व्हाट्सएप्प एक साधन है, साध्य नही !

संतोष द्विवेदी मनुज , ब्रॉडकास्टर

आजकल का एक नया शिगूफा है – व्हाट्सप्प का ज्ञान न बघारिये! सनद रहे – व्हाट्सएप्प का खुद का ज्ञान जबकि सम्भव ही नही!

भइया/बहना, जरा दुरुस्त करिये अपनी ज्ञानेन्द्रियाँ – व्हाट्सएप्प एक साधन है, साध्य नही!

ये उसको इस्तेमाल करने वाले पर है कि वो इसके माध्यम से सुबह-सुबह राम-राम करता है, दुआ-सलाम करता है, फूल-पत्तियां भेजता है या फिर कहीं से आये किसी भी किस्म के कचरे को दूसरे के डिब्बे में उलट देता है या जो भी करता है!

कुछ नहीं तो बस एक कप चाय के साथ दो टोस्ट सुबह सुबह भेज देता है!

वो जो भी करता है,इसमे उसका उद्यम , उसकी मंशा या फिर उसकी प्रवृत्ति दीख सकती है! तो भी Driving Force तो बुद्धि ही रहेगी!

ऐसे में साधन मसलन व्हाट्सएप्प या किसी भी किस्म के अन्य साधन पर तोहमत लगाना, इंसाफ नही कहा जा सकता!

ऐसा विश्वास के साथ इसलिए कह रहा हूँ चूंकि बहुत से लोग इसी माध्यम से न जाने कितने विचारोत्तेजक, उदात्त लेख और रचनाएं पढ़ने को प्रेषित कर चुके है! जो शायद किसी भी और माध्यम से इतनी आसानी से पठनीय न हो सके! ईमेल वगैरह का भी विकल्प है पर इस सबमें व्हाट्सएप्प ज्यादा सरल और सुगम लगता है!

मेरी तरह ही और असंख्य लोगो को इस साधन से काफी सहूलियत मिली होगी! मिल रही है, कहना चाहिए!

तो आगे से कुछ भी पढ़े तो जरा ठहरे (ठोक, बजाकर जांच ले) फिर आगे साझा करें! क्योंकि व्हाट्सएप्प अपने आप मे निरपेक्ष है, इससे अच्छे-बुरे दोनो तरह के संदेश हम-आप प्रेषित कर सकते है!

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हमारी चेतना जागृत रहे तो सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि #फेक_न्यूज़ (झूठी या मनगढ़ंत बातों/खबरों) पर भी बहुत हद तक शिकंजा कसा जा सकेगा, रोकथाम सम्भव होगी!

#साधन_और_साध्य