दरअसल, सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए प्रदेश में वीकेंड लॉकडाउन लगा रखा था । यानि आवश्यक सुविधाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं को सप्ताह के दो दिन शनिवार और रविवार को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया गया था।
लेकिन कोरोना के लगातार सुधर रहे हालात को देखते हुए अब योगी सरकार ने लोगों को राहत देने का फैसला कर लिया है। गृह मंत्रालय इससे जुड़े नियमावलियों को अंतिम स्वरूप देने में जुटा हुआ है और जल्द ही इसकी विस्तृत घोषणा हो सकती है। त्योहारी सीजन में इसका सबसे बड़ा लाभ लोगों खासकर दुकानदारों और व्यापारियों को हो सकता है।
Positive Khabar की तरफ से आप सबकों आने वाले त्योहारों के लिए अग्रिम शुभकामनाएं। घूमिए-फिरिए, शॉपिंग का आनंद उठाइए लेकिन मास्क और दो गज की दूरी के नियमों का पालन अवश्य कीजिए क्योंकि याद रखिए कोरोना का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है।
]]>पिछले दशक के वर्षों की बात होगी तो वर्ष 2020 को सबसे ज्यादा चर्चा में रखा जाएगा। वर्ष 2020 में लोगों ने वो सब देखा जिसके बारे में लोगों ने सोचा भी नहीं था। वर्ष 2020 तो चर्चा में रहेगा ही और 2020 के साथ-साथ कोरोना नामक महामारी भी आने वाले समय में लोगों को 2020 की घटनाओं को याद दिलाएगी। अगर पूरे दशक का इतिहास लिखा जाए तो निश्चित ही 2020 उस इतिहास के बहुत से पन्ने पर अपना कब्जा जमा ले0गा।
वैसे तो लॉकडाउन के कारण कुछ समय के लिए समय भी थम सा गया था। लेकिन समय की मांग के अनुसार सरकार धीरे धीरे सब सामान्य करती गई और जिस जीवन की गाड़ी को कोरोना ने ब्रेक लगा दिया था वह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती गई। आज हम समाज में चारों तरफ नजर घुमाएंगे तो बंद पड़ी बाज़ारे व सुनसान सड़कें सपना लगेगी। सब सामान्य हो चुका हैं। लोगों के चेहरे पर मास्क व कहीं कहीं लोगों के बीच की दो गज़ दूरी हमें कोरोना वायरस होने का अहसास दिलाती हैं। कोरोना वायरस की वैक्सीन भी आ गई हैं जो लोगों में बचें थोड़े बहुत कोरोना के डर को कम कर रही हैं। कोरोना वायरस को लेकर लोगों की मानसिकता व सरकार का नजरिया बदल गया हैं अब कोरोना की पहुंच हर जगह नहीं हैं ।
चुनावी रैली हो या कहीं नेताओं का तांता लगा हो ऐसी जगह तो मानो कोरोना वायरस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ हो। आंदोलन को खत्म करने को लेकर भी सरकार ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई हैं। वैसे तो सरकार एक-एक कर सब सामान्य कर रही हैं जिसकी शुरुआत सरकार ने शराब की दुकानों को खोल कर की थी। सभी जरूरी चीजें नए नियमों व कानूनो के साथ सामान्य होती जा रही हैं।
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लेकिन एक चीज सरकार की सामान्यीकरण की नीती से परे रह गई हैं वह हैं शिक्षण। वैसे तो ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा व परीक्षा निरंतर चलती रही हैं। लेकिन ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा लेने वाले छात्रों के मन में उठने वाले सवाल भी जायज़ हैं कि कब तक यह शिक्षा इसी तरह चलती रहेगी। जितना यह सवाल जायज़ हैं उतना ही जायज़ हैं सरकार का इन सवालों का उत्तर देना। जब सब सामान्य हो रहा हैं तो सरकार को ठोस कदमों के साथ शिक्षण को सामान्य करने की दिशा में काम करना चाहिए। क्योंकि ऑनलाइन शिक्षण का विक्लप अवश्य हैं लेकिन इसे निरंतर नहीं चलाया जा सकता हैं। लाखों की संख्या में छात्र ऐसे हैं जो संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण शिक्षा से वांछित हैं। सरकार को बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों व उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के विषय में गंभीरता से सोचना चाहिए। सरकार हर बार छात्रों के स्वास्थ्य की चिंता व्यक्त कर छात्रों के सवालों से दूर हो जाती हैं।
