिया ईश्वर ने आप उसका सदुपयोग करके, स्वाभिमान और खेमेबाजी से दूर रहने का सूत्र दे गए! अपनी अभिनय प्रतिभा के सामर्थ्य को सामने रखकर एक नया आयाम प्रस्तुत कर हमारे दिलों में सदा सदा के लिये समा गए!
ईश्वर आप जैसे और लोगो को इस दुनिया मे भेजे, जिनके बहाने हम एक नजर आते है नही तो अलग करने अगणित है, अलग दिखने के बहाने अनन्त है!
आप उस अनन्त की सैर ओर चले गए, वो आपको अपनी शरण मे ले, और आपके परिवार को इस असीम वेदना को सहने की शक्ति प्रदान करें!
ॐ शांति !!
भावभीनी श्रद्धांजलि!
यह पूरा वाक्या बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान से जुड़ा हुआ है। दरअसल , सोनी राजदान ने एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें दिल्ली एयरपोर्ट पर लोग चिल्लाते हुए दिखाई दे रहें थे। वीडियो में आवाज भी सुनाई दे रही थी जिसमें लोग चिल्ला रहे थे कि हमें मार डालो।
वीडियो पर मचा हंगामा तो दिल्ली एयरपोर्ट ने दी सफाई
सोनी राजदान जैसी मशहूर हस्ती के इस वीडियो को शेयर करने के साथ ही यह तेजी से वायरल भी होने लगा। ऐसे में हंगामा तो मचना ही था। तुरंत इस वीडियो की जांच-पड़ताल की गई और फिर जो सच सामने आया वो चौंकाने वाला था।
दिल्ली एयरपोर्ट ने अपने ऑफिशियल ट्विटर एकाउंट से सोनी राजदान को जवाब देते हुए इस वीडियो का सच सार्वजनिक कर दिया। आप भी पढ़िए , दिल्ली एयरपोर्ट ने आधिकारिक रूप से क्या जवाब दिया।
सोनी राजदान ने गलती मानी, डिलीट कर दिया वीडियो
दिल्ली एयरपोर्ट के यह जवाब देने पर कि वायरल किया जा रहा यह वीडियो पुराना है, सोनी राजदान ने अपनी गलती मानी और उन्होंने यह लिखते हुए शेयर किए गए अपने वीडियो को डिलीट कर दिया।
बॉलीवुड की दुनिया से जुड़ी मशहूर हस्ती सोनी राजदान ने जल्द ही अपनी गलती को स्वीकार करके वीडियो डिलीट कर दिया, यह अच्छी बात है लेकिन यहां फिर से वही सवाल खड़ा हो रहा है जो लगातार , बार-बार दोहराया जा रहा है कि किसी भी फोटो या वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करने से पहले यह जरूर जांच लेना चाहिए कि वो सही है या गलत, फर्जी है या असली, पुराना है या नया।
वैसे तो क्रोस चेक करने की जिम्मेदारी हम सबकी है लेकिन मशहूर हस्तियों की फैन फॉलोइंग लाखों में होने की वजह से उनसे ज्यादा सतर्क रहने की उम्मीद तो की ही जा सकती है।
]]>फिल्म को देखकर आहत एक कश्मीरी महिला पंडित विधु विनोद चोपड़ा पर ही भड़क गई । उस महिला ने आरोप लगाया कि फिल्म को ज्यादा ही व्ययवसायिक बना दिया गया है जिसकी वजह से सच्चाई पीछे छूट गई है। उस महिला ने विधु पर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं आपकी फिल्म को कश्मीरी पंडित होने के नाते अस्वीकार करती हूं।
सबसे दुखद बात तो यह है कि महिला के हंगामे के बाद विधु उस महिला पर कटाक्ष करते नजर आए की बहुत अच्छा बोली, ताली बजाओ , इनके लिए शिकारा पार्ट-2 बनायेंगे। बाद में विधु ने उस महिला और कश्मीरी पंडितों के दशकों के संघर्ष पर सवाल उठाते हुए कह दिया कि हर एक सत्य के दो चेहरे होते हैं। एक ही मुद्दें पर लोगों की विपरीत राय का होना लाजिमी है।
कश्मीरी पंडितों की आवाज उठाने वाले कई एक्टिविस्ट , सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी आरोप लगा रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों के नाम पर विधू ने एक रोमांटिक लव स्टोरी बना दी है। आरोप लगाया जा रहा है कि सेक्युलरिज्म के नाम पर विधु विनोद चोपड़ा ने कश्मीरी पंडितों के साथ धोखा किया है।
इसलिए हम भी यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या शिकारा फिल्म के डायरेक्टर विधू विनोद चोपड़ा ने कश्मीरी पंडितों को धोखा दिया है ?
