शिवाजी कॉलेज का बड़ा फैसला
सोमवार को शिवाजी कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने छात्रों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए सेकंड और थर्ड ईयर के सभी विद्यार्थियों की विभिन्न मदों की 6,350 रुपये प्रति छात्र की फीस माफ करने की घोषणा की। इसका फायदा कॉलेज के 3,700 से ज्यादा विद्यार्थियों को होगा।
कॉलेज के प्रिंसिपल शिव कुमार सहदेव के मुताबिक इस साल कॉलेज में कोरोना के चलते कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ है। तमाम सोसायटी के फण्ड बचे हुए थे और छात्र कॉलेज की कई सुविधाओं का उपयोग भी नहीं कर रहे थे इसलिए कॉलेज ने छात्रों को यह राहत देने का फैसला किया।
राजधानी कॉलेज ने भी दी राहत
राजधानी कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने भी छात्रों को राहत देने के लिए बड़ा फैसला किया है। जिस मद में छात्रों से पैसा लिया गया है और छात्रों ने उस सुविधा का उपयोग नहीं किया है तो इस सत्र में उनसे पैसा नहीं लिया जाएगा। कॉलेज ने फीस की राशि में से भी 2010 रुपये माफ करने का फैसला किया गया है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ राजेश गिरी ने छात्रों के हित में लिए गए इस फैसले की जानकारी दी।
आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज ने भी दी राहत
आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज ने भी आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करने का फैसला किया है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ ज्ञानतोष झा के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को चिह्नित कर उनकी फीस का एक हिस्सा कम कर दिया जाएगा।
लक्ष्मीबाई कॉलेज ने भी किया फीस माफ
लक्ष्मीबाई कॉलेज ने छात्राओं को किस्त में फीस जमा करने की सुविधा दी है और इसके साथ ही कॉलेज ने फीस देने में परेशानी का आवेदन देने वाली लगभग 100 छात्राओं की पूरी फीस भी माफ करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि इस कॉलेज की पूर्व शिक्षिका कौशल्या वर्मा ने 10 लाख रुपये की राशि भी कॉलेज को दान के तौर दी है। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ प्रत्यूष वत्सला ने छात्राओं के हितों में लिए गए इन तमाम फैसलों की जानकारी दी।
]]>दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहा है हैप्पीनेस पाठ्यक्रम
आपको बता दे कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पहले से ही सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को तनाव मुक्त करने और उन्हें हंसते मुस्कुराते इंसानियत का पाठ सिखाने के लिए सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शुरू कर रखा है .जिसे बड़े पैमाने पर सफलता मिली है और बहुत से ऐसे छात्र है जिसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी हुए हैं.
रामानुजन कॉलेज सिखाएगा 6 महीने में खुश रहने का फॉर्मूला
सरकारी स्कूलों में मिली कामयाबी से उत्साहित दिल्ली सरकार ने अब दिल्ली विश्वविद्यालय में भी हैप्पीनेस की पाठशाला शुरू करने का फैसला किया है . अब इस पाठ्यक्रम को स्कूल ऑफ हैप्पीनेस द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को भी पढ़ाया जाएगा. वहीं इसको लेकर स्कूल ऑफ हैप्पीनेस के डायरेक्टर प्रोफेसर टी के मिश्रा ने बताया कि कॉलेजों में चलने वाला यह पाठ्यक्रम स्कूल के पाठ्यक्रम से बुनियादी तौर पर अलग होगा.
छात्रों को खुशियां बांटने के लिए करेंगे तैयार
प्रोफेसर टीके मिश्रा ने कहा कि स्कूलों में चल रहे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में खुशियां बांटना है, जो उन्हें अलग-अलग तरह की गतिविधियां करवाकर, कहानी सुनवा कर भी दी जा सकती है. जबकि कॉलेज में आने वाली युवा पीढ़ी के लिए शुरू किया जाने वाला ये हैप्पीनेस पाठ्यक्रम उन्हें खुशियां बांटने का नहीं बल्कि उन्हें खुशियां पैदा करना सिखाएगा.
इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य होगा छात्रों को समाज में खुशियां बांटने के लिए तैयार करना.इस कार्यक्रम को कॉलेज में शुरू कराए जाने को लेकर प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि आज के समाज में जो कुरीतियां और उथल-पुथल मची हुई है, उससे लोग अपने पुरातन संस्कार भूलते जा रहे हैं फिर चाहे वह लिव इन रिलेशनशिप का मुद्दा हो या फिर बलात्कार जैसी गंभीर समस्या.इसका बुनियादी कारण यह है कि लोगों में खुशियां नहीं रह गई है.