अब कोरोना के बाद के सबसे बड़े सवाल का जबाव भी कोरोना वैक्सीन के रूप में आ गया हैं। तो ऐसे में सरकार को शिक्षा व्यवस्था सामान्य करने के लिए सुस्पष्ट नीति बनाकर तैयारियां कर लेनी चाहिए।
नोट – यह लेखक के निजी विचार हैं। लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता एवं संपूर्णता के लिए सिर्फ लेखक ही उत्तरदायी है। आप भी हमें अपने विचार या लेख- onlypositivekhabar@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।
(लेखक – अमन माहेश्वरी, दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के छात्र हैं।)
]]>कोरोना काल में शादी जैसे समारोह पर भीड़ को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे। इसकी वजह से शादी से जुड़े तमाम कारोबार पूरी तरह से ठप्प हो गए थे। कोरोना के चलते होटल उद्योग भी मंदी का सामना कर रहा था। इन तमाम वजहों को देखते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी नियमों में बदलाव का ऐलान कर दिया।
शादी समारोह के लिए दिल्ली सरकार ने दी बड़ी रियायत
दिल्ली सरकार ने शादी समारोह में आने वाले मेहमानों की संख्या में ढ़ील देते हुए अब अधिकतम 200 लोगों को विवाह समारोहों में शामिल होने की इजाजत दे दी है। केजरीवाल सरकार के नए फैसले के बाद अब बंद परिसरों में आयोजित विवाह समारोहों में अधिकतम 200 लोगों को शामिल होने की इजाजत होगी। हालांकि खुले परिसर में आयोजित विवाह समारोह में लोगों की संख्या मैदान के आकार पर निर्भर करेगी।
आपको बता दें कि इससे पहले शहर में अधिकतम 50 लोगों को ही शादी समारोहों में शामिल होने की इजाजत थी। पिछले कुछ दिन में राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद शादी के सीजन को देखते हुए दिल्ली सरकार ने यह फैसला किया है। हालांकि शादी समारोह में भी कोरोना से बचाव के तमाम नियमों का पालन लोगों को करना होगा।
मास्क और सैनेटाइजर अनिवार्य
दिल्ली सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बंद हॉल में शादी करने पर अधिकतम 200 लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति होगी। इस दौरान बैंक्वेट हॉल मालिक को प्रवेश द्वार पर सैनेटाइजर का होना सुनिश्चित करना होगा। इस दौरान लोगों को कार्यक्रम में मास्क लगाना भी आवश्यक होगा। खुले मैदान में शादी के आयोजन के लिए लोगों की संख्या के संबंध में स्थानीय जिला प्रशासन से इजाजत लेनी होगी।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सभी विभाग, स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक उपक्रम, निगम और स्थानीय निकाय 30 नवंबर तक प्रतिबंधित और अनुमति वाली गतिविधियों के संदर्भ में यथास्थिति बनाकर रखेंगे।
]]>ऑनलाइन एजुकेशन का सिस्टम लगातार जोर पकड़ता जा रहा है और अब यह तय हो गया है कि आने वाले दिनों में इसका उपयोग और भी ज्यादा बढ़ता जाएगा। ऐसे में अब यह जरूरी हो गया है कि सभी अभिवावक बच्चों को ऑनलाइन मंडरा रहे खतरें के बारे में भी बताए, आगाह करें।
बच्चों को बताएं – ऑनलाइन सुरक्षित कैसे रहना है?