आप अपनी राय नीचे के कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। आप चाहे तो इस फिल्म का रिव्यु भी हमें भेज सकते हैं। फिल्म के बारे में आपकी राय 200 शब्दों से ज्यादा होनी चाहिए। आप अपना लेख अपनी एक तस्वीर और अपने परिचय के साथ हमें मेल कर सकते हैं – onlypositivekhabar.gmail.com
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बचपन से गायन का शौक रखने वाली दीप्ति मलिक अपने स्कूल व कॉलेज के कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेती थी और गाना गाया करती थी। अपने शिक्षक व मित्रों से प्रेरित होकर वह अपना कैरियर बनाने के लिए 2012 में मुम्बई चली गई। उसके परिवार ने उसका कभी संगीत को लेकर साथ नहीं दिया लेकिन माँ रेखा मलिक व छोटे भाई वरुण मलिक के सहयोग से उसने आज बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। हाल ही में 24 जनवरी 2020 में मुम्बई के एक होटल में प्रीतम दा की एक वेब सिरीज़ दा फोरगाटन आर्मी के तीन गानों को 1046 गायकों ने एक साथ गाया था, इसके मुख्य गायकों में दीप्ति मलिक भी शामिल थी। दीप्ति ने अपने कैरियर की शुरुआत सुरेश वाडेकर व आजी वासन संगीत अकादमी से की। दिसंबर 2019 में दीप्ति ने दा लाइव 100 एक्सपीरियंस बैंड के लिए ऑडिशन दिया और सेलेक्ट होकर 27 दिसंबर को अपने बैंड के साथ रिलायंस फाउंडेशन के सेलिब्रेशन में नेशनल एंथम और जय हो गाने को 60000 लोगों के सामने परफॉर्म किया।
दीप्ति ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई जैन कन्या इंटर कॉलेज तथा ग्रेजुएशन आरके पीजी कॉलेज शामली से पूरा किया। इसके बाद वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए सपनों की नगरी मुंबई चली गई। इस उपलब्धि को हासिल करने में उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, मगर उनकी मां रेखा मलिक और भाई वरुण मलिक उनकी हिम्मत बनकर सदा उनके साथ खड़े रहे। वह आज अपनी मां और गुरुजनों की बदौलत इस मुकाम तक पहुंच पाई है।
दीप्ति ने बताया कि अगर मौका मिला तो वह अपने जिले मुजफ्फरनगर के लिए संगीत के क्षेत्र में कुछ करने की इच्छा रखती है। दीप्त द्वारा यह मुकाम हासिल करने की बात जैसे ही उसके रिश्तेदारों और गांव में पता चली तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
]]>भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज पर बायोपिक फिल्म बन रही है। फिल्म का नाम शाबाश मिथु है और यह अगले साल 5 फरवरी को रिलीज होगी।
बुधवार को फिल्म में मिताली राज का किरदार निभा रही फिल्म अभिनेत्री तापसी पन्नू ने सोशल मीडिया पर इस फिल्म का फर्स्ट लुक रिलीज करते हुए लिखा ,
” मुझसे हमेशा पूछा जाता था कि तुम्हारा पसंदीदा मेल क्रिकेटर कौन है लेकिन आपको पूछना चाहिए कि तुम्हारी पसंदीदा फीमेल क्रिकेटर कौन है । यह वह बयान है जिसने हर क्रिकेट प्रेमी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि क्या वह खेल से प्यार करता है या इसे खेलने वाले जेंडर से। कप्तान , आप अल्टीमेट गेम चेंजर होगी “