आपराधिक घटनाओं पर भी लगेगी लगाम
समाज मे खुशियों की कमी के चलते समाज में अपराध बढ़ते जा रहे हैं. वहीं भविष्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली युवा पीढ़ी को बेहतर भविष्य निर्माण में अपना सहयोग देने के लिए प्रेरित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद जब छात्र कॉलेज आते हैं, तो वह मन और बुद्धि से परिपक्व हो चुके होते हैं. उनमें नया जोश और उत्साह होता है. स्कूल ऑफ हैप्पीनेस इन छात्रों के लिए एक दिशा-निर्देश की तरह काम करेगा. जो छात्रों को समाज हित की भावनाओं से ओतप्रोत कर उन्हें एक बेहतर समाज और बेहतर भारत के निर्माण में सहयोग देने लायक बनाएगा.
पौराणिक संस्कृति और वेद पुराण का ज्ञान
प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि आज के संदर्भ में हमारी पौराणिक संस्कृति और वेद पुराणों का जो महत्व है उसे छात्रों को अवगत कराया जाएगा. उन्हें उन सभी मूल्यों का ज्ञान कराया जाएगा, जिससे वंचित होने के कारण आज समाज पथभ्रष्ट हो रहा है. साथ ही उन्हें इस बात से अवगत कराया जाएगा कि भारत के प्राचीन ग्रंथों में दिए गए ज्ञान किस तरह व्यावहारिक रूप में प्रयोग कर समाज में व्याप्त हो रही समस्याओं के निदान में सहायक हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ हैप्पीनेस में छात्रों को कोई किताबी ज्ञान नहीं दिया जाएगा बल्कि जीवन का व्यावहारिक ज्ञान सिखाया जाएगा.
तो देर किस बात की जल्दी कीजिए ऑनलाइन आवेदन
इस पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. छात्रों को आवेदन के समय दो प्रश्नों के उत्तर देने होंगे जिसके आधार पर उन्हें दाखिले के लिए चुना जाएगा. इसके बाद चयनित छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा और समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण और दूसरों को खुश करने के जज़्बे के आधार पर ही उन्हें इस पाठ्यक्रम के लिए चुना जाएगा.
कोई फीस नहीं लगेगी
इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए छात्रों से किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाएगी. उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम की पढ़ाई किसी क्लास तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसके लिए आउटडोर टूर भी किए जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में छात्रों को ट्रांसपोर्ट की राशि देनी पड़ सकती है.बता दें कि रामानुजन कॉलेज में शुरू किए जा रहे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का लाभ केवल रामानुजन कॉलेज के छात्रों को ही नहीं बल्कि डीयू के सभी विद्यार्थियों को मिल सकेगा. डीयू का कोई भी छात्र इसमें आवेदन कर पाठ्यक्रम का लाभ ले सकेगा. हालांकि पाठ्यक्रम के लिए छात्रों का चुनाव साक्षात्कार के आधार पर ही होगा.