ऑनलाइन की दुनिया, वास्तव में यूजर आईडी और पासवर्ड की दुनिया है। पासवर्ड जितना मजबूत होगा, आप भी उतने ही मजबूत होंगे। पासवर्ड जब तक सेफ रहेगा , आप भी तब तक ही सुरक्षित रहेंगे।
रहना है ऑनलाइन सेफ – पढ़िए, क्या करें और क्या न करें
साइबर बुलिंग को भी जानना है जरूरी
ऑनलाइन किस तरह का खतरा मंडरा रहा है। यह बच्चों के साथ-साथ , हम सबके लिए जानना जरूरी है। हम सबके लिए यह जानना जरूरी है कि यह साइबर बुलिंग होता क्या है ? इसलिए आप भी पढ़िए, समझिए और बच्चों को भी जरूर समझाइए।
साइबर बुलिंग -कैसे रोकें और मुकाबला करें
आपको यह बखूबी समझ आ गया होगा कि यह ऑनलाइन खतरा है क्या ? आखिर यह साइबर बुलिंग है क्या ? खतरें को जान और समझ लेने के बाद यह सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उससे मुकाबला कैसे किया जाए। तो पढ़िए यह गाइडलाइन्स
सबकों यह मालूम होना चाहिए कि साइबर अपराध का शिकार होने पर क्या करें। इसके लिए जरूरी है तमाम हेल्पलाइन नंबर्स, मेल आईडी को याद रखना। यह सभी जरूरी जानकारी आपको ऊपर की तस्वीर में नजर आ रही होगी।
आपको बता दें कि NCERT और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के नई दिल्ली स्थित कार्यालय ने मिलकर ऑनलाइन सुरक्षित रहने पर छात्रों और शिक्षकों के बीच में जागरूकता बढ़ाने के लिए उपरोक्त गाइडलाइन्स वाली किताब को तैयार किया है । जिसका शुभारंभ केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने किया।
]]>मोदी सरकार के अध्यादेश पर लग गई राष्ट्रपति की मुहर
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को ही देर रात कोविड -19 महामारी से लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा देने वाले अध्यादेश – महामारी रोग ( संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी। महामारी रोग अधिनियम- 1897 में संशोधन वाले अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है। आपको बता दें कि देशभर से डॉक्टरों,नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा लगातार की जा रही मांग के मद्देनजर ही मोदी कैबिनेट ने बुधवार को स्वास्थ्यकर्मियों और संपत्ति की रक्षा के लिए महामारी रोग ( संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी थी।
डॉक्टरों-नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों की अब खैर नही
केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिए लागू किये गए कानून के मुताबिक अब डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों की खैर नहीं। ऐसा हिंसक कार्य करने या उसमें सहयोग करने वाले लोगों को 3 महीने से लेकर 5 साल तक के लिए जेल जाना पड़ सकता है। इसके साथ ही 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
गंभीर चोट या जख्म पहुंचाने पर दोषी को 7 साल तक कि सजा हो सकती है । ऐसे अपराधी को 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। इसके साथ ही अपराधी को पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा भी देना पड़ेगा। पीड़ित की संपत्ति को पहुंचे नुकसान के बाजार मूल्य की दोगुनी राशि मुआवजे के तौर पर अपराधी को पीड़ित को देनी होगी।
सबसे खास बात यह है कि अब स्वास्थ्यकर्मियों (डॉक्टरों, नर्सों आदि) पर हमले को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बना दिया गया है।
]]>इसे देखते हुए अब दिल्ली सरकार ने यह तय किया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में मीडियाकर्मियों का कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक उनकी सरकार मीडियाकर्मियों की, कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए कोरोना जांच करवाएगी।
आपको बता दें कि हाल ही में मुंबई में कोरोना से संक्रमित पत्रकारों की संख्या ने पूरे देश के मीडियाकर्मियों को चिंता में डाल दिया था। देश की वाणिज्यिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में 53 पत्रकार कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। मुंबई का आंकड़ा सामने आने के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने यह महत्वपूर्ण फैसला किया।
केजरीवाल के बयान को आप ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान को आम आदमी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा,