सोशल मीडिया पर ही मिताली राज ने अपना किरदार निभाने के लिए तापसी पन्नू को धन्यवाद देते हुए लिखा कि वो इस फिल्म का बेताबी से इंतज़ार कर रही है।
तापसी पन्नू बनी मिताली राज
Shabaash Mithu के फर्स्ट लुक में तापसी पन्नू टीम इंडिया के ब्लू ड्रेस में नजर आ रही हैं। हाथ में बल्ला और सर पर हैट लगाए तापसी का यह लुक शानदार दिखाई दे रहा है। महिला क्रिकेट की सबसे शानदार खिलाड़ी और बेहतरीन कप्तान मिताली राज के जीवन पर बन रही फिल्म शाबाश मिथु 5 फरवरी 2021 को रिलीज होगी। इस फिल्म को Rahul Dholakia डायरेक्ट कर रहे हैं।
लेडी सचिन तेंदुलकर कही जाती है मिताली राज
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज को लेडी सचिन तेंदुलकर कहा जाता है । मिताली ने भारतीय महिला क्रिकेट को देश के साथ-साथ दुनियाभर में पहचान दिलाई है।
मिताली टेस्ट क्रिकेट में डबल सेंचुरी लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी है। महिला क्रिकेट के वन डे मैचों में 6000 रन का आंकड़ा पार करने वाली वो एकमात्र महिला खिलाड़ी है। T-20 क्रिकेट में भी 2000 रन का आंकड़ा पार करने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी है। वह पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ( पुरूष और महिला ) एक से अधिक बार वर्ल्ड कप प्रतियोगिता में टीम की कप्तानी की है। मिताली 2005 और 2017 में वर्ल्ड कप चैंपियनशिप में टीम इंडिया की कप्तानी कर चुकी है।
महिला क्रिकेट को शानदार ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए कैप्टन मिताली राज को बधाई और धन्यवाद। तापसी पन्नू को भी एक बेहतरीन और निश्चित तौर पर हिट होने वाली फिल्म की अग्रिम शुभकामनाएं।
]]>इस बार शाहरुख खान ने अपने , अपनी पत्नी गौरी खान और अपने बच्चों के धर्म को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. सोशल मीडिया पर शाहरुख खान का यह बयान तेज़ी से वायरल हो रहा है.
शाहरुख खान ने कहा ,
” मेरी पत्नी हिंदू है और मैं मुसलमान हूं और मेरे बच्चे हिंदुस्तान हैं. कई बार स्कूल में एक फॉर्म भरना पड़ता है , जिसमें धर्म मेंशन करना होता है. एक बार जब मेरी बेटी छोटी थी तो उसने मुझसे पूछा कि पापा हम कौन से धर्म के हैं तो मैंने उस फॉर्म में यही लिखा कि हम इंडियन हैं. फिर तो धर्म की कोई बात नहीं आती “
डांस रियलिटी शो डांस प्लस 5 के शो में पहुंचे शाहरुख ने धर्म के बारे में खुलकर बात की . सोशल मीडिया पर शाहरुख का यह वीडियो जबरदस्त वायरल हो रहा है. लोगों को उनका यह जवाब पसंद आ रहा है.
शाहरुख खान के घर पर ईद , दीवाली , गणेश चतुर्थी सहित तमाम त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं और खुद शाहरुख इसकी तस्वीरें अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करते रहते हैं.