]]>पिछले पाँच वर्षों में मोदी सरकार ने विकास के सभी मापदंडों में देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। विश्व भर में आज भारत की आवाज़ को न केवल सुना जाता है बल्कि उसके विचारों का सम्मान भी किया जा रहा है। जहाँ भारत ने आर्थिक, तकनीकी व आधारभूत संरचना के क्षेत्र में तरक्की की है वहीं कूटनीति और सैन्य क्षेत्र में भी विश्वास के साथ आगे कदम बढ़ाए हैं। चाहे चीन के साथ डोकलाम का मुद्दा हो, उड़ी की सर्जिकल स्ट्राइक हो, बालाकोट हमला हो या म्यामांर की आतंकवादी खदेड़, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को दुश्मनों की आखों में आँखें डाल माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सर्वोपरि रखा गया है व हल किया गया है।आज भारत का नेतृत्व आतंकवाद के विरुद्ध है साथ ही तकनीकी व नेतृत्व की दृष्टि से सुदृढ़ व विकसित है। अभिनंदन की शीघ्र वापसी, मसूद अजहर का अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित होना, ये सभी भारत की कुशल नेतृत्व क्षमता का परिणाम है।
भारत ने 2014-19 के दौरान जो सफलता का दौर शुरू किया है वह निस्संदेह जारी है। भारत की उपलब्धियों की एक लंबी सूची है।
1 भारत आज विश्व की अर्थव्यवस्था में 6वें नम्बर पर है।
2 आज भारत में टैक्स देने वालो की संख्या 7.1 करोड़ है जो 2014 में मात्र 3.8 करोड़ थी।
3 भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन ने बिचौलियों को समाप्त कर करोड़ों रुपए की बचत सरकारी खाते में जमा की है ।
4 गरीब किसान, ग्रामीण विकास योजनाएं, स्वच्छता अभियान, शौचालयों के निर्माण में सरकार द्वारा लगभग 9.3 करोड़ का खर्च किया गया है। 7 करोड़ नए एल पी जी कनेक्शन, 2.5 करोड़ घरों का आवंटन , 83.8 करोड़ नए बैंक खाते ,करोड़ो का स्वास्थ्य बीमा,पेंशन योजना, गरीब किसानों को 6000 रुपये वार्षिक आय, 2.02 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़को का निर्माण, 10% आर्थिक पिछङे लोगों के लिए आरक्षण आदि ने करोड़ों लोगों को लाभान्वित किया है।
पहली बार हमारे सुरक्षा बलों के लिए एक रैंक एक पैशन (OROP) स्वीकार किया गया है। अमानवीय ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश लाया गया है। बाल बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड कानून में शामिल किया गया है।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों और शिक्षाविदों के लिए सराहनीय कार्य हुए हैं । हम यह जानकर खुश हैं कि NDA के तहत MHRD ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों को वेतनमान और सेवा शर्तों के सर्वश्रेष्ठ पैकेज से सम्मानित किया है। यह वेतन पैकेज प्राध्यापक की स्थिति को और शिक्षकों के सम्मान को सुनिश्चित करता है। पहले के पैकेज में भारी ठहराव और परिणामी कुंठाएं थीं।
पिछले 5 वर्षों के दौरान GER 18% से बढ़कर 26% हो गया है और आगे बढ़ने की ओर अग्रसर है। कई आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, विश्वविद्यालय पेशेवर और सामान्य शिक्षा का आधार बढ़ाने के लिए स्थापित किए गए हैं।
मोदी सरकार ने सभी के लिए सामाजिक समरसता और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। 200 पॉइंट रोस्टर पर अध्यादेश और EWS के लिए 10% आरक्षण उस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह अतिरिक्त आरक्षण यूजी और पीजी स्तरों पर छात्रों की संख्या में 25% की वृद्धि करेगा और शिक्षकों की आवश्यकता को बढ़ाने में मदद करेगा।
इस सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बहुत जोर दिया। खेलो भारत और योग पर जोर दिया। स्वच्छ्ता अभियान, प्रदूषण नियंत्रण पर जोर देने के साथ-साथ और प्रति घंटा वायु गुणवत्ता सूचकांक के माध्यम से प्रदूषण के स्तर को जानने के लिए लोगों के अधिकार का प्रावधान, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में एक कदम है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करके भारत को पुन: विश्व गुरु के रूप में मान्यता दिलाई है।
आर्थिक विकास, नए इन्फ्रा प्रोजेक्ट के साथ एफडीआई और मेक इन इंडिया में वृद्धि ने संगठित और असंगठित क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया है।
जन धन योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, असंगठित मजदूरों के लिए बीमा कवर, किसान सम्मान निधि योजना इत्यादि योजनाओं को सभी ने सराहा है।
निष्कर्ष निकालने के लिए हम एक बार फिर जनता से एनडीए उम्मीदवारों के लिए वोट करने की अपील करते हैं ताकि प्रगति की वर्तमान गति बनी रहे। मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए के विकल्प सोचना राजनीतिक भ्रम है। भारत अब एक ऊँची उड़ान भरने के लिए तैयार है।
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए 100 प्रतिशत मतदान करें।
आई .एम .कपाही
एन .के .कक्कड़
आर. के .भाटिया
राकेश पांडे
ए .के .भागी
वी .एस. नेगी
प्रदुम्न कुमार
सलोनी गुप्ता
सुरेन्द्र कुमार
सुनील शर्मा
बिजेंद्र कुमार
मनोज कैन
महेंद्र मीना
अनिल शर्मा
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नैना हसीजा
रसाल सिंह
चमन सिंह
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कमलेश अत्री
रूबी मिश्रा
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