“देश में कई जगहों से खबरें आ रही है की कई पत्रकार भी कोरोना से संक्रमित हो गए है। कोरोना संकट में पत्रकार इस समय फ्रंटलाइन पर काम कर रहे है।इसलिए हमनें पत्रकार साथियों के लिए एक अलग सेंटर बनाया है, जहां हर पत्रकार साथी अपना निःशुल्क टेस्ट करवा सकता है।” – CM @ArvindKejriwal “
कोरोना महामारी के संकट के दौर में निश्चित तौर पर पत्रकार जोखिम उठा कर काम कर रहे हैं। ऐसे में केजरीवाल सरकार के इस फैसले को सही कदम कहा जा सकता है।
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एक पुरानी कहावत है कि संकट के समय ही व्यक्ति के चरित्र का पता चलता है। कहावत यह भी है कि संकट की गोद से ही मजबूत नेतृत्व अर्थात मजबूत शासक का उदय होता है। कोरोना संकट ऐसा ही क्षण है जब दुनिया के सामने एक बार फिर देशों की कलई खुल रही है। दुनिया यह देख रही है कि किस प्रकार से तथाकथित महाशक्तियों ने इस बीमारी के आगे घुटने टेक दिये हैं। दुनिया यह भी देख रही है कि जिस कथित उभरती हुई महाशक्ति को उन्होंने अपने-अपने देश में फलने-फूलने दिया, जिस देश ने दुनिया के सभी देशों की नागरिकों की क्रय क्षमता का इस्तेमाल अपने व्यापार को बढ़ाने में किया। जिसने व्यापारिक उन्नति का इस्तेमाल कूटनीतिक मैदान में करते हुए पहले पड़ोसी देशों को धोखा देने में किया और बाद में वह इतना ताकतवर हो गया कि अमेरिका और यूरोप के देशों को हड़काने लगा।
दुनिया को धोखा देकर भी नहीं सुधरा चीन
आज उसी देश चीन ने दुनिया को धोखा दे दिया। सारी मानवता के लिए एक खतरा पैदा कर दिया। चीन भले ही इस मामले में कितनी भी सफाई देने की कोशिश करे लेकिन सारे तथ्य यह बताते हैं कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। सारी दुनिया जब दिसंबर के महीने में नए साल के आगमन के लिए जश्न की तैयारी में जुटी हुई थी ठीक उसी समय चीन के वुहान प्रांत में कुछ तो ऐसा किया जा रहा था जिसने पूरी मानवता को खतरे में डाल दिया।
उसके बाद के 4 महीनों में भी एक-एक करके चीन और उसके साथी देश की कलई खुलती चली गई। दुनिया ने देखा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी देशों में से एक चीन इस बीमारी का न केवल जनक बना बल्कि उसने पूरी दुनिया से कोरोना से जुड़े तथ्यों को छुपाने का आपराधिक षड्यंत्र भी किया। पी-5 समूह का सबसे ताकतवर देश अमेरिका खुफिया जानकारी होने के बावजूद इस चीनी वायरस से अपने देश को बचा नहीं पाया। गौरवशाली इतिहास और एक दौर में दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन के शाही परिवार और प्रधानमंत्री तक इस चीनी वायरस की चपेट में आ गए। चौथे स्थायी सदस्य फ्रांस की हालत हम सब जानते हैं। तमाम चौकसी के बावजूद सुरक्षा परिषद का पांचवा स्थायी देश रूस भी अपने आपको इस चीनी वायरस से बचा नहीं पाया।
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया के सामने कोरोना महामारी का कहर फैला हुआ है। हर देश इससे जूझ रहा है। पिछले कुछ दशकों में पहली बार मानव जाति के सामने वैश्विक स्तर पर इतना बड़ा संकट आ गया है लेकिन दुनिया को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी उठाने वाले ये देश कर क्या रहे हैं। चीन की बदनीयती का आलम तो देखिए कि अभी वो कुछ दिनों पहले तक भारत से मदद की गुहार लगा रहा था क्योंकि अमेरिका समेत कई देश कोरोना वायरस को चीनी वायरस की संज्ञा दे रहे थे और अब उसे कश्मीर के हालात को लेकर चिंता होने लगी है। चीन की शह पर उछलने वाला पाकिस्तान अपने देश के कोरोना पीड़ितों की मदद करने की बजाय अभी भी भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर गोलीबारी करने में लगा हुआ है।
मानवता के रक्षक के रूप में फिर से उभरा भारत
इन महाशक्तियों की तुलना में अब जरा भारत के बर्ताव को देखिए। एक तरफ जहां भारत लॉकडाउन और सामाजिक दूरी जैसे उपायों के सहारे चीन से पैदा हुए कोरोना वायरस संक्रमण को हराने की कोशिश कर रहा है तो साथ ही दूसरी तरफ दुनिया के अन्य देशों की मदद भी कर रहा है। भारत संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर चीन के नापाक बयान का मुंह-तोड़ जवाब भी दे रहा है। सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने वाली पाकिस्तानी सेना को सबक भी सीखा रहा है। घरेलू स्तर पर भारत को नासमझ और बेवकूफ लोगों की ऐसी जमात से भी जूझना पड़ रहा है जो धर्म के नाम पर अनजाने या जानबूझकर कोरोना संक्रमण को फैलाने में लगे हैं । भारतीय धर्मनिपेक्षता के विभत्स रूप का लाभ उठाने के लिए हमारे शत्रु देशों ने बॉर्डर पर ऐसे लोगों का जत्था तैयार कर रखा है जो मौका मिलते ही भारत में घुस कर कोरोना संक्रमण को फैलाने का मंसूबा पाले बैठे हैं।