]]>फिल्मी दुनिया में क्लैपर ब्वॉय के तौर पर की शुरुआत –खाना पड़ा था थप्पड़
शोमैन बनने का राज कपूर का सफर इतना आसान भी नहीं था. पिता पृथ्वीराज कपूर चाहते तो राज कपूर को कहीं भी आसानी से ब्रेक मिल सकता था. लेकिन उन्होंने राज को अपने दम पर कुछ करने की नसीहत दी. इसलिए इंडस्ट्री में उनके करियर की शुरुआत एक क्लैपर ब्वॉय के तौर पर हुई. इस फ़िल्म को केदार शर्मा डायरेक्ट कर रहे थे. शूटिंग चल ही रही थी कि एक बार केदार शर्मा ने राज कपूर को जोरदार थप्पड़ लगाया. दरअसल , राज कपूर सीन के वक्त हीरो के इतने करीब आ गए थे कि क्लैप देते ही हीरो की दाढ़ी क्लैप में फंस गई थी.
महज 24 साल की उम्र में बन गए डायरेक्टर
राज कपूर ने महज 24 साल की उम्र में अपना प्रोडक्शन स्टूडियो ‘आर के फ़िल्म्स’ शुरू कर दिया और इसी के साथ बन गए फिल्म इंडस्ट्री के सबसे यंग डायरेक्टर. उनके प्रोडक्शन की पहली फ़िल्म थी आग. इस फ़िल्म में वो डायरेक्टर और एक्टर दोनों की भूमिका में थे.
नर्गिस और राजकपूर
राज कपूर साहब का नर्गिस के साथ खासा गहरा रिश्ता रहा. ये दोनों स्टार्स सिर्फ़ बड़े पर्दे पर ही नहीं असल जीवन में भी काफी करीब थे. राज कपूर और नर्गिस 1940-1960 के बीच 20 सालों से भी ज्यादा समय तक बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत, पॉपुलर और हिट जोड़ियों में से एक माने जाते रहे हैं. नर्गिस ने राजकपूर के साथ कुल 16 फ़िल्में की, जिनमें से 6 फ़िल्में आर.के.बैनर की ही थी. इसी दौरान दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया. बताया जाता है कि राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नर्गिस को भी ले गए और उसी ट्रिप के दौरान दोनों के बीच कुछ मतभेद हुए और इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि नर्गिस वह यात्रा अधूरी छोड़कर वापस भारत लौट आईं. 1956 में आई फ़िल्म चोरी चोरी इस हिट जोड़ी की अंतिम फ़िल्म थी.
ऋषि कपूर ने क्या लिखा है अपने पिता के बारे में
राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ में अपने पिता राजकपूर के बारे में लिखा है – मेरे पिता राज कपूर 28 साल के थे और पहले ही हिंदी सिनेमा के शो-मैन का ख़िताब पा चुके थे. उस वक़्त वो प्यार में भी थे, दुर्भाग्य से मेरी मां के अलावा किसी और से. उनकी गर्लफ्रेंड उनकी कुछ हिट्स आग, बरसात और आवारा में उनकी हीरोइन भी थीं. नर्गिस को इन-हाउस हीरोइन कहते थे और आरके स्टूडियो के चिह्न में भी वो शामिल हैं. ऋषि ने लिखा कि उनके पिता को शराब, सिनेमा और लीडिंग लेडीज़ से प्यार था.
