पहलगाम आतंकी हमले का अमेरिकी कनेक्शन – आखिर अमेरिका इतना बेचैन क्यों हैं ?

By संतोष कुमार पाठक, वरिष्ठ पत्रकार

आतंकवाद को लेकर पश्चिमी देशों का रवैया हमेशा से डबल स्टैंडर्ड वाला रहा है। अमेरिका पश्चिमी देशों के इस डबल स्टैंडर्ड यानी दोहरे मापदंड की अगुवाई करता रहा है। अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए भयानक आतंकी हमले के बाद दुनिया को ऐसा लगा कि शायद अब अमेरिका की सोच बदल जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अमेरिका ने अपनी धरती पर हुए आतंकवादी हमले का बदला अफगानिस्तान और पाकिस्तान में घुस कर लिया। लेकिन जब भी उसके चहेते देश पाकिस्तान द्वारा पाले-पोसे गए आतंकवादियों ने भारत को दहलाने का काम किया। तब-तब अमेरिका आगे आकर मीठी-मीठी जुबान में भारत को शांति का पाठ पढ़ाता नजर आया।

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरा भारत गुस्से में है। हर सच्चा हिंदुस्तानी पाकिस्तान से बदला लेना चाहता है, आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहता है। भारत सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

लेकिन पाकिस्तान को आतंकवाद का ट्रेनिंग सेंटर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला अमेरिका एक बार फिर से भारत को फंसाने के लिए मैदान में उतर गया है। अपने चिर-परिचित पुराने स्टाइल में अमेरिका ने पहले पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की, भारत का साथ देने का भरोसा दिया लेकिन कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर विवाद को 1,500 साल पुराना विवाद बता दिया। ट्रंप यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने आतंकवाद से पीड़ित देश भारत और आतंकवाद को फैलाने वाले देश पाकिस्तान को एक ही पायदान पर रखते हुए दोनों ही देशों को अपना करीबी बता दिया। भारत का स्टैंड बिल्कुल साफ है कि आतंकवाद फैलाने वाले देश ( पाकिस्तान ) से तब तक बातचीत करने का कोई फायदा नहीं है ,जब तक वह आतंकवाद को फैलाना बंद न कर दें। लेकिन जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बावजूद अब अमेरिका भारत को आतंकवादी देश पाकिस्तान से बातचीत करने की सलाह दे रहा है।

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भारत के सख्त तेवरों को देखते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान को बचाने के लिए शांति का राग अलापना शुरू कर दिया और अपने इस षड्यंत्र में अन्य पश्चिमी देशों की भूमिका भी तय कर दी।अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने अपने इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर से फोन पर बात की। बातचीत के दौरान,अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने का आग्रह किया। भारत के विदेश मंत्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री , दोनों से अलग-अलग बातचीत करने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि, अमेरिका आतंकवाद से लड़ाई में भारत का समर्थन करता है लेकिन उसी बयान में पाकिस्तान से पहलगाम हमले की जांच में सहयोग करने का आग्रह किए जाने की बात भी कही गई है। मतलब, अमेरिका सीधे-सीधे यह कहना चाह रहा है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने की बजाय भारत को उसके साथ मिलकर जांच करनी चाहिए।

पहलगाम में 22 अप्रैल , 2025 को जब आतंकवादी भारत के निर्दोष नागरिकों पर गोलियां बरसा रहे थे। उस समय अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर ही थे। इस आतंकी हमले के कारण, भारत दौरे के दौरान उनके कई कार्यक्रमों को रद्द भी करना पड़ा था। भारत यात्रा के दौरान ही अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने आगरा से प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोन पर बातचीत की और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। वेंस ने जानमाल के नुकसान पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए वादा किया था कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। लेकिन अमेरिका पहुंचते ही उनके भी सुर बदल गए।

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अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने गुरुवार को भारत को नसीहत देते हुए यह कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत युद्ध नहीं भड़काएगा। भारत को नसीहत देते हुए जेडी वेंस ने एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में कहा कि उन्हें आशा है कि भारत इस आतंकवादी हमले का जवाब इस तरह से दे जिससे व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष न हो और वे आशा करते हैं कि पाकिस्तान, जिस हद तक वो जिम्मेदार है, भारत के साथ सहयोग करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कभी-कभी उनके क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का पता लगाया जाए और उनसे निपटा जाए। गुरुवार को ही अमेरिकी रक्षा मंत्री हेगसेथ ने भी भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बातचीत कर शांति का पाठ पढ़ाने का प्रयास किया। अमेरिका से आने वाले हर बयान का संदेश बिल्कुल साफ नजर आ रहा है कि भारत पाकिस्तान पर हमला न करे और पहलगाम आतंकी हमले की पाकिस्तान के साथ मिलकर सयुंक्त जांच करे।

दरअसल, अमेरिका एक साथ कई मोर्चों पर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है और इस अभियान में अपने मित्र देशों का भी भरपूर सहयोग ले रहा है। अमेरिका से पहले, ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने रविवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार से बात की थी। बातचीत के दौरान, ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने भी भारत को शांति और बातचीत का पाठ पढ़ाने का प्रयास किया था।

अमेरिका क्यों हर बार पाकिस्तान को बचाने के लिए भारत को शांति का पाठ पढ़ाने के लिए मैदान में उतर जाता है,यह पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा हाल ही में किए गए खुलासे से समझा जा सकता है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में यह बड़ा खुलासा किया था कि पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से आतंकवाद फैलाने जैसा गंदा काम अमेरिका और ब्रिटेन के लिए कर रहा है।

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ऐसे में अब भारत की वर्तमान सरकार के सामने एक साथ कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। पाकिस्तान को सबक भी सिखाना है, आतंकवादियों को खत्म भी करना है और इसके साथ ही आतंकवाद पर दोहरा मापदंड रखने वाले अमेरिका जैसे देशों की चालबाजियों और दबाव से भी बचना है।

( लेखक – संतोष कुमार पाठक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं। ये पिछले 20 वर्षों से दिल्ली में राजनीतिक पत्रकारिता कर रहे हैं। )