लेकिन इतने मोर्चों पर एक साथ लड़ने के बावजूद मानवता की रक्षा के नाम पर भारत दुनिया की मदद कर रहा है। पड़ोसी देशों ( जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है) की मदद करने के लिए भारत ने सार्क देशों के स्तर पर कोरोना से लड़ने के लिए विशेष कोष बनाने की पहल की। इसके लिए कोविड-19 आपातकालीन फंड बनाया गया। सार्क संगठन में भारत और पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और मालदीव शामिल है।
कोरोना से लड़ाई में मदद करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारों के अलावा स्पेन और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिल खोल कर भारत की तारीफ कर रहे हैं, भारत को सार्वजनिक मंच पर धन्यवाद कह रहे हैं। कोरोना की इस महामारी ने दिखा दिया है कि वैश्विक स्तर पर कौन सा देश सबके हितों की बात सोचता है और कौन सा देश सिर्फ नाटक करता है, षड्यंत्र रचता है। इसलिए दुनिया के सभी देशों को कोरोना महामारी को हराने के बाद नए सिरे से एक दूसरे के बारे में सोचना पड़ेगा, एक दूसरे से संबंध बनाना पड़ेगा। अब कोई चाहे न चाहे, पसंद करे या न करे, भारत वैश्विक स्तर पर एक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है और आज या कल दुनिया को भारत को उसका सही हक देना ही पड़ेगा।
अमेरिका, रूस , ब्रिटेन, फ्रांस के अलावा जर्मनी, जापान, इजरायल, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील सहित दुनिया के तमाम बड़े और महत्वपूर्ण देशों को अब आगे आकर कई दशक पहले की गई गलती को सुधारने के लिए आगे आना ही पड़ेगा। इन तमाम देशों को एकजुट होकर चीन के षड्यंत्र का जवाब देना ही होगा। चीन को सुरक्षा परिषद से बाहर का रास्ता दिखा कर न केवल भारत को इसका स्थायी सदस्य बनाया जाए बल्कि साथ ही जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे देशों को परिषद में बड़ी भूमिका देकर इसका लोकतांत्रिकरण विस्तार करना भी समय की मांग हैं। ऐसा होने पर ही संयुक्त राष्ट्र फिर से मजबूत हो पायेगा और कोरोना महामारी जैसी अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों से प्रभावी ढंग से लड़ेगा भी और जीतेगा भी।
( लेखक- संतोष पाठक, वरिष्ठ पत्रकार हैं और इन्होंने डेढ़ दशक तक सक्रिय टीवी पत्रकार के तौर पर राजनीतिक पत्रकारिता की है )
]]>केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि कोरोना वायरस कोविड -19 को लेकर की गई तैयारियों के अन्तर्गत देश भर में डेढ़ लाख बेड विशेष रूप से किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रखे गए हैं।उन्होंने बताया कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए देश में व्यक्तिगत सुरक्षा किट (पीपीई) और एन -95 मास्क की कोई कमी नहीं हैं। देशवासी निश्चिंत रहें,हमारे पास पर्याप्त चिकित्सा सामग्री मौजूद है।
दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर पैनल चर्चा में भाग लेते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि कोविड -19 के मरीज़ों का इलाज़ कर रहे डॉक्टरों की मदद के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आर्यूर्विज्ञान संस्थान एम्स ने एक टेली कंटेलेटेन्सी हेल्प लाईन शुरू की गई है। इससे डॉक्टर देश विदेश के किसी भी इलाके से कोविड 19 के इलाज में जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों की सलाह ले सकेंगे।
कोविड 19 से घबराने की जरूरत नहीं है – डॉ हर्षवर्धन
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि कोविड 19 के 80 प्रतिशत मामलों में लोग घरों में स्व-संगरोध (कोरांटीन)से ही ठीक हो जाते हैं।सिर्फ 15 प्रतिशत मरीज़ों को आॉक्सीजन और 5 प्रतिशत को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। कोरांटीन का मतलब कैद नहीं है तथा यह लोगों के अपने और उनके परिवार के हित में है।
एक दर्शक के इस सवाल पर क्या कोविड 19 कोई जैविक हथियार है ? उन्होंने कहा कि अभी ऐसे विवादित विषय पर चर्चा का कोई मतलब नहीं है।उन्होंने कहा कि आज भारत किसी भी मामले में दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं है और हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है।