राज कपूर को मिले अवार्ड
भारत सरकार ने राज कपूर को सिनेमा में उनके योगदान के लिए 1971 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया था. 1987 में उन्हें सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ भी दिया गया. उससे पहले वो 1960 की फ़िल्म ‘अनाड़ी’ और 1962 की फ़िल्म ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के लिए बेस्ट एक्टर का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी जीत चुके थे. आपको बता दें कि सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि डायरेक्शन के लिए भी राज कपूर को कई अवॉर्ड मिले थे. उन्हें 1965 में ‘संगम’, 1970 में ‘मेरा नाम जोकर’ और 1983 में ‘प्रेम रोग’ के लिए बेस्ट डायरेक्टर का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था. उनको एक अवॉर्ड समारोह के दौरान ही दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ते रहें लेकिन अंत में वो हार गए और 2 जून 1988 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
जब राज कपूर को अवॉर्ड देने के लिए राष्ट्रपति ने तोड़ा था प्रोटोकॉल
नेहरुवियन समाजवाद से प्रेरित फिल्मों के अलावा उन्होंने कई रोमांटिक फिल्में बनाई और बॉलीवुड में कई शानदार सितारों को भी लॉन्च किया. उनकी फिल्मों का रुतबा ऐसा था कि एक बार देश के राष्ट्रपति ने भी प्रोटोकॉल तोड़कर उनकी बात मानी थी. आमतौर पर भारत के राष्ट्रपति प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हैं और उस दौर में राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन भी ऐसा ही करते थे. लेकिन राज कपूर की फिल्म हिना के चैरिटी प्रीमियर के दौरान राज कपूर की स्पिरिट से प्रभावित होकर उन्होने प्रोटोकॉल भी तोड़ दिया था, हालांकि इस वजह से राष्ट्रपति के साथ चल रही सिक्योरिटी के लिए काफी चिंता की स्थिति पैदा हो गई थी. दरअसल , इस फिल्म के इंटरवल में राष्ट्रपति को निकलना था लेकिन वे राज कपूर की बेटी रितु नंदा को मना नहीं कर पाए. रितु चाहती थीं कि राष्ट्रपति वहां मौजूद कपूर खानदान के साथ एक ग्रुप फोटो खिंचवाएं. राष्ट्रपति ने ना केवल फोटो खिंचाई बल्कि पाकिस्तान के हाई कमीशनर अब्दुल सत्तार को भी इन तस्वीरों में शामिल किया. आपको बता दें कि ये पहली भारतीय फिल्म थी जिसके कुछ अंश को पाकिस्तान में भी शूट किया गया था. राजकपूर की फिल्म हिना सरहदों को क्रॉस करती एक प्रेम कहानी थी. ऋषि कपूर, जेबा बख्तियार, फरीदा जलाल और सईद जाफरी जैसे सितारों से सजी यह फिल्म 1991 में रिलीज हुई थी.
राज कपूर का फिल्मी सफर
सन् 1935 में महज 11 वर्ष की उम्र में राजकपूर ने फ़िल्म ‘इंकलाब’ में अभिनय किया था. उस समय वे बॉम्बे टॉकीज़ स्टुडिओ में सहायक का काम करते थे. बाद में वे केदार शर्मा के साथ क्लैपर ब्वॉय का कार्य करने लगे. बाद में केदार शर्मा ने राज कपूर के भीतर के अभिनय क्षमता और लगन को पहचाना और उन्होंने राज कपूर को सन् 1947 में अपनी फ़िल्म ‘नीलकमल’ में नायक की भूमिका दे दी.