लॉकडाउन के नियमों का पालन कीजिए और कोरोना से बचिए
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि सामान्य सावधानियां बरत कर ही कोविड 19 से बचा जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वें आपस में एक मीटर का फासला रखें,साबुन से बार बार हाथ धोएं, सतह को साफ रखें,अपने मुंह,आंख और कानों को हाथ न लगाएं तथा बाहर से लाई हुई सब्जी वगैरह को धोकर ही उपयोग करें।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि लॉकडाउन की भावना का सम्मान करना, अपनी और अपने परिवार की रक्षा करने के बराबर है।हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो भी फ़ैसला लेते हैं, वो देश व देशवासियों के हित में ही होता है ।
क्या लॉकडाउन कोआगे बढ़ाया जा सकता है ? एक दर्शक के इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब अभी नहीं दिया जा सकता। देश आगे कैसे बढ़ेगा, यह कई पहलुओं पर निर्भर करेगा।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में लोगों के मन-मस्तिष्क में कई सवालों का उठना स्वाभाविक है।उन सवालों के जवाब में बताया कि कोविड 19 के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की भावना का ख़्याल रखना और इसकी पालना बहुत ज़रूरी है।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि लॉकडाउन का उद्देश्य कोविड 19 के फैलाव को रोकने के साथ-साथ इस अवधि में इस बीमारी से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को और मजबूती प्रदान करना है।
बिना नाम लिए तब्लीगी जमात पर साधा निशाना
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि बीते दिनों कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे कोविड-19 के खिलाफ़ देश के अभियान को धक्का लगा है। उन घटनाओं के कारण अचानक कोविड -19 के केसों में वृद्धि हुई है। उन्होंने लोगों से पुनः अपील की कि वे सोशल डिसटेंसिंग का सख्ती से पालन करें,यह सभी के हित में है ।
डॉ हर्षवर्धन ने कोविड 19 के खिलाफ़ ज़ंग में जुटे डॉक्टरों पर हो रहे हमलों की निंदा की
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि हमारे कोविड योद्धा दिन-रात अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं में कोविड 19 को परास्त करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि जल्द ही हम इस महामारी पर विजय प्राप्त करेंगे। गृह मन्त्रालय द्वारा चिकित्साकर्मियों पर हमला करने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाने के फ़ैसले का उन्होंने स्वागत किया।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि विश्व में भारत ने सबसे पहले कोरोना वायरस के विरुद्ध जंग की शुरुआत की थी जिसकी वजह से हमारे विशाल आबादी वाले देश में अपेक्षाकृत कम संख्या में संक्रमण और मृत्यु हुई है।
हमने बहुत पहले से ही विदेश से आने वाले हर नागरिक पर पैनी नज़र रखनी शुरू कर दी थी।
डॉ हर्षवर्धन ने आज रविवार को दिल्ली के निकट झज्जर में एम्स परिसर का दौरा कर कोविड 19 से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया।
]]>इसी अभियान के तहत गाज़ियाबाद पुलिस को भी बड़ी सफलता मिली है। दिल्ली के निज़ामुद्दीन में पिछले महीने तब्लीगी समाज के धार्मिक सम्मेलन में शामिल होने वाले इंडोनेशिया के 10 नागरिक गाज़ियाबाद जिले के साहिबाबाद थाना अंतर्गत आने वाले शहीद नगर कॉलोनी में छिपे हुए थे। ये सभी विदेशी दिल्ली बॉर्डर से लगी उत्तर प्रदेश की शहीद नगर कॉलोनी के डी ब्लॉक के एक मकान, मस्जिद और मदरसे में छिपे हुए थे। इन विदेशी नागरिकों में 5 महिलाएं भी शामिल थी।
इंडोनेशिया के इन सभी नागरिकों को हिरासत में लेकर एक अलग वार्ड में रखा गया है। गाज़ियाबाद पुलिस के एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक इन सभी इंडोनेशियाई नागरिकों के अलावा 5 स्थानीय नागरिकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। इन 5 स्थानीय लोगों में मकान मालिक, मदरसा और मस्जिद के प्रबंधक शामिल है।
आपको बता दें कि इन सबकी कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट आने तक इन्हें अलग से एक अस्थायी वार्ड बना कर रखा गया है और इनके कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने की स्थिति में शहीद नगर कॉलोनी की घेरेबंदी कर दी जाएगी।
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