नायक के रूप में राज कपूर का फ़िल्मी सफ़र ‘हिन्दी सिनेमा की वीनस’ मानी जाने वाली सुप्रसिद्ध अभिनेत्री मधुबाला के साथ आरंभ हुआ. 1946-47 में प्रदर्शित केदार शर्मा की ‘नीलकमल’ तथा मोहन सिन्हा के निर्देशन में बनी ‘चित्तौड़ विजय’ और ‘दिल की रानी’ तथा 1948 में एन॰एम॰ केलकर द्वारा निर्देशित ‘अमर प्रेम’ में भी मधुबाला ही राज कपूर की नायिका थी. नरगिस के अतिरिक्त मधुबाला के साथ ही राज कपूर ने सबसे अधिक फिल्मों में नायक की भूमिका की है , लेकिन इनमें सफल केवल ‘नीलकमल’ ही हुई. अन्य फिल्मों की असफलता के कारण उन्हें भुला दिया गया. 1948 में प्रदर्शित ‘आग’ वह पहली फिल्म थी जिसमें अभिनेता के साथ साथ निर्माता-निर्देशक के रूप में भी राज कपूर सामने आये. ‘आग’ के प्रदर्शन के साथ ही राज कपूर की छवि एक विवाद ग्रस्त व्यक्तित्व के रूप में बनी . ‘आग’ के बाद 1949 में राज कपूर ‘बरसात’ फिल्म में अभिनेता के साथ-साथ निर्माता-निर्देशक के रूप में भी पुनः उपस्थित हुए और इस फिल्म ने सफलता का नया मानदंड कायम कर दिया. इस फिल्म की लगभग पूरी टीम ही नयी थी. संगीतकार नये थे– शंकर-जयकिशन. गीतकार नये थे– हसरत जयपुरी और शैलेन्द्र. लेखक नये थे– रामानन्द सागर. फिल्म की नायिका भी नयी थी—निम्मी . इतना ही नहीं राधू कर्मकार, एम॰आर॰ अचरेकर और जी॰जी॰ मायेकर जैसे नये टैक्नीशियनों की पूरी टीम थी. सिर्फ एक वर्ष के समय में ‘बरसात’ पूरी हो गयी और 1949 में ‘बरसात’ के प्रदर्शन के साथ ही हिन्दी सिनेमा में विस्मय का विस्फोट हुआ. शंकर-जयकिशन, शैलेन्द्र, हसरत जयपुरी, रामानन्द सागर, निम्मी और सारे टैक्नीशियन रातों-रात चोटी पर पहुँच गये. ‘बरसात’ का संगीत देश-काल की सीमाओं को लाँघ गया. चारों ओर मुकेश और लता के गाये हुए गीतों की धुन थी. गायिका लता मंगेशकर की पहचान भी ‘बरसात’ फिल्म में ही मुख्यतः बन पायी.
इसके अगले वर्ष अर्थात् सन् 1950 में नायक के रूप में राज कपूर की छह फिल्में आयीं. इस वर्ष नरगिस के साथ उनकी ‘जान पहचान’ और ‘प्यार’ फिल्में आयीं. ‘सरगम’, ‘दास्तान’ और ‘बावरे नयन’ का संगीत अत्यधिक लोकप्रिय हुआ. इसके बाद तो महबूब, केदार शर्मा, नितिन बोस, विमल राय, महेश कौल, वी शांताराम जैसे महामहिमों के रहते नौसिखए राज कपूर ने अपनी फिल्म ‘आवारा’ से साबित कर दिया कि वह हर मोर्चे पर बड़े-बड़े दिग्गजों के हौसले पस्त कर सकता है.
सन् 1951 में प्रदर्शित ‘आवारा’ हिन्दी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ. इसने राज कपूर को नायक के रूप में नयी और अलग पहचान दी. सन् 1952 में नायक के रूप में राज कपूर की चार फिल्में प्रदर्शित हुईं– ‘अम्बर’, ‘अनहोनी’, ‘बेवफ़ा’ और ‘आशियाना’. इन चारों में ही उनकी नायिका नरगिस थीं. 1951 से 1956 के बीच राज कपूर की जितनी भी फिल्में आयीं, उनमें नायिका नरगिस ही थीं. यह भी अपने-आप में एक रिकॉर्ड है. सन् 1953 राज कपूर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण वर्ष साबित हुआ. इस वर्ष उनकी आर॰के॰ फिल्म्स की तीन फिल्में रिलीज हुईं– ‘आह’ ‘धुन’ और ‘पापी’ और ये तीनों ही फिल्में असफल हो गयीं. ‘आह’ की असफलता के तुरंत बाद आर॰के॰ फिल्म्स के अंतर्गत एक ऐसी फिल्म बनायी गयी जिसने पूरे फिल्म उद्योग को चौंका दिया. यह फिल्म थी ‘बूट पॉलिश’, जिसमें राज कपूर स्वयं नायक भी नहीं थे और नरगिस भी नहीं थी. इसमें थे दो बाल कलाकार– बेबी नाज और रतन कुमार और प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता अब्राहम डेविड. बाल फिल्मों की सफलता हमेशा ही संदिग्ध रही है लेकिन राज कपूर के महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व के अनुरूप ‘बूट पॉलिश’ एक ऐसा करिश्मा साबित हुई जिसने उनकी प्रतिष्ठा पर लगे धक्के के एहसास तक को नष्ट कर दिया और इसकी रजत-जयंती सफलता ने पूरे फिल्म उद्योग को अचंभे में डाल दिया.
1955 में आर॰के॰ फिल्म्स की ‘श्री 420’ ने फिर से राज कपूर को सबसे बढ़कर बना दिया. सन् 1956 राज कपूर के जीवन का महत्त्वपूर्ण वर्ष रहा. इस वर्ष उनकी दो फिल्में प्रदर्शित हुईं– ‘जागते रहो’ और ‘चोरी-चोरी’. सन् 1957 में दक्षिण भारत के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक एल॰ वी॰ प्रसाद की पहली हिन्दी फिल्म ‘शारदा’ में राज कपूर के साथ नायिका रूप में मीना कुमारी आयीं. इसके बाद परवरिश , फिर सुबह होगी , अनाड़ी, दो उस्ताद , अनाड़ी , छलिया , श्रीमान् सत्यवादी , जिस देश में गंगा बहती है जैसी फिल्मों में धूम मचा दिया.
26 जून 1964 को अखिल भारतीय स्तर पर ‘संगम’ प्रदर्शित हुई. इसके 100 से अधिक प्रिंट एक साथ रिलीज किये गये थे. यह निर्माता, निर्देशक तथा अभिनेता सभी रूपों में राज कपूर की पहली रंगीन फिल्म थी. इस फिल्म के लिए उन्हें ‘फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार’ और ‘फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सम्पादक पुरस्कार’ भी प्राप्त हुए. सन् 1970 के दिसंबर में आर॰के॰ फिल्म्स की अपने समय की सबसे महँगी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ अखिल भारतीय स्तर पर एक साथ प्रदर्शित हुई. यह राज कपूर के जीवन की सबसे महत्त्वाकांक्षी फिल्म थी लेकिन दुर्भाग्य यह फ्लॉप हो गई. ‘मेरा नाम जोकर’ के साथ ही राज कपूर ने नायक के रूप में फिल्मों से विदा ले ली. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में चरित्र अभिनेता के रूप में भूमिकाएँ निभायीं.
]]>भारत पाकिस्तान के बीच तनातनी माहौल के इस नए दौर में वहां जाकर पैसों के लिए परफॉर्म करना इस बार मीका के लिए भारी पड़ गया . सोशल मीडिया पर भी लगातार लोग मीका सिंह की आलोचना कर रहे हैं.
दरअसल , पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से यह खबर आई थी कि पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के एक रिश्तेदार के मेहंदी समारोह में मीका सिंह ने गाना गाया था. खबरें तो यहां तक आईं कि मीका का फरफॉर्मेंस देखने के लिए भारत का मोस्ट वांटेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का परिवार भी मौजूद था. पाकिस्तान के शीर्ष नौकरशाहों, सेना और पुलिस के अधिकारियों और जावेद मियांदाद के अलावा पाकिस्तान की कई जानी-मानी हस्ती भी कार्यक्रम में मौजूद थे .
इसलिए AICWA ने साफ कर दिया है कि वह इस बात का ध्यान रखेगा कि इंडस्ट्री में कोई भी मीका सिंह के साथ काम नहीं करे. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिए जाएगा .
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